भारत पर करीब 200 सालों तक राज करने वाले ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का 96 साल की उम्र निधन हो गया है. काफी छोटी सी उम्र से लेकर अब तक क्वीन एलिज़ाबेथ ने ब्रिटेन के शाही परिवार की अगुवाई की. करीब 7 दशक वो ब्रिटेन के शाही परिवार की सियासत को संभाला. तमाम मुश्किलों के बाद भी क्वीन एलिजाबेथ ब्रिटेन की सियासत पर कैसे राज करती रहीं, चलिए क्वीन एलिज़ाबेथ के सफर पर एक नजर डालते हैं.
बता दें कि महारानी की मौत के बाद उनके सबसे बड़े बेटे 73 वर्षीय चार्ल्स स्वतः ही यूनाइटेड किंगडम का राजा और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड सहित 14 अन्य क्षेत्रों का प्रमुख बन गए.
महारानी एलिजाबेथ का जन्म...
21 अप्रैल, 1926 को क्वीन एलिजाबेथ का जन्म हुआ, उस वक्त ब्रिटेन में जब किंग जॉर्ज पंचम का राज था. एलिजाबेथ के पिता किंग जॉर्ज छह भी बाद में ब्रिटेन के राजा बने. एलिजाबेथ का पूरा नाम एलिजाबेथ एलेक्जेंडरा मैरी विंडसर था. क्वीन एलिज़ाबेथ की एक बहन भी है जिसका नाम प्रिंसेस मार्गरेट था. क्वीन एलिज़ाबेथ ने अपने घर में ही पढ़ाई पूरी की. क्वीन एलिज़ाबेथ की एक आत्मकथा में लिखा गया है कि उन्हें बचपन से ही घोड़ों और डॉग्स से लगाव था जो जीवन भर रहा, बाद में वह घोड़ों की रेस पर दांव भी लगाया करती थीं.
पिता की मौत के बाद बन गई महारानी
1947 में जिस वक्त भारत आजाद हो रहा था, तब एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की शादी हुई. शाही परिवार में बड़े ही धूम-धाम से दोनों की शादी का जश्न मनाया गया. शादी के कुछ बाद से ही ये शाही जोड़ा शाही परिवार के लिए अपनी ड्यूटी में लग गए. दोनों शादी के करीब पांच साल बाद यानी साल 1952 में किंग जॉर्ज छह की तबीयत काफी खराब रहने लगी थी. उस वक्त प्रिंस फिलिप, प्रिंसेस एलिजाबेथ केन्या के दौरे पर थे. खराब तबीयत के चलते किंग जॉर्ज छह का ऑस्ट्रेलिया दौरा बार-बार टल रहा था. ऐसे में तय हुआ कि केन्या में छुट्टियां मनाने के बाद एलिजाबेथ और फिलिप ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे. लेकिन 6 फरवरी, 1952 को सब कुछ बदल गया. लंबे वक्त से बीमार चल रहे एलिजाबेथ के किंग जॉर्ज छह का निधन हो गया. हालांकि एलिज़ाबेथ को इस बात की सूचना थोड़ी देर से मिली क्योंकि वो केन्या के ग्रामीण इलाके में थी. लेकिन खबर मिलने के बाद उन्हें अपनी छुट्टियां रद्द कर तुरंत वापस ब्रिटेन आना पड़ा. जब ये घटना हुई तो एलिजाबेथ मात्र 25 साल की थीं, लेकिन उसी पल सब कुछ बदल गया था. क्योंकि किंग जॉर्ज छह के निधन के बाद ये साफ हो गया था कि अब ब्रिटेन को नई महारानी मिलने वाली थी. एलिज़ाबेथ जब ब्रिटेन से केन्या आईं, तो वो महारानी के रूप में लौटीं. 6 फरवरी, 1952 को एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की महारानी नियुक्त हुई और 2 जून 1953 को उनकी ताजपोशी हुई.
हर मुश्किल का सामना खुद करने की ताकत थी
शाही परिवार के प्रमुख के बारे में एक बात कही जाती है कि उसका काम सबसे मुश्किल होता है. उसका सबसे मुश्किल काम होता है कुछ न करना. क्योंकि शाही परिवार का प्रमुख सीधे तौर पर सरकार के कामकाज में दखल नहीं दे सकता है और न ही सीधे कोई आदेश दे सकता है. क्वीन एलिजाबेथ ने जब 25 साल की उम्र में शाही परिवार की गद्दी संभाली तो शुरुआत में ही विंस्टन चर्चिल ने उन्हें ये मंत्र सीखा दिया. तब से लेकर आज तक शासन के सात दशक बीत गए. इस पूरे दौर में क्वीन एलिजाबेथ के सामने ऐसी कई मुश्किलें आई जिनका सामना उन्होंने अकेले दम पर खुद किया. जिसमें पारिवारिक मुश्किलों के साथ-साथ देश पर आई कई बड़ी समस्याएं भी हैं.
अड़ियल विंस्टन चर्चिल बन गए थे गार्जियन
क्वीन एलिज़ाबेथ 1952 से ही शाही परिवार की प्रमुख बनी हुई हैं. वहां पर ये नियम है कि हर हफ्ते मंगलवार को यूनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री ब्रिटेन के शाही परिवार के प्रमुख के साथ मुलाकात करेगा और देश की स्थिति की जानकारी देगा. बतौर केयरटेकर शाही परिवार का प्रमुख देश से जुड़े कामों में सीधा दखल नहीं दे सकता है. क्वीन एलिज़ाबेथ शुरुआत से लेकर आज तक 14 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुकी हैं. जब एलिजाबेथ ने शाही राज पाठ संभाला को उस वक्त यूके की कमान विंस्टन चर्चिल के हाथ में थी. चर्चिल को हमेशा से अपने अड़ियल बर्ताव के लिए जाना जाता है, लेकिन एक 25 साल की युवा महारानी के लिए चर्चिल ने बतौर गार्जियन काम किया. ये क्वीन का व्यवहार ही था, जिसने चर्चिल अड़ियल को भी शालीन बना दिया था. महारानी ने तमाम मुश्किलों को सहन करते हुए सिर्फ शाही परिवार के नियमों का पालन करने की कोशिश की.