दक्षिण भारत के सिरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च में पले-बढ़े एक भारतीय मूल के पादरी को मध्य इंग्लैंड में लाफबॉरो का नया बिशप नियुक्त किया गया है. रेवरेंड मलयिल लुकोस वर्गीस मुथलली, जिन्हें साजू के नाम से जाना जाता है, साउथ इंग्लैंड के रोचेस्टर के सेंट मार्क गिलिंगम के पादरी हैं. शुक्रवार को डाउनिंग स्ट्रीट की घोषणा के अनुसार, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने लीसेस्टर डायसिस में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है.
सबसे कम उम्र के बिशप
केरल के रहने वाले साजू ने बैंगलोर के सदर्न एशिया बाइबल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की है और विक्लिफ हॉल, ऑक्सफोर्ड में प्रशिक्षण प्राप्त किया. उन्होंने लैंकेस्टर के सेंट थॉमस चर्च जो ब्लैकबर्न डायसिस के अंदर आता है, में अपनी सेवा दी और 2009 में उन्हें इंग्लैंड के चर्च में पुजारी की उपाधि मिली. 'द चर्च टाइम्स' के अनुसार, वह इंग्लैंड के चर्च में अभी तक नियुक्त किए गए बिशपों में सबसे कम उम्र के बिशप होंगे. उन्हें अगले साल 42 साल की उम्र में बिशप के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
बैंगलोर के कुष्ठ अस्पताल में हुई परवरिश
अखबार के अनुसार साजू ने इस मौके पर कहा “मैं भारत के बैंगलोर शहर के एक कुष्ठ अस्पताल में पला बढ़ा, जहाँ मेरी माँ ने एक नर्स के रूप में काम किया. बचपन से ही, मेरा हृदय गरीबी में जीने वालों की ओर झुक गया. गरीब लोग सिर्फ गरीब लोग नहीं हैं; वे माताएं हैं, कलाकार हैं, प्रतिभाशाली नेता हैं, दोस्त हैं, ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण के प्रति जुनूनी हैं." "मुझे हमेशा गरीबी में जीवन जीने वालों की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है, चाहे वह यूके के एक पैरिश में हो, इरिट्रिया की जेलों में मिशन यात्रा हो, या एटीडी फोर्थ वर्ल्ड (एक मानव-अधिकार गरीबी-विरोधी संगठन) के निदेशक के रूप में अपने काम के माध्यम से हो, ”उन्होंने कहा.
2019 में बने थे पादरी
इससे पहले, साजू को 2011 में उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड के कार्लिस्ले डायसिस में सेंट थॉमस, केंडल और सेंट कैथरीन, क्रुक में एसोसिएट पादरी नियुक्त किया गया था. उन्होंने रोचेस्टर डायसिस में सेंट मार्क, गिलिंगम और सेंट मैरी द्वीप में 2015 से प्रीस्ट -इन-चार्ज के रूप में अपनी सेवा दी. फिर 2019 में उन्हें पादरी के पद पर पदोन्नत किया गया था.