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Canada Politics: फंड और फ्यूचर... सिखों पर टिका Justin Trudeau की पार्टी का भविष्य, इसलिए भारत को आंखें दिखा रहे हैं कनाडा के प्रधानमंत्री

Sikh Politics In Canada: कनाडा की सियासत में सिख समुदाय की अहम भूमिका है. साल 2021 आम चुनाव में सिख समुदाय की सियासत करने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एनडीपी को 17.8 फीसदी वोट मिले थे. कनाडा में 7 लााख 70 हजार सिख हैं और उनकी सियासत में अच्छी-खासी पकड़ है.

Justin Trudeau (Photo/PTI) Justin Trudeau (Photo/PTI)

भारत और कनाडा के रिश्ते लगातार बदतर होते जा रहे हैं. भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को देश से निकाल दिया है. इतना ही नहीं, भारत ने कनाडा में अपने हाई कमिश्नर संजय वर्मा को भी वापस बुलाने का फैसला किया है. दोनों देशों में इस तनाव की वजह एक हत्याकांड है. सिख अलगाववादी लीडर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के संबंध बिगड़े हैं. भले ही इस तनाव की वजह निज्जर की हत्या हो, लेकिन इसके तार कनाडा में होने वाले साल 2025 के आम चुनाव से जुड़े हैं. क्यों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत से संबंध खराब कर रहे हैं? क्यों कनाडा की तरफ से लगातार विवादित बयान आ रहे हैं? क्या इसके पीछे सियासत है? साल 2025 में कनाडा में चुनाव होने वाले हैं. कनाडा की सियासत में सिख समुदाय की अच्छी-खासी पकड़ है. ट्रूडो किसी ना किसी तरह से इस समुदाय के वोट बैंक को लुभाना चाहते हैं. क्याा इसलिए ट्रूडो की सरकार की तरफ से इस तरह की हरकतें की जा रही हैं? चलिए विस्तार से इन मुद्दों को समझते हैं.

क्यों भारत ने उठाया बड़ा कदम-
कनाडा में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई. इस मामले की जांच में कनाडा के हालिया कदम से भारत नाराज है. ट्रूडो सरकार ने जांच में भारतीय हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा को 'पर्सन ऑफ इंटरेस्ट' के तौर जोड़ा है. जिसपर भारत ने सख्त ऐतराज जताया है. भारत ने कनाडा के डिप्लोमेट को तलब किया. इसके बाद भारत ने कनाडा से हाई कमिश्नर को वापस बुलाने का फैसला किया. इसके साथ ही कनाडा के 6 राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया है.

ट्रूडो के विवादित बयान-
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल भारत पर बिना सबूत निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था. पीएम का दावा था कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है. भारत की तरह से लगातार सबूत मांगे गए. लेकिन कनाडा ने कोई सबूत नहीं दिए. माना जा रहा है कि ट्रूडो सरकार सिख वोट बैंक को साधने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. आखिर कनाडा में सिख वोट बैंक इतना अहम क्यों है? कनाडा की सियासत क्या है? क्यों ट्रूडो भारत से पंगा ले रहे हैं? चलिए बताते हैं.

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कितने अहम हैं सिख-
साल 2021 की जनगणना के मुताबिक कनाडा की कुल आबादी 3 करोड़ 70 लाख है. इसमें से 4 फीसदी यानी 16 लाख आबादी भारतीय मूल की है. इसमें 7 लाख 70 हजार सिख हैं यानी सिखों की आबादी 2.1 फीसदी है. पिछले 20 साल में कनाडा में सिखों की आबादी दोगुनी हो गई है. कनाडा में सिख देश का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है. ईसाई, मुस्लिम और हिंदू के बाद सिखों की संख्या ज्यादा है. कनाडा में पंजाबी भी खूब बोली जाती है. कनाडा के ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया, ओटावा, विनीपेग और अल्बर्टा में सबसे ज्यादा सिख रहते हैं. कनाडा में 4.15 लाख सिखों के पास रहने के लिए स्थाई घर है. जबकि 1.19 लाख सिख बिना स्थाई घर के कनाडा में रह रहे हैं. 

कनाडा की सियासत में दबदबा-
कनाडा में सिखों की आबादी कुछ खास नहीं है. लेकिन ये समुदाय कुछ इलाकों में बहुतायत में रहता है. इसलिए सियासी तौर पर उन इलाकों में इस समुदाय का वर्चश्व है. मौजूदा समय में कनाडा में भारतीय मूल के 19 सांसद हैं. जिसमें से 3 कैबिनेट मंत्री हैं.

कनाडा की 8 सीट ऐसी है, जहां पूरी तरह से सिखों का दबदबा है. इसके अलावा 15 दूसरी सीटों पर भी सिख समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

साल 2015 में जब जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस समय उनकी कैबिनेट में 4 सिख मंत्री थे. कनाडा के सियासी इतिहास में कैबिनेट में सिखों की इतनी संख्या पहली बार थी. उस समय पीएम ट्रूडो ने कहा था कि भारत की मोदी सरकार से ज्यादा उनकी कैबिनेट में सिख मंत्री हैं.

एनडीपी की ताकत-
कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पाार्टी (NDP) सिखों की सियासत करती है. इसके लीडर जगमीत सिंह हैं. साल 2019 आम चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला तो एनडीपी ने लिबरल पार्टी को समर्थन दिया और इसके नेता ट्रूडो प्रधानमंत्री बने. इस चुनाव में एनडीपी को 24 सीटें मिली थीं. लेकिन साल 2021 में मध्यावधि चुनाव हुए. जिसमें फिर से ट्रूडो की पार्टी को बहुमत नहीं मिला. 338 सांसदों वाली लोकसभा में ट्रूडो सरकार को 157 सांसदों का समर्थन है. इस चुनाव में भी एनडीपी के 25 सांसदों ने जीत दर्ज की थी. एनडीपी को 17.8 फीसदी वोट हासिल हुए.

फिलहाल एनडीपी ने ट्रूडो सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. एनडीपी को खालिस्तान समर्थन माना जाता है. एनडीपी खालिस्तानी विचारधारा का समर्थन करती है और उनकी सियासत करती है. साल 2025 में होने वाले चुनाव में सिख समुदाय का समर्थन पाने के लिए ट्रूडो सरकार कई हथकंडे अपना रही है. इसकी वजह से कनाडा और भारत के रिश्ते खराब हो रहे हैं.

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