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Population Report: कहीं नसबंदी पर बैन तो कहीं पैसों से मदद... रूस में लंच-कॉफी ब्रेक में यौन संबंध बनाने पर जोर... चीन, ब्राजील, ईरान, इटली की सरकारें जनसंख्या बढ़ाने पर ऐसे कर रहीं काम

Country Troubled by Declining Population: भारत सहित कई देश जहां आबादी कम करने पर जोर दे रहे हैं तो वहीं कुछ देश जनसंख्या बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. प्रजनन दर बढ़ाने के लिए ईरान ने सरकारी अस्पताल में नसबंदी नहीं करने की नीति अपनाई है तो वहीं रूस ने लंच-कॉफी ब्रेक में यौन संबंध बनाने की अपील की है.

Population (File Photo: PTI) Population (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • प्रजनन दर कम होने से चिंतित रूस

  • ईरान में अधिकतर महिलाएं नहीं पैदा करना चाहतीं बच्चा

दुनिया के कई देश जहां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जनसंख्या (Increasing Population) से परेशान हैं, वहीं कुछ ऐसे भी देश हैं, जो अपनी घटती जनसंख्या से परेशान हैं. ये देश जनसंख्या बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं. कहीं पर नसबंदी पर बैन लगा दिया गया है तो कहीं पर पैसों से मदद की जा रही है.

जनसंख्या बढ़ाने के लिए चीन (China) सहित कई देशों ने अपनी वर्षों से चली आ रही जनसंख्या नीतियों में बदलाव तक कर दिया है. अब इसी क्रम में रूस ने भी कदम बढ़ाया है. यहां पर ऑफिस में लंच और कॉफी ब्रेक के दौरान यौन संबंध बनाने पर जोर दिया जा रहा है. आइए जानते हैं किस देश में जनसंख्या बढ़ाने के लिए कौन से तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं.  

1. जब भी काम से ब्रेक मिले शारीरिक संबंध बनाएं रसियन
रूस में प्रजनन दर लगातार गिरती जा रही है. इससे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी चिंतित हैं. मेट्रो की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस में प्रजनन दर फिलहाल प्रति महिला लगभग 1.5 बच्चे है, जबकि एक देश की जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए ये दर 2.1 होनी चाहिए. इससे कम होने पर उस देश की आबादी घटने लगती है. रूस की जनसंख्या भी घटने लगी है. यहां जहां कपल कम बच्चे पैदा कर रहे हैं तो दूसरी ओर यूक्रेन से युद्ध की वजह से भी बड़ी तादाद में रूसी युवाओं ने देश को छोड़ दिया है. इसने संकट को और बढ़ा दिया है. इस संकट से निपटने के लिए राष्ट्रपति पुतिन ने लोगों से ऑफिस या अन्य जगहों पर काम के दौरान लंच या कॉफी ब्रेक में शारीरिक संबंध बनाने और ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी है. 

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राष्ट्रपति पुतिन गिरती जन्म दर पर पहले भी चिंता जता चुके हैं. वह रूसी महिलाओं से कम से कम 8 बच्चों को जन्म देने और बड़े परिवार बनाने की अपील कर चुके हैं. आंकड़े बताते हैं कि रूस की जन्म दर साल 1999 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. इस साल जून के महीने में बच्चों के जन्म की संख्या एक लाख से नीचे आ गई है. रूस की सरकारी सांख्यिकी एजेंसी रोसस्टैंट के मुताबिक पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में जनवरी और जून 2024 के बीच 16,000 कम बच्चों का जन्म हुआ. रूस ने जनसंख्या दर बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. मास्को में 18-40 वर्ष की महिलाओं को उनकी प्रजनन क्षमता जांचने के लिए मुफ्त परीक्षण की सुविधा दी जा रही है. नियोक्ताओं से कहा जा रहा है कि वे महिला कर्मचारियों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करें. चेल्याबिंस्क इलाके में 24 साल से कम उम्र की महिला छात्रों को पहले बच्चे के जन्म पर 8,500 पाउंड दिए जा रहे हैं. इस देश में गर्भपात (अबॉर्शन) की सुविधा को सीमित किया गया है. इस देश में तलाक के चलन को कम करने के लिए इसके शुल्क को बढ़ा दिया गया है.

