हमेशा से अपने अजीबो गरीब काम के लिए जाना जाने वाला चीन अब कुछ नई योजना बना रहा है. चीन अपने अंतरिक्ष स्टेशन, तियांगोंग का निर्माण पूरा करने के बाद, शून्य गुरुत्वाकर्षण में जीवन विज्ञान अनुसंधान के लिए तैयार हैं. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट जैसे चाइनीज न्यूज प्लेटफार्मों ने सोमवार को बताया कि देश उन शून्य-गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में प्रजनन का परीक्षण करने के लिए बंदर को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है.
अंतरिक्ष में प्रजनन
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अंतरिक्ष स्टेशन के लिए वैज्ञानिक उपकरणों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक झांग लू का हवाला देते हुए बताया कि अनुसंधान अंतरिक्ष स्टेशन के सबसे बड़े मॉड्यूल में किया जाएगा, जिसका उपयोग जीवन विज्ञान प्रयोगों के लिए होगा. इसके लिए चूहों और मकाक से जुड़े कुछ अध्ययन यह देखने के लिए किए जाएंगे कि वे अंतरिक्ष में कैसे बढ़ते हैं या प्रजनन भी करते हैं. ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी और अन्य अंतरिक्ष वातावरण के लिए एक जीव के अनुकूलन की हमारी समझ को बेहतर बनाने में मदद करेंगे.
चीनी विज्ञान अकादमी इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है. अकादमी ऐसी परिस्थितियों में परीक्षणों के लिए आवश्यक परिष्कृत वैज्ञानिक उपकरण भी उपलब्ध कराएगी. इस परियोजना के वेंटियन मॉड्यूल पर संचालित होने की उम्मीद है जिसे इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया था.
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में और कई प्रयोग
अंतरिक्ष स्टेशन के तियानहे, वेंटियन और मेंगटियन लैब मॉड्यूल इसे मूल टी-आकार की संरचना प्रदान करते हैं. अंतिम लैब के डॉकिंग के बाद, चीन पृथ्वी की कक्षा से परे अपनी दीर्घकालिक स्थायी उपस्थिति में परीक्षण करने के लिए तैयार है.चीन मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (CMSA) ने तकनीकी क्षेत्रों से लेकर चिकित्सा विज्ञान तक के क्षेत्रों में 1,000 से अधिक प्रयोग करने का लक्ष्य रखा है. एजेंसी को कई अन्य देशों से भी आवेदन अनुरोध प्राप्त हुए हैं और वर्तमान में लगभग 9 अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रयोग हैं जिन्हें तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर लॉन्च किया जाएगा, जो पृथ्वी से 388.9 किलोमीटर ऊपर है.
सामने आई कई चुनौतियां
इससे पहले किए गए अध्ययनों में अंतरिक्ष में जेब्राफिश और कीड़े जैसे छोटे जीवों के प्रजनन का आकलन किया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि चूहों और प्राइमेट जैसे अधिक जटिल जीवन रूपों पर इस तरह के शोध करने के लिए उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सोवियत संघ के शोधकर्ता 18 दिनों की यात्रा के दौरान चूहों को अंतरिक्ष में मेटिंग के लिए ले गए, लेकिन उन्होंने पाया कि उनमें से किसी ने भी पृथ्वी पर लौटने के बाद जन्म नहीं दिया.