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Che Guevara Story: 23 साल में बाइक यात्रा, 31 साल में गुरिल्ला युद्ध से क्यूबा में क्रांति, 39 साल में मौत... ऐसा था क्रांतिकारी चे ग्वेरा का सफर

Ernesto Che Guevara Birth Anniversary: दुनिया के सबसे बड़े क्रांतिकारी चे ग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 को एक अर्जेंटीना के रोसारियो में हुआ था. 23 साल की उम्र ग्वेरा ने बाइक से कई देशों की यात्रा की और गरीबों की समस्याओं को समझा. 100 गुरिल्ला लड़ाकों के साथ मिलकर ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा की बतिस्ता सरकार को उखाड़ फेंका था.

14 जून 1928 को अर्जेंटीना में क्रांतिकारी चे ग्वेरा का जन्म हुआ था 14 जून 1928 को अर्जेंटीना में क्रांतिकारी चे ग्वेरा का जन्म हुआ था

आज सोशल मीडिया का जमाना है. क्रांति भी सोशल मीडिया पर हो रही है. ट्यूनिशिया, लीबिया और यमन जैसे देशों में सोशल मीडिया पर क्रांति की वजह से सरकारों को गद्दी छोड़नी पड़ी थी. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब सशस्त्र आंदोलन होते थे. आंदोलनकारी गुरिल्ला लड़ाइयां लड़ते थे. उन क्रांतिकारियों में सबसे फेमस नाम चे ग्वेरा का है. आज भी क्रांति की बात होती है तो सबसे पहले चे ग्वेरा का नाम आता है. सिर्फ 100 लड़ाकों के साथ चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो क्यूबा की बतिस्ता सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. चलिए आपको दुनिया में फेमस क्रांतिकारी चे ग्वेरा की कहानी बताते हैं.

चे को बचपन से थी दमा की बीमारी-
चे ग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 को अर्जेंटीना के रोसारियो में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम अर्नोस्तो चे ग्वेरा था. उनके पिता आइरिश मूल के थे, जबकि मां स्पेन के प्रतिष्ठित घराने की थीं. चे ग्वेरा को बचपन में ही दमा की बीमारी हो गई. चे ने ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय से मेडिकल की डिग्री थी औरवो डॉक्टर की प्रैक्टिस करते थे. लेकिन समाज में गरीबी देखकर उन्होंने डॉक्टरी छोड़ दी और गरीब तबके के लिए काम करने लगे.

23 साल की उम्र में बाइक से यात्रा पर निकले-
जब चे ग्वेरा की उम्र 23 साल थी तो वो दुनिया की यात्रा करने की सोची. उन्होंने 500 सीसी बाइक से दक्षिण अमेरिकी देशों की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने इन देशों की बदहाली देखी. इसके बाद उन्होंने कुछ बड़ा करने का सोचा. उनको लगने लगा कि इन समस्याओं का समाधान सशस्त्र आंदोलन से ही हो सकता है. चे ग्वेरा ने इस यात्रा का जिक्र अपनी किताब 'द मोटरसाइकिल डायरीज' में किया.

100 लड़ाकों के साथ क्यूबा फतह-
साल 1955 में सिर्फ 27 साल की उम्र में चे ग्वेरा की मुलाकात फिदेल कास्त्रो से हुई. दोनों क्रांतिकारियों की मुलाकात मैक्सिको में उस समय हुई, जब फिदेल अपने भाई राउल के साथ गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ले रहे थे. इसके बाद क्यूबा में तानाशाही शासन के खिलाफ क्रांति हुई. 100 गुरिल्ला लड़ाकों के साथ चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा की बतिस्ता की सरकार उखाड़ फेंका और सत्ता पर कब्जा कर लिया.

क्यूबा सरकार में बने मंत्री, फिर ठुकराई सत्ता-
क्यूबा में सत्ता में आने के बाद 33 साल की उम्र में चे ग्वेरा को उद्योग मंत्री बनाए गए. क्यूबा में सरकार में रहने के दौरान उन्होंने कई देशों की यात्रा की. इसमें भारत भी शामिल है. चे ग्वेरा 30 जून 1959 को भारत आए थे. लेकिन ज्यादा दिन तक ग्वेरा सत्ता में नहीं रहे. उन्होंने सत्ता सुख छोड़ फिर से क्रांति करने निकल पड़े. 37 साल की उम्र में चे ग्वेरा ने कांगो में विद्रोहियों को गुरिल्ला लड़ाई की ट्रेनिंग दी. इसके बाद वो बोलीविया चले गए.

सबसे फेमस क्रांतिकारी का अंत-
चे ग्वेरा ने साल 1966 में क्यूबा छोड़ दिया और दूसरे देशों में क्रांति करने चले गए. चे ग्वेरा कांगो के बाद बोलीविया में गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दे रहे थे. उधर, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए उनके पीछे पड़ी थी. 7 अक्टूबर 1967 को एक जासूस ने बोलीविया की सेना और सीआईए को चे ग्वेरा की लोकेशन बताई. 8 अक्टूबर को चे ग्वेरा को पकड़ लिया गया. 9 अक्टूबर को 39 साल की उम्र में इस क्रांतिकारी को दिया गया. सार्जेंट मारियो टेरेन ने चे को मारने का आदेश दिया था. चे ग्वेरा को 9 गोलियां मारी गई थी. चे ग्वेरा ने मरते समय हमलावर और हत्यारे बोलीवियाई सार्जेंट टेरेन से कहा था- तुम एक इंसान को मार रहे हो, पर उसके विचार को नहीं मार सकते. चे ग्वेरा के कहे ये शब्द सही साबित हुए. आज भी चे ग्वेरा को दुनिया याद करती है. दुनियाभर के युवाओं में चे ग्वेरा काफी लोकप्रिय हैं.

पढ़ने, शतरंज और मछली पकड़ने का शौक-
चे ग्वेरा को पढ़ने और शतरंज खेलने का बहुत शौक था. कहा जाता है कि उनके घर में एक लाइब्रेरी थी, जिसमें 3 हजार किताबें थीं. उन्होंने बचपन से ही कई शतरंज प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था. ग्वेरा को मछली पकड़ने का भी बहुत शौक था. चे ग्वेरा और फिदेल कास्त्रो एक साथ मछली पकड़ने जाते थे.

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