इजरायल और हमास के बीच जंग रुकने का नाम नहीं ले रही है. इजराइल ने शुक्रवार को जवाबी हमले में गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बमबारी कर कई इमारतों को खंडहर बना दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक दोनों की ओर से करीब 2800 लोगों की जान जा चुकी है. इतना ही नहीं बल्कि इजरायल ने गाजा के लिए फरमान जारी कर दिया है. इजरायल ने गाजा को खाली करने का फरमान जारी कर दिया है. इजरायल सेना 24 घंटे के अंदर आम लोग उत्तरी गाजा को खाली करके दक्षिण की ओर चले जाने के लिए कहा है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह बड़े जमीनी हमले की तैयारी में है.
एक छोटी सी पट्टी है गाजा
गाजा पट्टी बहुत बड़ा एरिया नई है. ये भूमध्य सागर पर इजरायल और मिस्र के बीच एक छोटी सी जमीन है. ये लगभग वाशिंगटन, डी.सी. जितनी है. इस पट्टी पर पहले ओटोमन साम्राज्य और फिर ब्रिटिश साम्राज्य का कब्जा था. ये दो फिलिस्तीनी क्षेत्रों में से एक छोटे वाला क्षेत्र है. दूसरे क्षेत्र को वेस्ट बैंक कहा जाता है.
दरअसल, 1948 में इजरायल के बनने के बाद, मिस्र ने लगभग दो दशकों तक गाजा पर अपना कंट्रोल रखा. साल 1967 में अपने अरब पड़ोसियों के खिलाफ छह दिन चले युद्ध में इजरायल की जीत हुई. जिसके बाद उसने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर अपना कंट्रोल ले लिया. उसने अगले 38 साल तक इस पट्टी को कंट्रोल किया और इस दौरान यहां 21 यहूदी बस्तियों का निर्माण हुआ.
गाजा पट्टी का इतिहास
साल 2005 में, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव के तहत, इजरायल ने गाजा से लगभग 9,000 इजरायली निवासी और उसकी मिलिट्री फाॅर्स को वापस बुला लिया, जिससे इस क्षेत्र को फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने अपने कंट्रोल में ले लिया.
इजरायल गैर सरकारी संगठन गीशा के अनुसार, आज, लगभग 140 वर्ग मील में 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी रहते हैं, यह दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है. गाजा में रहने वाले आधे फिलिस्तीनी 19 साल से कम उम्र के हैं. लेकिन उनके पास सामाजिक आर्थिक विकास और बाहरी दुनिया तक सीमित पहुंच नहीं है. या अगर है भी तो बेहद कम है.
कौन करता है गाजा को कंट्रोल?
गाजा को हमास कंट्रोल करता है. हमास और कोई नहीं बल्कि वही ग्रुप है जिसका वेस्ट बैंक में ओस्लो शांति समझौते पर बातचीत करने वाले फिलिस्तीनी लीडर्स के साथ बार-बार टकराव हुआ है. हमास एक तरह का उग्र फिलिस्तीनी राष्ट्रवादी आंदोलन है जिसका नेतृत्व वर्तमान में इस्माइल हनियाह कर रहे हैं. 2006 में वहां चुनाव जीतने के बाद इसने गाजा पर नियंत्रण कर लिया था. तब से वहां कोई भी चुनाव नहीं हुआ है.
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों की दलीलों के बावजूद, इजरायल ने 2007 से गाजा पर जमीन, हवा और समुद्री नाकाबंदी जारी रखी है जिसका फिलिस्तीनी नागरिकों पर काफी गलत प्रभाव पड़ा. एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल का कहना है कि ये नाकाबंदी उसे गाजा की सीमाओं पर कंट्रोल देती है. साथ ही ये इजरायली नागरिकों को हमास से बचाने के लिए जरूरी है.
लेकिन रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति नाकाबंदी को अवैध मानती है और कहती है कि यह जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. संयुक्त राष्ट्र, अलग-अलग मानवाधिकार ग्रुप और कानूनी एक्सपर्ट्स, नाकाबंदी का हवाला देते हुए, गाजा को अभी भी इजराइल के सैन्य कब्जे में मानते हैं.
क्या है हमास?
गौरतलब है कि हमास फिलिस्तीनी क्षेत्रों में दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक है. ये 1987 में गाजा और वेस्ट बैंक पर इजरायल के कब्जे के खिलाफ विद्रोह के दौरान स्थापित किया गया था. यह समूह मूल रूप से मुस्लिम ब्रदरहुड की एक ब्रांच थी, जो इस्लामवादी सिद्धांतों का समर्थन करता है. ये इस धारणा पर काम करता है कि इस्लाम को राजनीतिक जीवन में एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए.
हालांकि, इजरायल पर हमास के हमलों के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सहित कई देशों ने इसे एक आतंकवादी संगठन करार दिया हैं. जबकि हमास का मानना है कि यह फिलिस्तीनियों को कब्जे से मुक्त कराने और इजरायल के बड़े हिस्से को फिर से प्राप्त करने के लिए एक आजादी की लड़ाई के लिए एक आंदोलन है.
खुली हवा वाली जेल है हमास
ह्यूमन राइट्स वॉच ने गाजा की स्थितियों की तुलना एक खुली हवा वाली जेल से की है. इजराइली मानवाधिकार समूह बी'त्सेलम के अनुसार, इजरायल फिलिस्तीनियों को दुर्लभ मामलों को छोड़कर कहीं भी आने जाने की इजाजत नहीं देता है. हालांकि, इजरायली, यहूदी निवासी और विदेशी उन प्रतिबंधों के अधीन नहीं आते हैं और वे गाजा के अंदर और बाहर यात्रा आसानी से कर सकते हैं. पिछले कुछ साल में, इजरायल ने धीरे-धीरे गाजा से इजरायल में लैंड बॉर्डर पार करना बंद कर दिया है. विश्व बैंक के अनुसार, आयात और लगभग सभी निर्यातों को सीमित करके, इजरायल की 16 साल की नाकाबंदी ने गाजा की अर्थव्यवस्था को लगभग 40% से ज्यादा बेरोजगारी दर के साथ नीचे की ओर धकेल दिया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा में 65% से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है. संयुक्त राष्ट्र मानता है कि हिंसा की वजह से बच्चों की एक पीढ़ी पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहे हैं.