यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद काफी तबाही मच गई है. यूक्रेन के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों पर रूस के हमले के बाद, कई लोग देश छोड़कर अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. जहां एक तरफ सरकारें और अधिकारी अपने नागरिकों को निकालने की व्यवस्था कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोग इस तबाही से बचने में लोगों की मदद कर रहे हैं. यूक्रेन से ऐसी ही एक कहानी इंटरनेट पर सामने आई है. जिसकी चर्चा चारों तरफ है.
साथिया नाम का रेस्तरां दे रहा है पनाह
यूक्रेन के कीव में एक भारतीय रेस्तरां इस राजनीतिक संकट के समय में लोगों के लिए आश्रय के रूप में काम कर रहा है. दरअसल कीव में 'साथिया' नाम का एक रेस्तरां है, जहां पर देश की कमजोर आबादी के लिए ठहरने की जगह बनाई गई है. यहां पर लोग कुछ वक्त के लिए महफूज तरीके से रह सकते हैं. इस भारतीय रेस्टोरेंट और इसकी नेक पहल के पीछे मनीष दवे का हाथ है. वह देश में रहने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक रेस्तरां खोलने के लिए अक्टूबर 2021 में गुजरात के वडोदरा से यूक्रेन चले गए थे.
हर देश के लोगों को खाना खिला रहे हैं मनीष
अभी मनीष का रेस्तरां पुरी तरह चल भी नहीं पाया था कि यूक्रेन में इतनी बड़ी तबाही आ गई. मनीष ने जब यूक्रेन में भारतीय को परेशान होते देखा तो उन्होंने खुद के रेस्तरां के तहखाने में लोगों को पनाह देने की ठानी. अब ये लोग कुछ दिनों के लिए यहां रह सकते हैं और यहां उन्हें खाना भी दिया जाएगा. ऐसा नहीं है कि मनीष केवल भारतीयों की मदद कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने टेलीग्राम सभी देशों को लोगों के लिए एक संदेश भेजा था, जिसमें लिखा था, "हम मुफ्त भोजन की व्यवस्था करेंगे और अपनी क्षमता के अनुसार सभी के लिए रहने की व्यवस्था करने की पूरी कोशिश करेंगे."
सभी देश के लोगों को दाल-चावल खिला रहे हैं मनीष
मनीष ने वाशिंगटन पोस्ट को दिए एक बयान में कहा कि, "हर वर्ग और हर देश के लोगों का स्वागत करेंगे. कोई भी व्यक्ति यहां आ सकता है और शरण ले सकता है. जब तक मैं कर सकता हूं, मैं आश्रय और खाना देना जारी रखूंगा." फिलहाल साथिया रेस्तरां में 130 लोगों को आश्रित कर रखा है. मनीष के साथ उनके रेस्तरां में काम करने 11 लोग इस नेक काम में उनके साथ हैं. फिलहाल वो वहां रहने वाले सभी लोगों के लिए दाल-चावल बना रहे हैं, हालांकि वो मसालों का काफी ध्यान रखते हैं, क्योंकि उनके यहां हर देश का नागरिक खाना खा रहा है. हालांकि मनीष की पहल चलती रहे इसके लिए उन्हें भोजन, चावल और सब्जियों का योगदान मिल रहा है.