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इन देशों के पास नहीं है कोई सेना, इस तरह करते हैं अपनी सीमा की सुरक्षा

पुलिस और सेना हर देश की सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं. जहां पुलिस की जिम्मेदारी देश की आंतरिक सुरक्षा की होती है, वहीं सेना की जिम्मेदारी सीमा की सुरक्षा की होती है. पर कुछ देशों की सुरक्षा बिना आर्मी के होती है.

भारतीय सेना (फाइल फोटो) भारतीय सेना (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • पनामा 1990 के बाद से किसी भी सेना के बिना चल रहा है.

  • आइसलैंड के पास कोई स्थायी सैन्य बल नहीं है.

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग ने पूरी दुनिया के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. एक तरफ जहां छोटा सा देश यूक्रेन बड़ी और आधुनिक हथियारों से लैस रूसी सेना से मुकाबला कर रहा है. वहीं दूसरी ओर तमाम देश भी अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं. जंग के इन हालातों के बीच हर देश के मन में यही चिंता है कि क्या हम भी ऐसी किसी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं. ऐसे में हर देश अपनी सेना और सैन्य उपकरणों को मजबूत करने में लगा हुआ है. पर इन सबके बीच कुछ देश ऐसे भी हैं जिनकी अपनी कोई सेना नहीं है. 

किसी देश की ताकत का अंदाजा उसकी सैन्य ताकत से लगाया जाता है. जिस देश की सेना जितनी बड़ी होती है, उसे दुनिया उतना ही ताकतवर मानती है. इन हालतों में जहां लगभग हर देश के पास आधुनिक परमाणु हथियार और बड़ी सशस्त्र सेना है कुछ देश ऐसे भी हैं जिनकी अपनी कोई सेना नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये देश अपनी सीमाओं की रक्षा कैसे करते हैं? भविष्य में अगर कोई देश इनपर हमला कर दे तो ये देश अपनी सुरक्षा कैसे करेंगे? पुलिस और सेना हर देश की सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं. जहां पुलिस की जिम्मेदारी देश की आंतरिक सुरक्षा की होती है, वहीं सेना की जिम्मेदारी सीमा की सुरक्षा की होती है. पर कुछ देशों की सीमा सुरक्षा बिना आर्मी के होती है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ देशों के बारे में जिनके पास कोई सेना नहीं है और कैसे ये अपने देश की बाहरी आक्रमण से सुरक्षा करते हैं. 

मॉरीशस ( Mauritius)

हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राज्य मॉरीशस में 13 लाख निवासी रहते हैं. मॉरीशस को 1968 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता मिली थी. हालांकि, मॉरीशस के पास अपनी कोई नियमित सशस्त्र सेना नहीं है. इसके पास पुलिस बल और एक अर्धसैनिक इकाई है जिसे स्पेशल मोबाइल फोर्स कहा जाता है. यहां पुलिसकर्मी ही आंतरिक और बाहरी दोनों सुरक्षा की जिम्मेदारी को संभालते हैं।

कोस्टा रिका (Costa Rica)

यह देश बिना सैन्य अभियानों के सबसे बड़े देशों में से एक है. 1949 के बाद से कोस्टा रिका में कोई सशस्त्र बल नहीं है. 1948 में यहां एक भयंकर गृहयुद्ध छिड़ गया था, जिसके बाद से इस देश ने अपनी सेना को समाप्त कर दिया था. आमतौर पर पुलिस फोर्स का इस्तेमाल ही देश की सुरक्षा के लिए किया जाता है. यहां आंतरिक मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस मौजूद होती है।

पनामा (Panama) 

यह देश 1990 के बाद से किसी भी सेना के बिना चल रहा है. हालांकि देश की आंतरिक समस्याओं और सीमा की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा दस्ता रखा जाता है, जिसे पनामा पब्लिक बल कहते हैं. 

वेटिकन सिटी (Vetican City)

वेटिकन सिटी दुनिया का सबसे छोटा देश है. साथ ही ये सबसे कम आबादी वाला देश भी है. ये देश मात्र 0.44 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इश देस की आबादी मात्र 840 है. यहां कैथोलिक चर्च का मुख्यालय है जहां प्रमुख पोप और दूसरे अधिकारी रहते हैं. दुनिया के इस सबसे छोटे देश की अपनी खुद की कोई स्थायी सेना नही है. यहां आंतरिक सुरक्षा के लिए Gendarmerie नाम की पुलिस वाहिनी रखी जाती है. स्विस गार्ड यहां Holy See की रक्षा करने के लिए तैयार रहते हैं. 

आइसलैंड (Iceland)

आइसलैंड यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस देश के पास 1869 से ही कोई सेना नही है. आइसलैंड के पास कोई स्थायी सैन्य बल नहीं है. यह देश नाटो का सदस्य है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका के पास है।

समोआ (Samoa)

इस देश की स्थापना के समय से ही इसके पास कोई सैन्य बल नही है| हालांकि, एक पुलिस बल आंतरिक सुरक्षा का ख्याल रखता है. सन 1962 के रक्षा समझौते के अनुसार, न्यूजीलैंड इसकी सैन्य रक्षा के लिए जिम्मेदार है. इस देश को 1962 में आजादी मिली थी. इससे पहले समोआ न्यूजीलैंड की गुलामी कर रहा था. आजादी मिलने के बाद से इस देश ने अपनी कोई सेना तैयार नहीं की. दरअसल इस देश को न्यूजीलैंड से आजादी इसी शर्त पर मिली थी कि वो अपनी कोई सेना नहीं बनाएगा. इन दोनो देशों के बीच हुई संधि के अनुसार जब भी समोआ को सेना की जरूरत होगी तो वो न्यूजीलैंड से मदद मांगेगा.