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19th June in History: आज के दिन ही हुई थी Karl Marx की शादी, महान दार्शनिक का वो लव लेटर, जिसे उन्होंने Jenny von Westphalen को लिखा था

19 जून 1843 को मशहूर दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने अपनी प्रेमिका जेनी वॉन वेस्टफेलन से की थी. जेनी थिएटर समीक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं. मार्क्स और जेनी के 6 बच्चे हुए. कार्ल मार्क्स के चिंतन कालजयी बन गए. उनका असर दुनिया के एक बड़े वर्ग पर पड़ा.

कार्ल मार्क्स और उनकी पत्ना जेनी (Photo/Wikipedia) कार्ल मार्क्स और उनकी पत्ना जेनी (Photo/Wikipedia)

दार्शनिक, इतिहास, समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी में हुआ था. लेकिन 19 जून का दिन भी उनकी जिंदगी का सबसे खास दिन था. इस दिन उन्होंने अपनी प्रेमिका से शादी की थी. आज के दिन ही यानी 19 जून को साल 1843 में कार्ल मार्क्स ने शादी की थी. उस वक्त कार्ल मार्क्स की सिर्फ 25 साल थी. उनकी पत्नी जेनी वॉन वेस्टफेलन एक जर्मन थिएटर समीक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं.

परिवार के साथ निर्वासन में रहना पड़ा-
कार्ल मार्क्स का जीवन बहुत की उतार-चढ़ाव वाला रहा. 17 साल की उम्र में मार्क्स ने कानून की पढ़ाई के लिए बॉन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. उन्होंने कई शोध पत्र लिखे. लेकिन उनके विचारों की वजह से उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कार्ल मार्क्स के राजनीतिक विचारों का असर उनके परिवार पर भी पड़ा. उनको अपनी पत्नी और बच्चों के साथ निर्वासन में रहना पड़ा.

2 साल के अंदर दोनों का निधन-
कार्ल मार्क्स और जेनी में अथाह प्यार था. साल 1881 में जेनी का निधन हो गया. इसके बाद कार्ल मार्क्स भी खोए-खोए से रहने लगे. 14 मार्च 1883 को मार्क्स ने आखिरी सांस ली. मार्क्स का पूरा जीवन आर्थिक संकटों के बीच गुजरा. मार्क्स और जेनी के 6 संतानें हुईं. जिसमें से 3 कन्याएं ही जीवित रहीं. मार्क्स ने अपनी हर बेटी के नाम में पत्नी जेनी का नाम जरूर जोड़ा.

मार्क्स का जेनी को लेटर-
कार्ल मार्क्स अपनी पत्नी जेनी को टूटकर प्यार करते थे. जब वो एक पत्नी से दूर रहते थे तो उनको लेटर लिखते थे. 21 जून 1865 को मार्क्स ने अपनी पत्नी जेनी को लेटर लिखा था. चलिए आपको बताते हैं कि मार्क्स ने उस लेटर में क्या लिखा था.

मैनचेस्टर, 21 जून  1865
मेरी दिल अजीज,
मैं फिर से ये खत तुमको लिख रहा हूं. क्योंकि मैं अकेला हूं और जब भी मैं तुमसे दूर होता हूं, तुम्हें अपने और भी करीब महसूस करता हूँ. तुम हर वक्त मेरे जेहन में होती हो और मैं बिना तुम्हारे किसी भी उत्तर के तुमसे कुछ न कुछ बातें करता रहता हूँ,
ये जो क्षणिक दूरियां हैं, ये बहुत ही सुंदर होती हैं. लगातार साथ रहते-रहते हम एक-दूसरे में, एक-दूसरे की बातों में, आदतों में इस कदर इकसार होने लगते हैं कि उसमें से कुछ भी अलग से देखा जा सकना संभव नहीं रहता. फिर छोटी छोटी सी बातें, आदतें बड़ा रूप लेने लगती हैं, चिडचिड़ाहट भरने लगती हैं. लेकिन दूर जाते ही वो सब एक पल में कहीं दूर हो जाता है, किसी करिश्मे की तरह दूरियां प्यार की परवरिश करती हैं, ठीक वैसे ही जैसे सूरज और बारिश नन्हे पौधों की करती है. मेरी प्रिय, इन दिनों मेरे साथ प्यार का यही करिश्मा घट रहा है. तुम्हारी परछाईयां मेरे आसपास रहती हैं, मेरे ख्वाब तुम्हारी खुशबू से सजे होते हैं. मैं जानता हूँ कि इन दूरियों ने मेरे प्यार को किस तरह संजोया है, संवारा है.
जिस पल तुम मेरे साथ नहीं होती हो, मैं अपने भीतर प्रेम की शिद्दत को फिर से महसूस करता हूँ, मुझे महसूस होता है कि मैं कुछ हूँ. ये जो पढ़ना-लिखना, जानना, आधुनिक होना, ये सब हमारे भीतर के संशयों को उजागर करता है, तार्किक बनाता है, लेकिन इन सबका प्यार से कोई लेनादेना नहीं है. तुम्हारा प्यार मुझे मेरा होना बताता है, मैं अपना होना महसूस कर पाता हूँ तुम्हारे प्यार में.
दुनिया में बहुत सारी महिलाएं हैं, बहुत खूबसूरत महिलाएं हैं, लेकिन वो एक सिर्फ तुम हो, जिसके चेहरे में मैं खुद को देखता हूं. जिसकी एक-एक सांस, एक-एक झुरियां मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत यादें हैं. मेरे जीवन की तमाम तकलीफें उन मीठी यादों के साए में कम लगते हैं. तुम्हारे चेहरे को चूमते हुए मैं अपने जीवन की सभी तकलीफ और दर्द को भूल जाता हूं.
गुड बॉय, मेरी प्रिय. तुम्हें और बच्चों को बहुत सारा प्यार....

तुम्हारा, 
मार्क्स

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