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Deep State के आलोचक Kash Patel बने FBI Chief: क्या होता है डीप स्टेट, क्या होने वाला है एफबीआई का भविष्य... जानिए सब कुछ

काश पटेल एक अनुभवी वकील और रिपब्लिकन तो हैं ही, लेकिन उन्होंने डीप स्टेट के आलोचक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है. यह डीप स्टेट क्या है. और एफबीआई चीफ बनने पर काश पटेल क्या कर सकते हैं, आइए डालते हैं एक नजर.

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पदभार संभालने से पहले नियुक्तियां शुरू कर दी हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) का नया चीफ चुना है. खास बात यह है कि काश लंबे समय से एफबीआई और उसके काम करने के तरीके के आलोचक रहे हैं. काश ने लंबे समय से एफबीआई के नाम को 'डीप स्टेट' से जोड़ा है. और एफबीआई का चीफ बनने से

पहले उन्होंने इस ब्यूरो के लिए अपने इरादे भी जाहिर किए थे. इससे पहले कि डीप स्टेट और एफबीआई पर काश की बातों पर रोशनी डालें, आइए जानते हैं कि यह होता क्या है.

क्या होता है डीप स्टेट?
"डीप स्टेट" शब्द का इस्तेमाल अकसर सरकारी अधिकारियों और ऐसे रसूखदार लोगों के लिए किया जाता है जो कथित तौर पर सत्ता से बाहर रहकर सरकार चलाते हैं. डीप स्टेट थ्योरी मानने वाले लोगों के अनुसार यह एक नेटवर्क है. इनके अनुसार एफबीआई जैसी खुफिया एजेंसियों में कई ऐसे लोग हैं जो अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी कामकाज को प्रभावित करते हैं.

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ऐसा कहा जाता है कि यह नेटवर्क निर्वाचित नेताओं और जनता से स्वतंत्र रूप से संचालित होता है. इसका काम संभावित रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करना है. ताकि एक खास एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके. हालांकि इसकी मौजूदगी के कोई ठोस सबूत नहीं हैं. कई लोग दावा करते हैं कि यह छिपकर काम करता है जबकि कुछ का कहना है कि डीप स्टेट जैसा कुछ नहीं होता.

डीप स्टेट पर क्या कहते हैं पटेल?
काश पटेल यह कह चुके हैं कि अमेरिका में डीप स्टेट सरकार के फैसलों को प्रभावित करता है. और वह करीब एक दशक से इससे लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अपनी किताब Government Gangsters: The Deep State, the Truth, and the Battle for Our Democracy में काश लिखते हैं, "डीप स्टेट आखिर क्या है? इस किताब के कुछ किरदार चुने हुए लीडर हैं. कुछ पीत पत्रकार हैं जो सत्ता पर काबिज़ रसूखदार लोगों के लिए काम करते हैं. और कुछ गैर-सरकारी संगठनों से जुड़े बड़े उद्योगपति हैं जो डेमोक्रेट्स और वामपंथी संगठनों के लिए पानी लेकर चलते हैं."

इसके बाद पटेल एफबीआई को अपना निशाना बनाते हैं. वह कहते हैं, "लेकिन मेरा सबसे ज्यादा छिपा हुआ दुश्मन फेडरल ब्यूरोक्रेसी है जिसे लगता है कि अमेरिका पर शासन करने का हक उसे होना चाहिए. संसद या राष्ट्रपति को नहीं. साथ मिलकर ये सब डीप स्टेट बन गए हैं." 

क्या है एफबीआई का भविष्य?
पटेल ने कई साक्षात्कारों और सार्वजनिक बयानों से एफबीआई को उखाड़ फेंकने और उसके मिशन को मौलिक रूप से नया आकार देने के इरादे का संकेत दिया है. उन्होंने एफबीआई की पकड़ को ढीला करने और इसके अधिकार को सीमित करने की बात कही है. उन्होंने यह भी कहा है कि पत्रकारों को जानकारी का खुलासा करने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. 

इस साल की शुरुआत में "शॉन रयान शो" पर एक इंटरव्यू में पटेल ने एफबीआई की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की गतिविधियों को उसके बाकी मिशन से अलग करने की कसम खाई थी. पटेल यहां तक कह चुके हैं कि वह वाशिंगटन डी.सी. में एफबीआई के हेडक्वार्टर को बंद करके उसे 'डीप स्टेट' के म्यूजियम के तौर पर खोलेंगे. 

यह सब बातें पटेल ने ट्रंप के चुनाव प्रचारक के तौर पर कही थीं. अब ट्रंप सत्ता में आ गए हैं. और पटेल एफबीआई चीफ बन गए हैं. देखना दिलचस्प होगा कि हाथ में शक्तियां आने के बाद वह क्या कदम उठाते हैं.