किसी अनुभवी पायलट के लिए भी सिंगल-इंजन प्लेन में दुनिया का चक्कर लगाना आसान नहीं होता है. लेकिन अफगान-अमेरिकी पायलट शाइस्ता वैज़ साल 2017 में अकेले सिंगल-इंजन प्लेन में दुनिया की यात्रा करने वाली सबसे युवा महिला बनी थीं.
अपनी इस 145 दिन की यात्रा के दौरान वह अपने देश में भी रुकी थीं. अपने इस कारनामे के लिए दुनियाभर में सुर्खियां बटोरने वाली शाइस्ता अपने देश अफगानिस्तान में एविएशन स्कूल खोलना चाहती हैं. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें लग रहा है कि अब उनका यह सपना अधूरा रह जाएगा.
अफगानिस्तान की पहली प्रमाणित महिला पायलट:
सालों पहले शाइस्ता ने अफगानी सरकार को पत्र लिखकर अफगानी महिला पायलट्स के बारे में जानकारी मांगी थी. लेकिन उनके पत्र के जवाब में उन्हें बताया गया कि पहले कोई अफगानी महिला प्रमाणित पायलट नहीं रही है. वह पहली हैं. यह बात शाइस्ता के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है.
लेकिन आज वह अपने देश को लेकर बहुत दुःखी हैं. अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद, तालिबान ने देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है. वैज़ के परिवार के बहुत से सदस्य अमेरिका जा चुके हैं तो कुछ अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. जिनके लिए वह चिंतित हैं.
कई बार की एविएशन स्कूल खोलने की कोशिश:
वैसे तो तालिबान का कहना है कि महिलाएं पढ़ सकती हैं लेकिन जमीनी हकीकत शायद कुछ और ही है. इसलिए वैज़ का कहना है कि अब अफगानिस्तान में एविएशन स्कूल खोलने का उनका सपना शायद पूरा नहीं हो पाएगा. साल 2017 में वैज़ अपने देश लौटी थीं और एक इवेंट में यहां की लड़कियों व महिलाओं को प्रेरित किया था.
उसी समय से वह अफगानिस्तान में एविएशन स्कूल खोलने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. उन्होंने कई बार इसे जमीनी स्तर पर ले जाने की कोशिश की लेकिन उन्हें हर बार रोक दिया गया. मिलिट्री सुरक्षा के बाहर महिलाओं का ट्रेनिंग करना असुरक्षित हो सकता है, इसलिए उन्हें हर बार यही कहा गया कि अभी सही समय नहीं है.
2017 में भी तालिबान से मिलने वाली धमकियों के कारण उनके इवेंट की जगह को बदला गया था. लेकिन इस इवेंट में लगभग 300 लड़कियों ने हिस्सा लिया था और इस कारण वैज़ को हौसला मिला.
शरणार्थी कैंप में हुआ था जन्म:
साल 1987 में अफ़गान-सोवियत युद्ध के दौरान शाइस्ता वैज़ का परिवार अफगानिस्तान छोड़कर अमेरिका चला गया था. उसी दौरान उनका जन्म एक शरणार्थी कैंप में हुआ था. उनके परिवार में माता-पिता के अलावा पांच बहने भी हैं. वह अपने परिवार में पहली महिला हैं जिसने बैचलर्स और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. वैसे तो उनका मानना है कि सपने बड़े हों, तो उन्हें पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता.
लेकिन अफगानिस्तान के बिगड़ते हालातों ने उन्हें मायूस कर दिया है कि अपने देश में एविएशन स्कूल खोलने का उनका सपना शायद सपना ही रह जाएगा.
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