2. चीन ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए उठाए ये कदम 
कभी चीन अपनी बढ़ती जनसंख्या से परेशान था. उसने इस पर लगाम लगाने के लिए साल 1979 में वन चाइल्ड की योजना (One Child Policy) शुरू की थी. इस योजना को कड़ाई से लागू किया था. इस योजना के तहत चीन में सभी परिवारों को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की इजाजत थी. जो लोग इस योजना को नहीं मानते थे उनपर उनकी इनकम का 3 से 10 गुना जुर्माना, सरकारी नौकरी से बर्खास्तगी, शिक्षा-स्वास्थ्य समेत कई अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता था. इतना ही नहीं दूसरे बच्चे का स्कूल में दाखिला भी नहीं होता और वह सरकारी सुविधाओं से भी वंचित रहता. कुछ मामलों में तो दंपति को जेल भेजने तक का भी प्रावधान था. 

हालांकि इस देश में दूसरा बच्चा कुछ खास परिस्थितियों में पैदा किया जा सकता था जैसे कि किसी ग्रामीण परिवार में पहला बच्चा लड़की हो गई या फिर पहला बच्चा दिव्यांग हो गया हो. इससे ड्रैगेन ने बढ़ती जनसंख्या पर तो बहुत हद तक नियंत्रण पा लिया लेकिन उसके सामने अब एक गंभीर समस्या पैदा हो गई है. दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला यह देश आज जन्म-दर में हो रही अत्यधिक कमी से जूझ रहा है. इससे पार पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहा है. चीन सरकार ने साल 2016 में वन चाइल्ड पॉलिसी में ढील दी और दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी. इसके बाद 2021 में इसे और भी उदार करके तीन बच्चे पैदा करने की छूट दे दी गई. चीन की युवा पीढ़ी शादी और बच्चे पैदा करने में कम दिलचस्पी ले रही है. चीनी सरकार युवाओं को आर्थिक सहायता और टैक्स छूट जैसे प्रोत्साहन के जरिए आबादी बढ़ाने के प्रयास कर रही है. चीन में कई महिलाएं बच्चे पैदा करना इसलिए नहीं चाहती हैं क्योंकि यहां बच्चों की देखभाल और पढ़ाई काफी महंगी है. बच्चों का पालन-पोषण के लिए महिलाओं को अपने करियर से भी समझौता करना पड़ता है. 

3. ईरान सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए इसपर लगाई रोक
ईरान में साल 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद इस देश की जनसंख्या में तेज गति से बढ़ोत्तरी हुई. इस पर लगाम लगाने के लिए यहां की सरकार ने एक सख्त जनसंख्या नीति लागू कर दी. इस नीति के बाद लोगों ने शादी कम करनी शुरू कर दी है. इतना ही नहीं जो शादीशुदा हैं, उनमें से अधिकतर बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं. ऐसा कई लोग आर्थिक परेशानियों के कारण भी कर रहे हैं.  

इसका परिणाम यह हुआ कि इस देश में बुजुर्गों की संख्या तो बढ़ती गई लेकिन युवाओं की संख्या घटती गई. इसके देखते हुए ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि ईरान में सालाना जनसंख्या वृद्धि दर 1 फीसद से भी कम हो गई है. यदि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो अगले 30 वर्षों में ईरान दुनिया से सबसे बुजुर्ग देशों में एक हो जाएगा. इसके बाद ईरान की संसद ने देश की जनसंख्या बढ़ाने के लिए नसबंदी और गर्भ निरोधकों पर रोक लगा दी है. यानी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल केंद्रों में पुरुषों की नसबंदी नहीं की जाएगी. सिर्फ उन्हीं महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाएं दी जाएंगी, जिनको स्वास्थ्य कारणों से उन्हें लेना जरूरी होगा. ईरान सरकार ने गर्भ निरोधक विज्ञापनों को भी बैन कर दिया है. 

