चीन को हम सालों से उसकी दमनकारी नीतियों के लिए जानते आए हैं. अब खबर है कि चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा और उसके आसपास के इलाकों में तिब्बती नव वर्ष मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. तिब्बती नव वर्ष (लोसर) समारोह के दौरान, अल्पसंख्यक समुदाय को चीन की तरफ से रुकावटों का सामना करना पड़ा. चीन ने इसे कोरोना प्रतिबंध का नाम दिया है. ऐसे में कहा गया है कि अगर तिब्बती लोग प्रतिबंधों को मानने से इनकार करते हैं तो उन्हें कड़े नियमों का पालन करना पड़ेगा.
क्या है लोसर?
तिब्बतियों के नए साल की शुरुआत लोसर से ही होती है. इस साल लोसर महोत्सव 3 मार्च से शुरू हो रहा है. इस त्योहार को तिब्बती समुदाय के लोग दिवाली की तरह मनाते हैं. हांगकांग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती राष्ट्रीयता से बहुत परहेज करती है. चीन पहले भी तिब्बत में मानवाधिकारों के दमन के लिए बदनाम रहा है. चीन अपने वन चाइना पॉलिसी को लेकर कट्टर है और ऐसे कदम चीन की इसी रणनीति का हिस्सा हैं.
क्यों मनाते हैं लोसर?
लोसर के उत्सव का पता तिब्बती पूर्व-बौद्ध काल (127 ईसा पूर्व - 629 ईस्वी) से लगाया जा सकता है. उस समय तिब्बती बॉन धर्म के अनुयायी थे और हर सर्दियों में एक आध्यात्मिक समारोह आयोजित करते थे. समारोह के दौरान, लोगों ने स्थानीय आत्माओं, देवताओं और रक्षकों को खुश करने के लिए बड़ी मात्रा में धूप जलाई. बाद में यह धार्मिक उत्सव एक वार्षिक तिब्बती बौद्ध उत्सव के रूप में विकसित हुआ.
कैसे होता है आयोजन?
इस दौरान तिब्बती मूल के लोग रंग-बिरंगे परिधान पहनते हैं और तरह-तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. लोग अलग-अलग समूहों में डांस भी करते हैं. तिब्बत का यह आयोजन करीब 15 दिनों तक चलता है. यह तिब्बती कैलेंडर का पहला दिन होता है. लोसर पर तिब्बत की देवी वाल्डेन ल्हामो की आराधना होती है. तिब्बती बौद्ध इस दौरान अपने घरों को अलग-अलग रंगों से सजाते हैं.
परंपरागत रूप से, तिब्बती नव वर्ष का उत्सव पुराने वर्ष के अंतिम दिन से शुरू होकर और नए साल के तीसरे दिन समाप्त होने तक 5 दिनों तक चलता है. इस दौरान लोग कई तरह के काम करते हैं जैसे घर की सफाई, रीयूनियन डिनर खाना, भूतों को भगाना, पड़ोसियों से मिलना आदि.