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Sheikh Hasina Extradition: वह समझौता जिसके तहत शेख हसीना को बांग्लादेश भेज सकता है भारत, यूनुस सरकार कर सकती है मजबूर

Bangladesh Crisis: शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ भारत तो चली आई हैं लेकिन पिछले एक महीने की हिंसा के दौरान उनके देश में जो खून बहा, उसके छींटे बहुत दूर उछलकर उनके दामन तक पहुंच रहे हैं. हो सकता है भारत में शरण लेने का फैसला शेख हसीना के पक्ष में न रहे. बांग्लादेश की वर्तमान सरकार अब भी उन्हें वापस ले जा सकती है.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) तख्तापलट होने के बाद अपना देश छोड़कर भारत तो आ गई हैं. लेकिन उनके ऊपर चल रहे आपराधिक मामले उन्हें वापस स्वदेश लौटने पर मजबूर कर सकते हैं. बांग्लादेश की वर्तमान सरकार हसीना को उसके सुपुर्द करने के लिए भारत को मजबूर कर सकती है. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के वर्तमान विदेश मंत्री यह साफ भी कर चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि भगोड़ों को लौटाने (Extradition) को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच कानून क्या कहते हैं. और किस सूरत में शेख हसीना को बांग्लादेश लौटना पड़ सकता है. 
 
क्या भारत-बांग्लादेश के बीच ऐसा कोई समझौता है?
भारत और बांग्लादेश ने 2013 में भगोड़ों के प्रत्यर्पण से जुड़ा एक समझौता किया था. साल 2016 में इसमें संशोधन किए गए थे ताकि दोनों देशों के बीच भगोड़ों का प्रत्यर्पण आसान और तेज बनाया जा सके. यह समझौता प्रमुख रूप से उन भारतीय भगोड़ों को वापस लाने के लिए किया गया था जो पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति के लिए जिम्मेदार थे और बांग्लादेश से काम करते थे.

इस दौरान बांग्लादेश भी जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (Jamaat-ul-Mujahideen Bangladesh) के उन घोषित आतंकियों से परेशान था जो पश्चिम बंगाल और असम में छिपे हुए थे. भारत इस संधि से दो भगोड़ों को स्वदेश ला चुका है. यही नहीं, भारत दो भगोड़ों को बांग्लादेश के हवाले भी कर चुका है. अब इसी समझौते के आधार पर भारत शेख हसीना को बांग्लादेश के हवाले करने के लिए मजबूर हो सकता है. 

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क्या हैं समझौते के दांव-पेंच?
समझौते के अनुसार अगर किसी भगोड़े के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू हुई हो, उसपर कोई आरोप लगे हों, वह व्यक्ति वॉन्टेड हो या फिर किसी मामले में अपराधी पाया गया हो तो दोनों देशों के लिए जरूरी है कि वे उस व्यक्ति को अपने पड़ोसी देश के हवाले कर दें.

इस कानून में यह भी साफ किया गया है कि अगर अपराध राजनीतिक हो तो संबंधित देश भगोड़े को लौटाने से मना कर सकता है, हालांकि हसीना पर लग रहे आरोप राजनीतिक नहीं हैं. देश छोड़ने के बाद से पूर्व पीएम हसीना पर हत्या, टॉर्चर और किसी को जबरन गायब करवाने तक के आरोप लग चुके हैं. 

हसीना पर 13 अगस्त को एक किराने की दुकान के मालिक की हत्या का मामला दर्ज किया गया था, जिसकी पिछले महीने पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी. अगले ही दिन, 2015 में एक वकील के अपहरण के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. फिर 15 अगस्त को हसीना पर तीसरे मामले में हत्या, टॉर्चर और नरसंहार के आरोप लगाए गए. बांग्लादेश को अब हसीना को वापस ले जाने के लिए सिर्फ किसी अदालत की ओर से जारी हुआ एक अरेस्ट वॉरंट पेश करना है. 

भारत के पास कोई और विकल्प?
भारत-बांग्लादेश के बीच हुए समझौते का अनुच्छेद-8 ऐसे एक कारण का जिक्र करता है जिसे आधार बनाकर भारत हसीना को बांग्लादेश के हवाले करने से इनकार कर सकता है. अनुच्छेद-8 के अनुसार अगर आरोप "न्याय के हित में अच्छे इरादों से नहीं लगाया गया है" या मिलिट्री कानून के मामले में लगाया गया है जो "सामान्य आपराधिक कानून के तहत अपराध" नहीं हैं, तो एक देश भगोड़े को दूसरे देश के हवाले करने से मना कर सकता है.

भारत इस आधार पर हसीना को बांग्लादेश के हवाले करने से मना कर सकता है कि उन पर लगाए गए ये आरोप न्याय के हित में नहीं हैं और गलत इरादों के साथ लगाए गए हैं. लेकिन इससे ढाका की नई सत्तारूढ़ सरकार के साथ नई दिल्ली के संबंध बिगड़ सकते हैं. भारत को ढाका की सत्ता पर काबिज सरकार के साथ संबंध अच्छे रखने और बांग्लादेश में अपने दीर्घकालिक रणनीतिक और आर्थिक हितों को सुरक्षित करने पर ध्यान देना होगा. इसके साथ ही भारत के सामने अपनी पुरानी मित्र और सहयोगी शेख हसीना के साथ खड़े रहने की चुनौती भी मौजूद है.