4. इटली सरकार जनसंख्या बढ़ाने के लिए कर रही यह काम 
इटली की जनसंख्या 2017 की जनगणना के अनुसार 6 करोड़ 10 लाख थी. लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक सदी के आखिर तक इटली की जनसंख्या घटकर दो करोड़ 80 लाख हो जाएगी. यहां बुजुर्गों की संख्या काफी ज्यादा है. विश्व बैंक के 2019 के आंकड़ों के अनुसार इटली में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी 23 फीसदी है. इससे यहां की सरकार काफी चिंतित है. प्रजनन दर बढ़ाने के लिए इटली की सरकार ने साल 2015 में एक योजना शुरू कर चुकी है.

इसके तहत कपल यानी दंपति को एक बच्चा होने पर सरकार की तरफ से 725 पाउंड (करीब 69 हजार रुपए) दिए जाते हैं. इसके बावजूद इस देश का प्रजनन दर यूरोपीय संघ में सबसे कम है. इटली में युवा जनसंख्या कम होने का एक और कारण प्रवासन है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में 1 लाख 57 हजार लोग इटली छोड़कर किसी और देश में चले गए थे. लोग खासकर युवा दूसरे देश में न जाएं अपने देश में रहें, इसके लिए इटली सरकार कई उपाय कर रही है. लोगों को केवल 1 यूरो में घर दिए गए हैं. इतना ही नहीं वहां रहने के लिए अलग से पैसे भी दिए जाते हैं. इन पैसों से लोग रोजगार शुरू कर सकते हैं. इसके अलावा इटली के कई शहरों ने स्थानीय आबादी को बढ़ाने और उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. 

5. जापान में बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा
जापान जनसंख्या के हिसाब से विश्व का सबसे बुजुर्ग देश है. सरकारी अनुमान के मुताबिक 2040 तक इस देश में बुजुर्गों की संख्या 35 फीसदी से अधिक हो जाएगी. इसके कारण यहां मेहनत और श्रम करने वालों की संख्या और  कम हो जाएगी. इससे जापान सरकार काफी चिंतित है.

जापान की जनसंख्या 2017 की जनगणना के अनुसार 12 करोड़ 80 लाख थी. लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के आखिर तक जापान की जनसंख्या आधी रह जाएगी यानी करीब पांच करोड़ 30 लाख. अभी इस देश में प्रजनन दर 1.4 फीसदी है. इसका मतलब है कि एक महिला औसतन 1.4 बच्चे को जन्म देती है. यदि ऐसा ही रहा तो इस देश में काम करने योग्य लोगों की संख्या घटकर काफी कम हो जाएगी. 

6. ब्राजील में प्रजनन दर लगातार हो रही कम 
लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील की प्रजनन दर लगातार कम हो रही है. साल 1960 में इस देश में प्रजनन दर 6.3 थी, जो अब घटकर 1.7 रह गई है. इस देश की साल 2017 में जनसंख्या 21 करोड़ थी, जिसमें भारी गिरावट हुई है. इस देश की आबादी घटकर 16 करोड़ से भी कम हो गई है.

साल 2012 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक इस देश में घटती जनसंख्या का प्रमुख कारण टेलीविजनों पर सीरियलों में छोटे परिवार का दिखाया जाना है. इसका इतना असर लोगों पर पड़ा कि उन्होंने एकदम छोटा परिवार रखना शुरू कर दिया. इससे इस देश की जन्म-दर कम होती चली गई. हालांकि यहां पर किशोरों में बढ़ती प्रेगनेंसी एक नई समस्या बनकर उभर रही है. इसपर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक कैंपेन शुरू किया है, जिसका टैगलाइन है, किशोरावस्था पहले, गर्भावस्था बाद में.