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Canadians First: क्या है Trudeau Government की कनाडा फर्स्ट नीति... इमिग्रेशन में 20 प्रतिशत की कटौती... जानें कैसे पड़ेगा इसका भारतीयों पर असर

Canada Government New Visa Policy : कनाडा की Justin Trudeau सरकार ने कनाडा फर्स्ट नीति का ऐलान किया है. इस नई पॉलिसी का प्रभाव कनाडा में भारतीय छात्रों पर भी देखने को मिलेगा. आइए जानते हैं कैसे? 

Canadian PM Justin Trudeau (File Photo: PTI) Canadian PM Justin Trudeau (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • कनाडा में रहते हैं 4.27 लाख भारतीय स्टूडेंट्स

  • पढ़ाई के साथ कई छात्र करते हैं पार्ट टाइम काम 

Problems of Indian Student: कनाडा Canada की जस्टिन ट्रूडो सरकार (Justin Trudeau Government) ने ऐसा फैसला किया है, जिसका हजारों भारतीयों पर असर पड़ेगा. इस सरकार ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है. इसके साथ ही पीएम ट्रूडो ने विदेशी अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती के लिए नियम सख्त कर दिए हैं. ट्रूडे ने इसे कनाडा फर्स्ट (Canada First) नाम दिया है. 

कनाडाई नागरिकों को देनी होगी प्राथमिकता 
ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कनाडा फर्स्ट नीति का ऐलान करते हुए लिखा कि कंपनियों को नौकरी में अब कनाडाई नागरिकों को प्राथमिकता देनी होगी. कोई कंपनी जब किसी विदेशी नागरिक को अपने यहां काम पर रखेगी तो उसे पहले यह बताना होगा कि उन्हें उस काम के लायक कोई योग्य कनाडाई नागरिक नहीं मिला. ट्रूडो ने कहा कि यह निर्णय कनाडा की आबादी में हो रहे इजाफे को रोकने के लिए लिया गया है. 

भारतीय छात्रों पर पड़ेगा सबसे अधिक असर 
कनाडा फर्स्ट नीति का सबसे बड़ा असर कनाडा में रहने वाले भारतीयों और वहां पढ़ाई करते हुए काम करने वाले छात्र-छात्राओं पर पड़ेगा. अधिकांश भारतीय स्टूडेंट्स कनाडा में पढ़ाई के दौरान शॉपिंग मॉल, फूड स्टोर और रेस्त्रां में पार्ट टाइम काम भी करते हैं. इससे उन्हें अच्छी-खासी इनकम हो जाती है.

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कनाडा सरकार के फैसले से बेरोजगारी बढ़ सकती है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक साल 2024 में लगभग 1335878 भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं. इसमें से सबसे ज्यादा कनाडा में 4.27 लाख छात्र हैं. कनाडा में 2023 में भारतीय अस्थाई वर्करों की संख्या सबसे ज्यादा थी. कुल 1.83 लाख अस्थाई कर्मचारियों में से 27 हजार भारतीय थे.

अब सिर्फ इतने लोगों को देगा नागरिकता
कनाडा के अप्रवासी मंत्री मार्क मिल ने कहा कि एक साल पहले हमने 2025 और 2026 में 5-5 लाख लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया था, लेकिन कनाडा की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए हमें इसमें बदलाव करना पड़ रहा है. इमिग्रेशन में 20 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि अब हम अगले साल यानी 2025 में 3.95 लाख लोगों को नागरिकता देंगे.

इसके बाद साल 2026 में इसे घाटकर 3.80 लाख कर दिया जाएगा. फिर साल 2027 में इसे और घटा दिया जाएगा. 2027 में 365000 लोगों ही परमानेंट रेजिडेंसी देने का प्लान है. उन्होंने कहा कि हमारे देश की जरूरतों के हिसाब से यह योजना जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सफल होगी.

कोरोना महामारी के बाद नियम में किया था बदला
साल 2022 में कोरोना महामारी के बाद ट्रूडो सरकार ने अपनी इकॉनामी में सुधार और स्थायित्व लाने के लिए अस्थाई कर्मचारियों की भर्ती के लिए नए नियम बनाए थे. उस समय इसे अस्थाई विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम नाम दिया गया था. इसके तहत विदेशी नागरिकों को कनाडा में काम करने में सहूलियत दी गई थी. उनकी सैलरी भी बढ़ा दी गई थी.

कनाडा सरकार के इस कदम का भारतीय छात्रों को खूब फायदा हुआ. वे वहां पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम नौकरी करने लगे. कनाडा सरकार के फैसले के बाद भारतीय छात्रों में कनाडा यूनिवर्सिटी को लेकर रुझान और भी ज्यादा बढ़ गया. पीएम ट्रूडो ने कहा कि कोरोना के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हमारी इकोनॉमी का जो नुकसान हुआ था, उससे उबरने में अप्रवासियों ने अहम योगदान दिया है, लेकिन अब इसमें बदलाव करने का समय आ गया है. कनाडा को अपनी जनसंख्या को स्थिर करने की जरूरत है. 

इतनी बढ़ गई है कनाडा की आबादी
कनाडा की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी के मुताबिक कनाडा की आबादी 2023 से 2024 तक 3.2 प्रतिशत यानी 13 लाख बढ़ी है. यह 1957 के बाद सबसे बड़ी सालाना वृद्धि है. कनाडा में पिछले एक साल में जनसंख्या में जितना इजाफा हुआ, उसका 97% अप्रवासियों को नागरिकता देने की वजह से हुआ है. कनाडा की 2021 की जनगणना के मुताबिक 23% आबादी विदेश में जन्मी थी, जिन्हें बाद में कनाडा की नागरिकता मिली. 2021 तक ज्यादातर अप्रवासी एशिया और मिडिल ईस्ट के थे. कनाडा में अप्रवासी भारतीयों की संख्या भी अच्छी खासी है. कनाडा में हर 5 में एक अप्रवासी भारतीय है.

कनाडा में कितने घंटे कर सकते हैं काम 
आपको मालूम हो कि कनाडा में पढ़ाई कर रहे दूसरे देशों के विद्यार्थी हर हफ्ते 20 घंटे तक काम कर सकते हैं. हालांकि सेमेस्टर ब्रेक में यह नियम लागू नहीं होता है. उस समय छात्र कितने भी घंटे काम कर सकते हैं. यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर या किसी कंपनी में नौकरी करने के लिए वैलिट स्टडी परमिट होना जरूरी है. उसके बिना कहीं काम करने की अनुमति नहीं मिलेगी.