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अब समुद्र की लहरों से बिजली बनाएगा जापान, अंडरवॉटर लगाएगा 3,300 किलो का टर्बाइन

इस 330 टन के इस प्रोटोटाइप जनरेटर को कैरयू नाम दिया गया है. जापान की भाषा में इसका मतलब समुद्री लहर होता है. ऐसा माना जा रहा है कि ये 2030 तक अपना काम शुरू कर देगी. इस जेनरेटर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये खुद की पावर जनरेट के लिए सबसे उपयुक्त जगह को खुद ही खोज ले.

टर्बाइन टर्बाइन
हाइलाइट्स
  • जनरेटर को दिया गया कैरयू नाम 

  • एक दशक से हो रहा था प्रयोग

समुद्र के नीचे ऊर्जा के कई स्रोत हैं. उसमें जितनी ऊर्जा है उतनी दुनिया की किसी भी चीज में नहीं है. अब जापान समुद्र की इसी ऊर्जा को इकट्ठा करके इस्तेमाल करने जा रहा है. जिसके चलते जापान अपने देश के तट से कुछ ही दूर समुद्र तल पर एक विशाल 330 टन यानी 3300 किलो का टर्बाइन बिजली जनरेटर लगाने जा रहा है. इस जेनरेटर की खास बात ये है कि ये समुद्र की शक्तिशाली लहरों में टिका रह सकता है, उन लहरों की ऊर्जा से असीमित बिजली सप्लाई पैदा कर सकता है. 

जनरेटर को दिया गया कैरयू नाम 
इस 330 टन के इस प्रोटोटाइप जनरेटर को कैरयू नाम दिया गया है. जापान की भाषा में इसका मतलब समुद्री लहर होता है. इसके ढांचे की बात करें तो ये 20 मीटर लंबा एक हवाई जहाज के आकार का है. इसके अलावा ये दो सिलेंडरों से घिरा हुआ है, जो सामान्य आकार के हैं, प्रत्येक सिलेंडर में एक पावर जेनरेशन सिस्टम लगा हुआ है जो 11 मीटर लंबी टर्बाइन ब्लेड से जुड़ा हुआ है.

एक दशक से हो रहा था प्रयोग
इस जेनरेटर को Ishikawajima-Harima हैवी इंडस्ट्रीज ने तैयार किया है, जिसे पहले IHI Corporation भी कहा जाता था. ये कंपनी लगभग एक दशक से ज्यादा समय से इस प्रयोग पर काम कर रही है. 2017 में, इस कंपनी ने अपने कॉन्सेप्ट की टेस्टिंग के लिए नई ऊर्जा और औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास संगठन (NEDO) के साथ पार्टनरशिप की थी.

3.5 साल का अंडरवाटर टेस्ट किया पूरा
टोक्यो में स्थित इस इंजीनियरिंग फर्म ने फरवरी 2022 में दक्षिण-पश्चिमी जापान के समुद्र में कैरयू टर्बाइन का साढ़े तीन साल का अंडरवाटर टेस्ट पूरा किया. ऐसा माना जा रहा है कि ये 2030 तक अपना काम शुरू कर देगी. इस जेनरेटर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये खुद की पावर जनरेट के लिए सबसे उपयुक्त जगह को खुद ही खोज ले. अपनी पावर का अधिकतर हिस्सा जनरेट करने के लिए जापान जीवाश्म ईंधनों के आयात पर निर्भर करता है.

लंबी है जापान की समुद्री तटरेखा
दरअसल जापान की समुद्री तट रेखा काफी लंबी है. उत्तरी प्रशांत चक्रगति तहत महासागर पूर्व की ओर घूमता है. जब ये चक्रगति जापान से मिलती है, तो यह कुरोशियो करंट बनाती है, जो एक शक्तिशाली करंट है. IHI का अनुमान है कि अगर मौजूदा वक्त में ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है, तो यह लगभग 205 गीगावाट बिजली उत्पन्न कर सकता है, जो देश की वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता के बराबर है.

चार समुद्री मील में 100 किलोवाट बिजली का उत्पादन
कैरयू को लहरों के नीचे 50 मीटर तैरने के लिए बनाया गया था, क्योंकि जब ये लहरों के साथ खींचते हुए किनारे की ओर चलता है तो टर्बाइन के लिए जरूरी टॉर्क बनता है. इसका हरेक ब्लेड विपरीत दिशा में घूमता है ताकि मशीन स्थिर रहे. कैरयू दो से चार समुद्री मील (लगभग एक से दो मीटर प्रति सेकंड) के प्रवाह में 100 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर सकता है. हालांकि औसत वाइंड टर्बाइन के 3.6 मेगावाट की तुलना में यह कम लगता है. यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो अगले दशक के मध्य तक बिजली जनरेटर का एक फील्ड ग्रिड में बिजली प्रवाहित कर सकता है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या कैरयू आगे बढ़ पाता है या नहीं.