एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए पोप फ्रांसिस ने एक बड़े बदलाव के तहत पहली बार महिलाओं को अक्टूबर में होने वाली बिशप की वैश्विक बैठक में मतदान करने की अनुमति देने का फैसला किया है. यह उन्हें निर्णय लेने की व्यापक जिम्मेदारियां प्रदान करने और कैथोलिक गिरजाघर के प्रबंधन में आम जन की भागीदारी बढ़ाये जाने को प्रदर्शित करता है.
काफी समय से हो रही थी मांग
अभी तक महिलाओं को ऑडिटर के रूप में सायनोड, एक पोप सलाहकार निकाय में भाग लेने की अनुमति थी, लेकिन वोट देने का कोई अधिकार नहीं था. दशकों से, महिलाएं सायनोड में मताधिकार दिये जाने की मांग करती आ रही थीं. कैथोलिक महिला समूह लंबे समय से वेटिकन काउंसिल की आलोचना करते रहे हैं कि महिलाओं के साथ दूसरे दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. इसकी अगली बैठक अक्टूबर में होने का कार्यक्रम है. नये बदलावों के तहत, पांच धार्मिक ‘सिस्टर’ धार्मिक आदेशों के लिए मतदान प्रतिधनिधि के तौर पर पांच पादरियों के साथ यह जिम्मेदारी निभाएंगी.
मिलेगा मताधिकार
इसके अलावा, फ्रांसिस ने सायनोड के 70 गैर-बिशप सदस्यों को नियुक्त करने का भी फैसला किया है और कहा कि उनमें से आधी महिलाएं होंगी. उनके पास भी मताधिकार होगा. पोप राष्ट्रीय बिशप सम्मेलनों द्वारा अनुशंसित 140 लोगों की सूची में से 70 पुजारियों, धार्मिक सिस्टर्स, उपयाजकों और काथलिकों का चयन करेंगे. वेटिकन ने कहा है कि 70 में से 50% महिलाएं हैं. धर्मसभा में आमतौर पर लगभग 300 लोग शामिल होते हैं, इसलिए मतदान के अधिकार वाले अधिकांश लोग अभी भी धर्माध्यक्ष होंगे. फिर भी, यह परिवर्तन उस संस्था के लिए उल्लेखनीय है जो सदियों से पुरुष-प्रधान रही है.
नए नियम वेटिकन में महिलाओं को निर्णय लेने वाले पदों पर रखने के लिए फ्रांसिस द्वारा पिछले साल उठाए गए दो प्रमुख कदमों का पालन करते हैं.
एक में, उन्होंने एक ऐतिहासिक सुधार पेश किया, जो Holy See के केंद्रीय प्रशासन के लिए एक नए संविधान के तहत महिलाओं सहित किसी भी बपतिस्मा प्राप्त कैथोलिक को अधिकांश वेटिकन विभागों का नेतृत्व करने की अनुमति देगा. इससे पहले पोप ने तीन महिलाओं को एक ऐसी समिति में नामित किया जिनमें पहले सभी पुरुष थे और जो उन्हें दुनिया के बिशपों का चयन करने की सलाह देती है.