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MIT से पढ़े हैं इजरायल के भावी पीएम Benjamin Netanyahu, 5वीं बार बनेंगे देश के प्रधानमंत्री, रहे हैं Special Force Unit का भी हिस्सा

इजरायल में चार साल से भी कम समय में 5वीं बार चुनाव हुए हैं और बेंजामिन नेतन्याहू ने बहुमत हासिल किया है. आपको बता दें कि इज़राइल 2019 के बाद से राजनीतिक अस्थिरता झेल रहा है, जब देश के सबसे लंबे समय तक प्रधान मंत्री रहे नेतन्याहू पर रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और विश्वास के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.

Benjamin Netanyahu Benjamin Netanyahu
हाइलाइट्स
  • 1988 में हुई नेतन्याहू की राजनीति में एंट्री 

  • 5वींवी बार देश के प्रधान मंत्री बन रहे हैं नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री यायर लापिड गुरुवार को बेंजामिन नेतन्याहू से हार गए. लैपिड ने अपने प्रतिद्वंद्वी को बधाई दी और कहा कि इज़राइल राज्य सभी राजनीतिक विचारों से ऊपर है और वह इज़राइल के लोगों और इज़राइल राज्य की खातिर नेतन्याहू की सफलता की कामना करते हैं. 

नेतन्याहू की पार्टी लिकुड और उसके दूर-दराज़ सहयोगियों ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया और देश में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए अगली सरकार बनाने के लिए तैयार है. आपको बता दें कि नेतन्याहू के नेतृत्व वाले राइट-विंग ने इजरायल की संसद में 64 सीटें जीतीं. 

पहले भी देश के पीएम रह चुके हैं बेंजामिन नेतन्याहू
बेंजामिन नेतन्याहू पहले भी इज़राइल के प्रधान मंत्री रह चुके हैं और पहले उन्होंने कुल 15 वर्षों तक कार्यालय में सेवा की. वह 1996 से 1999 तक प्रधान मंत्री थे और फिर 2009 से 2021 तक प्रधानमंत्री चुने गए.  इसके बाद नफ्ताली बेनेट ने उन्हें अपने शासन से बाहर कर दिया था. 

वर्तमान में, वह नेशनल लिबरल मूवमेंट (लिकुड पार्टी) के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में कार्य कर रहे थे और अब एक बार फिर इजरायल के पीएम बनने जा रहे हैं. 

बेंजामिन नेतन्याहू: पीएम ऑफिस से पहले
तेल अवीव में जन्मे और यरुशलम में पले-बढ़े, नेतन्याहू 1967 में हाई स्कूल के बाद इज़राइल डिफेंस में शामिल हुए. उन्होंने एक फाइटर सैनिक के रूप में प्रशिक्षण लिया और स्पेशल फोर्स युनिट में पांच साल तक सेवा की. इसके बाद, उन्होंने अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में आर्किटेक्चर की पढ़ाई की. 

मास्टर्स की पढ़ाई के बाद, नेतन्याहू इज़राइल लौट आए और उन्होंने जोनाथन नेतन्याहू आतंकवाद विरोधी संस्थान चलाया. 1982 में वह यरुशलम में रिम ​​इंडस्ट्रीज मार्केटिंग डायरेक्टर बने. 1984 से 1988 तक, नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत के रूप में कार्य किया. 
 
1988 में हुई नेतन्याहू की राजनीति में एंट्री 
1988 के विधायी चुनाव से पहले, नेतन्याहू इज़राइल में लिकुड पार्टी में शामिल हो गए. उन्हें संसद सदस्य (केसेट) के रूप में चुना गया और उन्हें विदेश मंत्री के उप-नियुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. बाद में, उन्हें इजरायल के प्रधान मंत्री कार्यालय में उप मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था

1993 में लिकुड पार्टी ने अपना नेता चुनने के लिए चुनाव कराया, जिसमें नेतन्याहू विजयी हुए. वह 1996 के इज़राइली विधायी चुनाव में प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार थे और चुनाव जीते. देश के इतिहास में सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे जो प्रधानमंत्री बनें. 

बतौर प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने किए कई अहम कार्य
प्रधान मंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, नेतन्याहू ने हमास बम विस्फोटों की सिरीज के बाद ओस्लो समझौते पर सवाल उठाए. 1996 में, वह पहली बार फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति अराफ़ात से मिले और दोनों पक्षों की सुरक्षा के लिए काम करने पर सहमत हुए. 

साथ ही, पीएम ने एक मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की दिशा में भी कदम उठाना शुरू किया. उनके नेतृत्व में, सरकार ने बैंकों और प्रमुख सरकारी कंपनियों में अपने शेयर बेचना शुरू किया. उन्होंने सख्त विदेशी मुद्रा नियंत्रण में भी ढील दी, जिससे इजरायलियों को देश से अप्रतिबंधित राशि लेने और अन्य देशों में स्वतंत्र रूप से निवेश करने में सक्षम बनाया गया. 
 
5वीं बार देश के प्रधान मंत्री बन रहे हैं नेतन्याहू
हालांकि, 1999 में, नेतन्याहू प्रधान मंत्री के चुनाव में हार गए, जिसके बाद उन्होंने राजनीति से अस्थायी रूप से संन्यास ले लिया. साल 2002 में, प्रधान मंत्री एरियल शेरोन ने नेतन्याहू को विदेश मंत्री नियुक्त किया. 
 
साल 2009 में उन्होंने बतौर पीएम सत्ता में वापसी की. इसके बाद, 2013, और साल 2015 में भी चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने थे. इजराइल में 2019 के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है. यहां सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे नेतन्याहू को रिश्वेतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप के आरोप लगने के बाद अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. 

इसके बाद, कई बर चुनाव हआ लेकिन कोई सरकार न बना सका. और साल 2021 में आखिरकार नेतन्याहू के प्रतिद्विंदी लैपिड सरकार बनाने में सफल रहे. लेकिन उनकी सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल सकी और एक बार फिर चुनाव हुए. जिसमें नेतन्याहू को बहुमत मिला है और वे पांचवी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे.