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इससे पहले भी करीब चार दशकों तक श्रीलंका में लागू रहा है आपातकाल, जानें कब-कब लगी है Emergency और क्या थी वजह

आर्थिक स्थिति की वजह से हो रहे प्रदर्शन को रोकने के लिये श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से पहले 2018 में भी राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने देश के कुछ हिस्सों में मुस्लिम विरोधी हिंसा को रोकने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी.

Sri Lanka and Emergency Sri Lanka and Emergency
हाइलाइट्स
  • इससे पहले भी लग चुका है आपातकाल 

  • आपातकाल घोषित करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है

श्रीलंका आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. देश के लोगों को बिजली और जरूरी सामान भी नहीं मिल पा रहे हैं. आर्थिक स्थिति की वजह से हो रहे प्रदर्शन को रोकने के लिये श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को देश में आपातकाल की घोषणा की. बता दें, एक साल में यह दूसरी बार है जब राजपक्षे ने इमरजेंसी का सहारा लिया है. पिछली बार आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी से निपटने के लिए साल 2021 में 30 अगस्त को आपातकाल की घोषणा की गई थी. 

बता दें, इस बार श्रीलंका के हालात हाथों से बाहर निकल गए हैं. लोगों को देश में आर्थिक मंदी के कारण बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. जिसे देखते हुए ही श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया है. 

इससे पहले भी लग चुका है आपातकाल 

दरअसल, ऐसा पहली बार नहीं है कि श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया है. इससे पहले कई बार वहां इमरजेंसी की घोषणा की जा चुकी है. बता दें, सबसे पहले बार श्रीलंका में साल 1958 में आपातकाल लगाया गया था. इसकी वजह थी सिंहली को ‘ओनली लैंग्वेज पॉलिसी’ के तौर पर अपनाया गया था. और फिर 1971 के बाद, जब लेफ्ट विंग जनता विमुक्ति पेरामुना ने अपना पहला विद्रोह किया था.

उससे बाद, श्रीलंका में 27 साल तक लगातार इमरजेंसी लगाई गई थी. ये इमरजेंसी जुलाई 1983 से अगस्त 2011 के तमिल विरोधी दंगों की वजह से लगाई गई थी. तमिल समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई), जिसे तमिल टाइगर्स के नाम से भी जाना जाता है, के अलग राज्य की मांग के कारण उपजे गृहयुद्ध के कारण इस इमरजेंसी को लगाया गया था.

इतना ही नहीं, 2018 में भी राजपक्षे से पहले, राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने मार्च में देश के कुछ हिस्सों में मुस्लिम विरोधी हिंसा को रोकने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, जिसमें दो लोगों की मौत, आगजनी और संपत्ति को नुकसान हुआ था. 

1971 से कुछ संक्षिप्त अंतराल को छोड़ दिया जाए तो करीब चार दशकों तक श्रीलंका में आपातकाल लागू रहा है.

किसके हाथ में है इमरजेंसी घोषित करना?

आपको बता दें, आपातकाल घोषित करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है. संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत राष्ट्रपति को ही सरकार का मुखिया माना जाता है. इसके तहत सार्वजनिक व्यवस्था या समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव के लिए राष्ट्रपति अपने हिसाब से देश में इमरजेंसी की घोषणा कर सकते हैं.