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Srilanka Crisis: पिछले 20 सालों से श्रीलंका पर राज कर रहा था राजपक्षे परिवार...कैसे संकट में घिरी अर्थव्यवस्था, समझिए

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बड़े संकट में फंस गई है. इसको लेकर जनता में राष्ट्रपति राजपक्षे के खिलाफ नाराजगी है. इसको देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया देश छोड़कर भाग गए हैं.

Srilanka Crisis Srilanka Crisis
हाइलाइट्स
  • विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का असर

  • सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया

श्रीलंका की आबादी करीब 2.25 करोड़ है. अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपना पद छोड़ कर भाग गए हैं. 73 साल के गोटबाया मालदीव में शरण लिए हुए हैं. राष्ट्रपति के भागने के बाद देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है.

विदेशी मुद्रा में भारी कमी के चलते श्रीलंका आर्थिक संकट में फंस गया है. देश में जरूरी वस्तुओं के आयात के भुगतान के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं. देश की हालत खराब हो गई है. जरूरी सामान महंगे हो गए हैं. लोगों तक जरूरी चीजें नहीं पहुंच पा रही हैं. 9 जुलाई को कोलंबो में गुस्साए लोगों ने प्रधानमंत्री के घर में आग लगा दी. राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते रहे थे. लेकिन राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार नहीं थे. श्रीलंका की जनता बिजली कटौती, जरूरी सामानों की आपूर्ति नहीं होने और बढ़ती महंगाई से नाराज है.

श्रीलंका में आर्थिक संकट-
विश्लेषकों का कहना है कि श्रीलंका की वर्तमान सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है. जिसके चलते राष्ट्रीय खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया. जबकि दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया. जिससे सरकार पर 51 बिलियन डॉलर का कर्ज हो गया और अब सरकार लोन पर ब्याज भुगतान करने में असमर्थ है. उधर, देश में महंगाई 54.6 फीसदी तक पहुंच गई है. एक अनुमान के मुताबिक महंगाई दर 70 फीसदी तक बढ़ने की आशंका है.

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का असर-
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण जरूरी सामानों का आयात नहीं हो पा रहा है. पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ गई है. पेट्रोल पंप और गैस स्टेशनों पर लंबी कतार लग रही है. शहरों में बार-बार ब्लैकआउट हो रहा है. अस्पतालों में दवाओं की कमी हो गई है. पेट्रोल, दूध, रसोई गैस और टायलेट पेपर जैसी जरूरी चीजों के आयात के लिए भी पैसा नहीं बचा है. इससे नाराज लोगों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया और अंदर घुस गए. राष्ट्रपति को आवास छोड़कर भागना पड़ा.

सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया-
बिगड़ते आर्थिक हालत के बाद भी सरकार ने आईएमएफ (IMF) से बात नही की. विपक्ष और आर्थिक विश्लेषकों ने सरकार से ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया था. सरकार को भी उम्मीद थी कि टूरिज्म से अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई. संकट में फंसी श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भारत ने मदद की. भारत ने 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद की. चीन, अमेरिका, जापान और अमेरिका जैसे देशों ने भी श्रीलंका की मदद की. लेकिन ये मदद अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए काफी नहीं है.

श्रीलंका में कर्फ्यू लगाया गया-
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़ कर भाग गए है. रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है. इसके बाद पश्चिमी श्रीलंका में कर्फ्यू लगा दिया गया है. राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल का प्रसारण बंद कर दिया गया है. प्रदर्शनकारी देशभर में सरकारी आवासों पर कब्जा करने लगे हैं.

परिवार का शासन-
श्रीलंका को पिछले 20 सालों से राजपक्षे परिवार शासन कर रहा है. साल 2019 में गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति बने थे. उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं. इसके साथ ही महिंद्रा राजपक्षे 2019 से 2022 तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी रहे हैं. उन्होंने संकट के दौरान प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री थे. लेकिन उन्होंने संकट के समय में इस्तीफा दे दिया. पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के दो बेटे नमल राजपक्षे और योशिता राजपक्षे अपने पिता के कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं.