रूस और यूक्रेन विवाद इस वक्त अपने चरम पर है. रूस ने हाल ही में यूक्रेन के दो क्षेत्र लुहान्सक और दोनेत्स्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है. ऐसे में एक सवाल जो सबके मन में है वो है कि आखिर एक देश कैसे बनता है. क्या देश सोच-विचार से बनता है? शांति वार्ता से बनता है? या फिर राजनेताओं के बस कहने भर से बन जाता है? क्या एक घोषणा के साथ ही हम किसी भी क्षेत्र को एक अलग देश बना सकते हैं? तो इसका जवाब है नहीं. इसके लिए कई मानक सेट किए गए हैं.
चलिए समझते हैं कि आखिर एक देश के बनने की प्रक्रिया क्या होती है? क्या हम भी अपना एक देश बना सकते हैं?
एक देश बनाने के लिए जरूरी 4 शर्तें
हम सभी जानते हैं कि इस वक्त दुनिया में करीब 200 देश हैं. इसमें से कुछ नए हैं तो कुछ पुराने. ऐसे में 26 दिसंबर 1933 में उरुग्वे की राजधानी मॉन्टेवीडियो (Montevideo Convention) में एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें किसी भी क्षेत्र या राज्य को अलग देश घोषित करने से जुड़े कुछ नियम और कानून बताए गए थे. तब से लेकर अभी तक इसी आधार पर किसी भी नए देश को बनाया जाता है. इसमें सबसे जरूरी चार बातें हैं-
1. स्थाई जनसंख्या (Population)
2. तय क्षेत्रफल (Geographical)
3. स्थाई सरकार (Government)
4. दूसरे राष्ट्रों के साथ संबंध (Relations)
यूएन से मान्यता लेना भी है जरूरी
आपको बता दें, केवल इतना ही काफी नहीं होता है मॉन्टेवीडियो सम्मेलन से जुड़ी इन चार शर्तों के अलावा ये भी जरूरी होता है कि उस देश में रह रहे लोगों ने बहुमत से एक अलग देश बनने का फैसला किया हो. साथ ही उसे नए देश को यूएन से मान्यता लेनी भी बेहद जरूरी है. मान्यता मिलने के बाद ही इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक (World Bank) जैसी संस्थाएं उस देश को अपना सदस्य बनाती हैं. इसके साथ, नए देश को अंतरराष्ट्रीय कानून का संरक्षण भी मिल सकता है, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक आर्थिक तंत्र तक उसकी पहुंच बन सकती है, और उसके सीमा क्षेत्र की बेहतर सुरक्षा हो सकती है.
अगर यूएन मान्यता न दे तो?
गौरतलब है कि यूएन परिषद में पांच परमानेंट मेंबर हैं, जिन्हें P5 कहा जाता है. इसमें चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, और यूएस शामिल हैं. इन पांचों देशों में से अगर कोई एक भी उस नए देश के खिलाफ वोट करता है तो उसे ‘देश’ घोषित नहीं किया जायेगा. किसी भी नए देश को बनने के लिए इन सभी पांचों देशों के अप्रूवल की जरूरत पड़ती है. अप्रूव होने के बाद इसे जनरल असेंबली में 192 यूएन सदस्य देशों के सामने पेश किया जाता है.
क्या लुहान्सक और दोनेत्स्क नया देश बन सकते हैं?
दरअसल, रूस-यूक्रेन विवाद के बीच में रूस ने लुहान्सक और दोनेत्स्क को अलग देश बनाने की घोषणा की है. ये नया देश बनने की दिशा में पहला कदम कहा जा सकता है. हालांकि ऊपर दी गई सभी शर्तों को भी इन दोनों को मानना जरूरी होगा. मॉन्टेवीडियो सम्मेलन में जो अंतरराष्ट्रीय मानक बनाये गए थे उनका पालन करने के बाद ही ये अलग देश बन पाएंगे.