
बुधवार को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दुबई में मुलाकात हुई. कई मुद्दों पर देर तक बात हुई. ये मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि तालिबान की सरकार बनने के बाद ये पहली बार है, जब भारत के सर्वोच्च स्तर के एक अधिकारी तालिबानी सरकार के प्रतिनिधियों से खुले तौर पर मिले. यानी तालिबान सरकार से रिश्ते बेहतर करने की दिशा में भारत ने एक कदम और आगे बढ़ाया है.
पाकिस्तान और तालिबान के खट्टे रिश्ते
इस वक्त तालिबान और पाकिस्तान का टकराव इस हद तक है कि किसी भी दिन जंग की आशंका है. तालिबान के लड़ाके टीटीपी के साथ मिलकर कई पाकिस्तानी इलाकों पर कब्जा जमा चुके हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तालिबान को कुचल देने की मंशा जता चुके हैं और अफगानिस्तान की सरकार हमला होने पर पाकिस्तान को तबाह करने की चेतावनी दे चुकी है. ऐसे में तालिबान के नेता के साथ भारत के सचिव की बातचीत एक नए समीकरण का संकेत है. जो पाकिस्तान के लिए बहुत भारी हो सकता है.
पाकिस्तान के मंसूबों पर फिरा पानी
साल 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली थी. तब पाकिस्तान गदगद था. क्योंकि उसे भरोसा था कि तालिबानियों के आने के बाद भारत हमेशा के लिए अफगानिस्तान से बाहर हो जाएगा. मगर समय का चक्र ऐसा घूमा कि पाकिस्तान ने जिसे समर्थन दिया, वही तालिबान आज उसके मुकाबिल खड़ा है. और जिस तालिबान का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ करना चाहता था, आज वो भारत से अच्छे रिश्ते बनाने की तरफ बढ़ रहा है.
तालिबान और भारत एक-दूसरे के साथ
बेशक भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. मगर दुबई में जो बातचीत हुई, उसमें एक दूसरे की सहायता करने और साथ देने पर सहमति बनी है. दुबई में हुई मुलाकात की तस्वीरों को पोस्ट करने के साथ-साथ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने लिखा कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने आज दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता, द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की.
भारत ने अफगान लोगों को मानवीय और विकास सहायता जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. चाबहार बंदरगाह के जरिए व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने पर सहमति जताई. भारत अफगानिस्तान में स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भी अपना समर्थन देगा.
तालिबान शासन से पहले भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते बेहद मजबूत थे. भारत ने बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान में निवेश किया. संसद समेत कई सरकारी इमारतें बनवाई. इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में सहायता दी. जब तालिबानी सरकार आई तो भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था. लेकिन बाद के दिनों में तालीबान सरकार से ताल्लुकात बने. भारत ने तंगहाली झेल रहे अफगानिस्तान को हर संभव मानवीय मदद दी.
भारत ने की अफगानिस्तान की मदद
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत ने अब तक 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट जैसे कई शिपमेंट अफगानिस्तानम भेजे हैं.