पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का अस्पताल में इलाज चल रहा है. उनकी हालत नाजुक बनी हुई है. परिवार की तरफ से उनकी सेहत के लिए प्रार्थना करने की अपील की गई है. परिवार की तरफ से ट्वीट किया गया कि अब वो वेंटिलेंटर पर नहीं हैं. एमाइलॉयडोसिस बीमारी की वजह से 3 हफ्ते से अस्पताल में भर्ती हैं. उनकी हालत नाजुक है. उनका रिकवरी कर पाना मुश्किल है. उनके अंग खराब हो रहे हैं. उनके लिए दुआ करें. दरअसल उनके निधन की खबर आई थी. जिसके बाद परिवार की तरफ से ट्वीट करके जानकारी दी गई.
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का जन्म नई दिल्ली के दरियागंज में 11 अगस्त 1943 को हुआ था. उनका परिवार नहर वाली हवेली में रहता था. मुशर्रफ के परदादा टैक्स कलेक्टर थे. जबकि उनके नाना काजी थे. 1947 में बंटवारे के बाद मुशर्रफ का परिवार पाकिस्तान चला गया था. उस वक्त मुशर्रफ सिर्फ चार साल के थे. मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफ पाकिस्तानी विदेश सेवा में थे. मुशर्रफ की मां ने भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद यूनाइटेड नेशन के लिए काम किया. मुशर्रफ अपने परिवार में तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. उनके बड़े भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ एक अर्थशास्त्री हैं और रोम में रहते हैं.
आर्मी में शामिल हुए मुशर्रफ-
परवेज मुशर्रफ की प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई. मुशर्रफ ने लाहौर के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. मुशर्रफ का पसंदीदा सब्जेक्ट मैथ था. साल 1961 में 18 साल की उम्र में मुशर्रफ पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी में शामिल हुए. साल 1964 में मुशर्रफ ने अली कुली खान और अब्दुल अजीज मिर्जा के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की. मुशर्रफ को सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर आर्टिलरी रेजिमेंट में कमीशन किया गया था. जल्द ही मुशर्रफ पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप कमांडो बटालियन में बतौर कंपनी कमांडर शामिल हुए.
भारत के खिलाफ लड़ा युद्ध-
परवेज मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लिया था. उन्होंने 1965 में भारत के खिलाफ युद्ध लड़ा था. इस दौरान मुशर्रफ सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट रैंक पर काम कर रहे थे. इस युद्ध में उनको वीरता पुरस्कार मिला था. हालांकि इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी. जब बांग्लादेश की आजादी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. उस वक्त मुशर्रफ स्पेशल सर्विसेज ग्रुप में थे. इस बार भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. साल 1999 में कारगिल युद्ध को भी मुशर्रफ की देन मानी जाती है.
राष्ट्रपति बने मुशर्रफ-
साल 1998 में परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के आर्मी चीफ बने और साल 1999 में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का तख्ता पलट दिया और पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. इसके बाद 2002 में आम चुनाव में मुशर्रफ की जीत हुई. इस चुनाव में कोई विपक्ष नहीं था. साल 2007 में मुशर्रफ ने चीफ जस्टिस इफ्तिकार चौधरी को बर्खास्त कर दिया. इसके बाद कराची में खूब बवाल हुआ. मुशर्रफ के आदेश पर सेना ने लाल मस्जिद पर हमला कर दिया. हालात बिगड़ने लगे तो मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगा दी. इसी मामले में मुशर्रफ पर देशद्रोह का मामला चला.
2019 में हुई फांसी की सजा-
साल 2014 में पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाने के आरोप लगे. उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चला. इसमें उनको दोषी पाया गया. 17 दिसंबर 2019 को इस्लामाबाद कोर्ट ने परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई. सजा सुनाए जाने से पहले ही मुशर्रफ ने पाकिस्तान छोड़ दिया था और दुबई में रहने लगे.
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