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दुनिया का पहला 'इनोवेशन,' ब्रिटेन ने सिंथेटिक फ्यूल बना इससे उड़ाई फ्लाइट

कुछ समय पहले कनाडा में 'क्लाइमेट चेंज' की पहली मरीज की पुष्टि की गई. जिसके बाद यह और भी जरुरी हो गया है कि सभी देश आगे बढ़कर जीरो कार्बन एमिशन मिशन पर काम करें. इसके लिए, सभी देशों द्वारा अलग-अलग प्रयास किए भी जा रहे हैं. जैसे कि हाल ही में ब्रिटेन से एक अच्छी खबर मिली है. ब्रिटेन की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया है कि इस महीने की शुरुआत में रॉयल आर्मी फाॅर्स (RAF) ने सिंथेटिक फ्यूल के साथ पहली फ्लाइट पूरी की है.

सिंथेटिक फ्यूल का इस्तेमाल कर पूरी की फ्लाइट (साभार: ट्विटर) सिंथेटिक फ्यूल का इस्तेमाल कर पूरी की फ्लाइट (साभार: ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • रॉयल आर्मी फाॅर्स ने बनाया रिकॉर्ड

  • सिंथेटिक फ्यूल से पूरी की पहली उड़ान

क्लाइमेट चेंज की समस्या से आज सभी देश जूझ रहे हैं. कुछ समय पहले कनाडा में 'क्लाइमेट चेंज' की पहली मरीज की पुष्टि की गई. जिसके बाद यह और भी जरुरी हो गया है कि सभी देश आगे बढ़कर जीरो कार्बन एमिशन मिशन पर काम करें. इसके लिए, सभी देशों द्वारा अलग-अलग प्रयास किए भी जा रहे हैं. 

जैसे कि हाल ही में ब्रिटेन से एक अच्छी खबर मिली है. ब्रिटेन की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया है कि इस महीने की शुरुआत में रॉयल आर्मी फाॅर्स (RAF) ने सिंथेटिक फ्यूल के साथ पहली फ्लाइट पूरी की है. यह उड़ान इकरस C42 माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट में पूरी की गई. 

इस छोटी टेस्ट फ्लाइट को ग्रुप कप्तान पीटर हैकेट ने पूरा किया. 

पानी से हाइड्रोजन लेकर बनाया सिंथेटिक फ्यूल: 

डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि सिंथेटिक UL91 फ्यूल को जीरो पेट्रोलियम ने पानी से हाइड्रोजन और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन लेकर बनाया है. इसके बाद, नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत जैसे हवा, सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके हाइड्रोजन और कार्बन को मिलाकर सिंथेटिक फ्यूल तैयार किया गया. 

मिनिस्ट्री का दावा है कि इस सिंथेटिक फ्यूल का इस्तेमाल करके 80 से 90 फीसदी प्रति फ्लाइट कार्बन बचाया जा सकता है. RAF का उद्देश्य भविष्य में अपने फास्ट जेट्स के लिए सिंथेटिक फ्यूल का इस्तेमाल करना है. 

दुनिया का पहला 'इनोवेशन':

यह दुनिया में अपनी तरह का पहला 'इनोवेशन' है. जो ब्रिटेन को साल 2050 तक अपने जीरो कार्बन एमिशन मिशन को पूरा करने में सहयोग करेगा. 

एविएशन इंडस्ट्री ग्रीनहाउस गैसों के सबसे ज्यादा उत्सृजन के लिए जिम्मेदार इंडस्ट्रीज में से है. लेकिन अब इस इंडस्ट्री का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल रहते हुए कम प्रदूषण वाले ईंधन बनाना है. वहीं, RAF की योजना है कि वे 2025 तक अपना पहला नेट जीरो एयरबेस स्थापित कर लें. 

इस तरह बनते हैं सिंथेटिक या इलेक्ट्रोफ्यूल्स (ई-फ्यूल):

सबसे पहले ईलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से हाइड्रोजन प्राप्त की जाती है और वायुमंडल में उपलब्ध कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन लिया जाता है. इन दोनों को साथ में मिलाकर एविएशन केरोसिन जैसा सिंथेटिक फ्यूल तैयार होता है. 

लेकिन इस प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल रखने के लिए जरुरी है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से तैयार बिजली जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाए.