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ना बैलेट पेपर...ना EVM...इस देश में होती है कंचों से वोटिंग, जानिए क्या मतदान की पूरी प्रक्रिया

गांबिया में चुनाव की प्रक्रिया काफी अलग है. यहां राष्ट्रपति का पद सबसे ऊंचा होता है. इसके लिए चुनाव भी होते है. यहां राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है. चुनाव के लिए आम जनता कंचों के वोट करती है.

इस देश में होती है कंचों से वोटिंग इस देश में होती है कंचों से वोटिंग
हाइलाइट्स
  • गांबिया में कंचों से होता है चुनाव

  • बैलेट बॉक्स नहीं यहां मेटल सिलेंडर चलता है

देश भर में चुनाव का माहौल है. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे कल घोषित कर दिए जाएंगे. भारत में मतगणना EVM मशीन से होती है. इसे पहले भी बैलेट पेपर पर हुआ करती थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी हैं, जहां पर कंचों के जरिए वोट किया जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया की.

पांच साल पहले गांबिया में खत्म हुआ गांबिया में तानाशाही राज
पिछले साल दिसंबर महीने की शुरुआत में ही पश्चिम अफ्रीका के देश गांबिया में चुनाव हुए थे. इन चुनावों में एडामा बोरा ने जीत हासिल की थी, और राष्ट्रपति बने थे. पांच साल पहले बोरा की जीत के साथ ही गांबिया में 20 साल लंबी तानाशाही का अंत हुआ था. गांबिया में चुनाव प्रक्रिया काफी अलग होती है. यहां कंचों से हार-जीत का फैसला होता है. यहां ना तो बैलेट पेपर होता है, ना EVM और ना ही VVPAT जैसी कोई मशीन.

गांबिया में कंचों से होता है चुनाव
गांबिया में चुनाव की प्रक्रिया काफी अलग है. यहां राष्ट्रपति का पद सबसे ऊंचा होता है. इसके लिए चुनाव भी होते है. यहां राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है. चुनाव के लिए आम जनता कंचों के वोट करती है, और कंचे गिन कर ही उम्मीदवारों के हार-जीत का फैसला होता है.

बैलेट बॉक्स नहीं यहां मेटल सिलेंडर चलता है
गांबिया में वोट डालने के लिए भारत की तरह ही पोलिंग स्टेशन बनाए जाते हैं. हर पोलिंग स्टेशन पर मेटल सिलेंडर रखे जाते हैं. ये सिलेंडर उम्मीदवार के पार्टी के रंग से जुड़े होते हैं. जनता को कोई दिक्कत ना हो इसलिए इन सिलेंडरों पर उम्मीदवार का नाम भी लिख दिया जाता है. इन सिलेंडरों के ऊपर एक होल होता है. इस होल के जरिए जनता कंचे सिलेंडर के अंदर डालती है. वोटों की गिनती के लिए आखिर में इन सिलेंडरों का इस्तेमाल होता है. उसके बाद सारे कंचे छेदों वाली एक स्क्वायर ट्रे में रखे जाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया काफी निष्पक्ष मानी जाती है और सभी इस पर विश्वास रखते हैं.

1965 में हुई थी इसकी शुरुआत
गांबिया में कंचों के जरिए वोट डालने की प्रक्रिया सन् 1965 में अंग्रेजों ने कराई थी. यहां पर ज्यादातर लोगों के पढ़े-लिखे ना होने के कारण ये व्यवस्था कराई गई थी. ताज्जुब की बात ये है कि गांबिया के लोगों को आज भी इस परंपरा पर काफी विश्वास है, और कंचों से ही वोट डालते हैं.