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Ukraine को Challenger-2 टैंक देने जा रहा Britain, दुश्मन के खिलाफ अजेय रहने वाले इस टैंक की ताकत जानिए

Challenger 2 Tanks: ब्रिटेन रूस के खिलाफ यूक्रेन को बड़ी मदद दे रहा है. ब्रिटेन यूक्रेन को हथियारों की खेप देने जा रहा है. ब्रिटेन ने ताकतवर टैंक चैलेंजर-2 को यूक्रेन को देने का फैसला किया है. आज तक चैलेंजर-2 टैंक कोई भी दुश्मन देश नष्ट नहीं कर पाया है.

ब्रिटेन ने यूक्रेन को चैलेंजर-2 टैंक देने का फैसला किया है (Photo/Wikipedia) ब्रिटेन ने यूक्रेन को चैलेंजर-2 टैंक देने का फैसला किया है (Photo/Wikipedia)

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के 11 महीने पूरे होने वाला हैं. इस बीच यूक्रेन को बड़ी मदद मिलने जा रही है. ब्रिटेन यूक्रेन की मदद के लिए चैलेंजर-2 टैंक देने जा रहा है. एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक पीएम ऋषि सुनक ने इसका ऐलान कर दिया है. चैलेंजर-2 टैंक क्यों खास है? क्या है इसकी ताकत? इस टैंक को मिलने से यूक्रेन की सेना रूस को कितना टक्कर दे पाएगी? चलिए इन जवालों के जवाब ढूंढने की कोसिश करते हैं.

क्या है चैलेंजर 2 टैंक-
चैलेंजर-2 टैंक 20 साल पुराना है. साल 1998 में इसे सेना में शामिल किया गया था. इसे CR2 के नाम से जाना जाता है. ये टैंक ओमान और ब्रिटेन की सेना में शामिल है. ये टैंक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है. इस टैंक को ब्रिटेन के कंपनी विकर्स डिफेंस सिस्टम्स ने डिजाइन किया था और उसका निर्माण भी इसी कंपनी ने किया था. फिलहाल इस कंपनी का नाम बदल गया है और अब इसे बीएई सिस्टम्स लैंड एंड आर्मामेंट्स के नाम से जाना जाता है.

ब्रिटिश सेना को कब मिला था ताकतवर टैंक-
चैलेंजर-2 टैंक का निर्माण साल 1993 में शुरू किया गया. इससे पहले ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने दो बार इसके निर्माण का ऑर्डर दिया था. एक बार मंत्रालय ने 140 यूनिट और दूसरी बार 268 यूनिट बनाने का ऑर्डर दिया गया. साल 1998 में चैलेंजर-2 टैंक को ब्रिटिश सेना की सर्विस में शामिल किया गया. सेना को इस ताकतवर टैंक की आखिरी डिलीवरी साल 2002 में हुई थी.
ब्रिटेन ने इस ताकतवर टैंक को दूसरे देशों को भी बेचा है. ब्रिटेन ने इस टैंक को ओमान को भी बेचा था. चैलेंजर-1 के मुकाबले चैलेंजर-2 काफी ताकवतर है. हालांकि देखने में दोनों एक जैसे ही लगते हैं. लेकिन दोनों में सिर्फ 3 फिसदी पार्ट ही कॉमन हैं.

क्यों खास हैं चैलेंजर 2 टैंक-
सेना के लिए चैलेंजर-2 टैंक काफी किफायती है. ये टैंक 59 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसकी रेंज 550 किलोमीटर है. इस टैंक में 55-कैलिबर की 120 एमएम लंबी L30A1 टैंक गन भी लगी है. चैलेंजर-2 टैंक पहला ब्रिटिश टैंक था, जिसमें L30A1 गन लगी है. इससे पहले ब्रिटिश टैंकों में एल11 गन का ही इस्तेमाल होता था. जबकि L30A1 कहीं ज्यादा ताकतवर गन है. चैलेंजर-2 टैंक चेन गन और मशीन गन से भी लैस है. इसके मेन गन से 50 राउंड और 7.62 मिमी मशीन गन और चेन गन के 4200 राउंड स्टोर किए जा सकते हैं.

आज तक सिर्फ एक बार नष्ट हुआ है टैंक-
चैलेंजर-2 टैंक बहुत ही ताकवतर है. इसका ऊपरी और निचला हिस्सा काफी ताकवतर स्पेशल मटेरियल से बना है. इसे डोरचेस्टर के नाम से जाना जाता है. इतना ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक ये सिर्फ एक बार ही नष्ट हो पाया है. वो भी किसी दुश्मन ने नहीं, बल्कि फ्रेंडली फायरिंग के दौरान टैंक नष्ट हुआ था.

कई ऑपरेशन को अंजाम दे चुका है टैंक-
चैलेंजर-2 टैंक कई ऑपरेशन में शामिल रहा है. इस टैंक ने बोस्निया और हर्जेगोविना, कोसोवा और इराक में मिलिट्री ऑपरेशन में शामिल हुआ था. लेकिन अब तक दुश्मन इस टैंक को काट नहीं ढूंढ पाए हैं. दुश्मनों के सामने चैलेंजर-2 अजेय रहा है. इसको आज तक कोई भी दुश्मन तोड़ नहीं पाया है.

हमेशा अपग्रेड होता रहता है टैंक-
इस टैंक को ऑपरेट करने के लिए 4 सदस्यों वाला एक दल होता है. ब्रिटिश सेना में शामिल होने के बाद भी इस टैंक में कई बदलाव किए गए हैं. लगातार हो रहे बदलाव की वजह से चैलेंजर-2 और भी ताकतवर होता गया. टैंक की सुरक्षा और मारक क्षमता में बदलाव किए गए हैं. ब्रिटेन की सेना ने साल 2021 में एलईपी के तहत एक बार फिर इस टैंक को अपग्रेड करने की योजना बनाई थी.

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