यूक्रेन-रूस विवाद के बीच यूक्रेन का कहना है कि चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के एक सलाहकार मायखाइलो पोडोलीक ने गुरुवार को कहा, "यह कहना असंभव है कि चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूसी हमले के बाद सुरक्षित है." पोडोलीक ने कहा, "यह आज यूरोप के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है." इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि रूसी सेना चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र को जब्त करने की कोशिश कर रही है.
चेर्नोबिल में हुआ था सबसे बड़ा न्यूक्लिअर हादसा
चेर्नोबिल अब तक के सबसे बड़े न्यूक्लिअर हादसे के लिए जाना जाता है. 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट के नंबर चार रिएक्टर में धमाका हुआ था. जिसके बाद इसके विकिरण पूरे यूरोप तक फैल गए थे. इस घटना में बड़ी तादाद में लोग मारे गए थे. अभी तक उनकी संख्या को लेकर मतभेद हैं. जब यूक्रेन के शहर चेर्नोबिल में परमाणु हादसा हुआ था उस समय वह सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था.
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट यूक्रेन की राजधानी कीव से 130 किलोमीटर उत्तर स्थित है. यह प्लांट यूक्रेन के पड़ोसी मुल्क बेलारूस से 20 किलोमीटर दक्षिण की ओर बसा है. यह प्लांट चार रिएक्टरों से बना है, जिनकी डिजाइनिंग 1970 से 1980 के बीच की गई थी. इसके पास ही एक कृत्रिम तालाब है जो करीब 22 वर्ग किलोमीटर बड़ा है. इस तालाब में प्रीप्यत नदी का पानी आता है. इस तालाब का पानी प्लांट के रिएक्टर में कूलिंग के लिए काम आता था.
प्रीप्यत शहर को 1970 में बसाया गया था. यह चेर्नोबिल प्लांट से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था. यहां पर 1986 में करीब 50 हजार लोग रहते थे. प्लांट से करीब 15 किलोमीटर दूर चेर्नोबिल कस्बा था, जहां की आबादी तकरीबन 12 हजार थी. वहां बाकी का हिस्सा खेती-बाड़ी के लिए इस्तेमाल होता था.
चेर्नोबिल पावर प्लांट
चेर्नोबिल पावर प्लांट में सोवियत डिजाइन के चार RBMK-1000 न्यूक्लियर रिएक्टर लगे थे. जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत और कमजोर पाया गया. RBMK रिएक्टर्स प्रेशर ट्यूब डिजाइन के थे, जिनमें यूरेनियम-235 डाईऑक्साइड को पानी गर्म करने के लिए ईंधन की तरह उपयोग किया जाता था जिससे भाप निकलती थी. इससे रिएक्टर के टर्बाइन चलते थे और बिजली पैदा होती थी.
UN Scientific Committee on the Effects of Atomic Radiation के अनुसार 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल परमाणु प्लांट में रूटीन मेंटेनेंस जांच चल रही थी. तभी विस्फोट हुआ. दरअसल हुआ ये कि संयंत्र के संचालक किसी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने जरूरी कंट्रोल सिस्टम्स को बंद कर दिया था. जो सुरक्षा के नियमों के खिलाफ है. इसकी वजह से रिएक्टर खतरनाक स्तर पर असंतुलित हो गए. रिएक्टर-4 बंद किया गया था. ताकि सुरक्षा संबंधी तकनीकों की जांच की जा सके. लेकिन इसी समय विस्फोट हो गया. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह हादसा अधिक भाप और अधिक हाइड्रोजन की वजह से हुआ.
रूस ने चेर्नोबिल को ही क्यों चुना
चेर्नोबिल शहर उत्तरी यूक्रेन में बेलारूस और यूक्रेन की सीमा से सिर्फ 10 मील की दूरी पर है, जो एक प्रमुख रूसी सहयोगी है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूस ने चेर्नोबिल पर इसलिए कब्जा किया क्योंकि यह सैन्य बलों के लिए सबसे छोटा रास्ता साबित होगा. चेर्नोबिल को एक आसान लक्ष्य के रूप में देखा गया क्योंकि यह 2,600 वर्ग किलोमीटर के 'बहिष्कृत क्षेत्र' के कारण सीमा के बहुत करीब है. 'बहिष्कृत क्षेत्र' का मतलब है कि यूक्रेन की अन्य अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की तुलना में वहां सुरक्षा बहुत कमजोर है.