scorecardresearch

G-7 Summit: क्या है जी-7... India इस संगठन का सदस्य भी नहीं... फिर भी 5वीं बार समिट में शामिल होने Italy पहुंचे PM Modi... यहां जानिए क्यों

G-7 Summit: जी-7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं. 25 मार्च 1973 को इस संगठन की शुरुआत हुई थी. जी-7 ग्रुप का भारत सदस्य नहीं है, इसके बावजूद लगातार 5वीं बार पीएम मोदी इसमें शामिल हो रहे हैं. 

Prime Minister Narendra Modi (Photo: PTI) Prime Minister Narendra Modi (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • जी-7 की 50वीं समिट में हिस्सा लेने इटली पहुंचे पीएम मोदी

  • भारत नहीं है जी-7 ग्रुप का सदस्य 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता संभाली है. पीएम मोदी नई सरकार बनाने के बाद पहली विदेश यात्रा पर गुरुवार शाम करीब 6:40 बजे इटली के लिए रवाना हुए. वह वहां जी-7 समिट (G7 Summit) में हिस्सा लेंगे.

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने पीएम मोदी को इटली आने का न्योता दिया है. PM Modi के इटली पहुंचने से पहले ही इटली में हो रहे G-7 में हिंदुस्तान की छाप देखने को मिली. पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने अपने मेहमानों का स्वागत नमस्ते से किया. आमतौर पर भारतीय नेता दूसरे देश के नेताओं के स्वागत में हाथ जोड़ते हैं. 

क्या है जी-7
जी-7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं. 25 मार्च 1973 को इस संगठन की शुरुआत हुई थी. जी-7 कभी जी-6 तो कभी जी-8 भी हुआ करता था. शुरुआत में रूस भी इस संगठन का हिस्सा था लेकिन बाद में कुछ मतभेदों के बाद रूस को इस समूह से निकाल दिया गया. रूस के साथ रहने पर इस समूह में 8 सदस्य देश थे और इसे जी-8 कहा जाता था. 

सम्बंधित ख़बरें

यह संगठन मानवीय मूल्यों की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय शांति का समर्थक, समृद्धि और सतत विकास के सिद्धांत पर चलता है. इसके साथ ही यह समूह खुद को कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज का आदर करने वाला समूह मानता है.  जी-7 का किसी भी देश में मुख्यालय नहीं है. इस समूह में शामिल देश बारी-बारी से शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं. जिस देश के पास इसकी मेजबानी होती है, उसे ही इस ग्रुप का अध्यक्ष कहा जाता है. इस ग्रुप की स्थापना तेल संकट से उबरने के लिए की गई थी. जी-7 सदस्य देश वर्तमान में ग्लोबल जीडीपी का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

किन मुद्दों पर होगी चर्चा
G7 की 50वीं समिट में जलवायु परिवर्तन, मध्य-पूर्व और इजराइल-गाजा के बीच हो रहे संघर्ष पर चर्चा होगी. यूक्रेन के राष्ट्रपति भी यूक्रेन-रूस युद्ध से संबंधित दो सेशंस में भाग लेंगे. 14 जून को AI (Artificial Intelligence), माइग्रेशन और ऊर्जा पर बात होगी. इसके बाद 15 जून को इटली एक प्रेस-वार्ता करेगा. G-7 के शिखर सम्‍मेलन में किन मुद्दों पर चर्चा हुई और उसका क्‍या हल निकाला गया, इसकी जानकारी आयोजन के खत्‍म होने के बाद जारी की जाती है. चूकी जी-7 कोई औपचारिक संगठन नहीं है. इसमें जिन मुद्दों पर सहमति बनती है, सदस्य देश उन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं होते. ये उनके देश के कानून और उनकी निजी पसंद पर निर्भर करता है. 

इन देशों को भी किया है आमंत्रित
भारत जी-7 का सदस्य नहीं है. इसके बावजूद पीएम मोदी को शामिल होने का न्योता मिला है. भारत 11वीं बार जी-7 में हिस्सा ले रहा है तो वहीं पीएम मोदी इस सम्मेलन में 5वीं बार भाग ले रहे हैं. इंडिया को Outreach Country के तौर पर इस बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. इटली ने इंडिया के अलावा ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, मिस्र, केन्या, मॉरिटानिया, ट्यूनीशिया और संयुक्त राष्ट्र को भी आमंत्रित किया है. यूरोपीय संघ जी-7 का सदस्य नहीं है, लेकिन वह वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेता है.

जी-7 इतना अहम क्यों
1. जी-7 एक ग्लोबल पॉलिसी फोरम है. इसमें शामिल सातों देश मिलकर पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करते हैं.
2. अर्थव्यवस्था की नजर से दुनिया के 9 सबसे बड़े देशों में से सात जी-7 में शामिल हैं.
3. प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया के 15 टॉप के देशों में से सात जी-7 के सदस्य हैं.
4. जी-7 में शामिल देश दुनिया के 10 सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल हैं.
5. जी-7 के सदस्य देश यूनाइटेड नेशंस को डोनेशन देने वाले टॉप-10 देशों की लिस्ट में हैं.
6. जी-7 की स्थापना करने के पीछे मूल उद्देश्य यही था कि इसमें शामिल अमीर देश आर्थिक परेशानियों का समाधान निकालने के लिए काम करें.

भारत की ताकत का कराया है एहसास 
जी-7 ग्रुप का भारत सदस्य नहीं है, इसके बावजूद पीएम मोदी इसमें शामिल हो रहे हैं. पूरे एशिया में सिर्फ भारत को ही बुलावा भेजा गया है जो अपने आप में काफी कुछ कहता है. उधर, चीन भी इस समूह का हिस्सा नहीं है, ऐसे में चीन की बढ़ती हुई विस्तारीकरण की नीति से निपटने के लिए यह समूह भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है. G7 की बैठक में चीन को काबू करने के लिए भारत भी अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम कर सकता है. जी-7 में कई ट्राइलैट्रल यानी जरूरत के मुताबिक अलग-अलग तीन देशों की मीटिंग होती हैं. इसमें भारत भी किन्हीं दो देशों के साथ बैठकर किसी मुद्दे पर अपनी बात रख सकता है. 

इसमें शामिल हो कर भारत इन देशों की तेज गति से विकास करने की रणनीति को भी अमल में ला सकता है. भारतीय प्रधानमंत्री को न्योता मिलना इस लिहाज से भी बेहद खास है कि हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. वहीं जी-7 लोकतांत्रिक देशों का संगठन है. भारत में हुए आम चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार जीते हैं. वहीं इस बैठक से पहले इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी की पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली को यूरोपियन यूनियन के चुनावों में बंपर जीत मिली है.

चुनावों में जीत के बाद मेलोनी जी-7 के सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक के तौर पर उभरी हैं. वहीं जी-7 की बैठक के लिए भारत को खास न्योता देकर उन्होंने दुनिया को एक बार फिर भारत की ताकत का एहसास कराया है. भारत की बढ़ती साख का ही नतीजा है कि आज अमेरिका और रूस दोनों भारत को अपने पाले में रखना चाहते हैं और खुलकर भारत के प्रधानमंत्री की तारीफ करते हैं. दुनियाभर के नेताओं के साथ भारत के रिश्ते 'इंडिया फर्स्ट' की नीति पर बुने जा रहे हैं.