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Japan में बदला गया कानून, बिना सहमति संबंध होगा रेप, मर्जी से संबंध बनाने की उम्र 13 से बढ़ाकर की गई 16 साल

जापान में नये कानून से रेप के मामले कम होने की उम्मीद है. अप्रैल 2019 से जापान के आम लोगों के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सेक्शुअल वॉयलेंस के खिलाफ फ्लावर डेमो कैंपेन की शुरुआत कर रखी है. इसके तहत देशभर में लोग हर महीने की 11 तारीख को एकजुट होकर रेप पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हैं.

जापान की संसद डायट (फोटो ट्विटर) जापान की संसद डायट (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • जापान में 116 साल में पहली बार सहमति की उम्र को बदला गया 

  • अपराध के 15 साल बाद भी पीड़ित शिकायत दर्ज करवा सकेगा

जापान ने एक नया कानून पारित किया है, जो दुष्‍कर्म (रेप) को फिर से परिभाषित करता है. नए नियम के तहत अब सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को बढ़ा दिया गया है. पहले जापान में किसी लड़की की सहमति से उसके साथ संबंध बनाने की उम्र 13 साल थी. इसे बढ़ाकर 16 साल कर दिया गया है. एक महीने पहले ही जापान की संसद डायट के लोअर हाउस ने इस कानून को पास किया था. शुक्रवार को डायट के ऊपरी सदन में पास होने के बाद इसने कानून की शक्‍ल ले ली है.

मुकदमा दर्ज कराने के लिए दिया गया है अधिक समय 
अब महिला को दुष्‍कर्म के मामले में मुकदमा दर्ज कराने के लिए अधिक समय दिया गया है. पहले पीड़िता को उसके साथ हुई वारदात को रिपोर्ट करने के लिए 10 साल का वक्‍त दिया गया था. नए कानून के तरह इस अवधि को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया है. 

कानून में जोड़ी गई है यह शर्त 
जापान में अब 16 साल से छोटी उम्र की लड़की से संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आएगा. साथ ही कानून में एक शर्त भी जोड़ी गई है. जिसके तहत 13 से 15 साल की लड़की के साथ बने संबंध के मामले में आरोपी को केवल तभी सजा दी जा सकती है जब लड़की और लड़के के बीच उम्र का अंतर पांच साल या इससे अधिक हो. यदि दोनों के बीच अंतर पांच साल से कम है तो आरोपी को सजा नहीं दी जाएगी. जापान में पिछले 116 साल में पहली बार सहमति की उम्र को बदला गया है.

सिर्फ 6 प्रतिशत पीड़ितों ने दर्ज करवाए मामले
जापान में यौन हिंसा से बचे लोग अक्सर कलंक और शर्म के कारण सामने आने से हिचकते हैं. सरकार की ओर से 2021 में कराए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि केवल 6 प्रतिशत महिलाओं और पुरुषों ने यौन हमले की सूचना दी है. सर्वेक्षण में शामिल आधी महिलाओं ने महसूस किया कि वे शर्मिंदगी के कारण ऐसा नहीं कर सकतीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 में जापान में रेप के 1.7 हजार मामले दर्ज किए गए थे.

2017 में पहली बार हुआ संशोधन
इससे पहले 2017 में इस कानून में पहली बार बदलाव हुए थे. तब शिंजो आबे की सरकार ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने को रेप कानून में शामिल किया था. उस समय पहली बार पीड़ितों में पुरुषों को भी जोड़ा गया था. इस अपराध में मिनिमम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 5 साल किया गया था. 

2019 में रेप के कई आरोपी हो गए थे बरी
इस संशोधन के बाद भी जापान में 2019 में रेप के कई आरोपी बरी हो गए. इससे पूरे देश में कानून को लेकर विरोध होने लगा. लोगों ने मांग की कि इसमें और संशोधन किए जाएं जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके. अप्रैल 2019 से जापान के आम लोगों के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सेक्शुअल वॉयलेंस के खिलाफ फ्लावर डेमो कैंपेन की शुरुआत की है. इसके तहत देशभर में लोग हर महीने की 11 तारीख को एकजुट होकर रेप पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हैं. 22 साल की पूर्व जापानी सैनिक रीना गोनाई ने ट्रेनिंग के दौरान उसके मेल साथियों द्वारा उसके कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. गोनोई के सार्वजनिक बयानों जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों के मद्देनजर हाल के वर्षों में राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है. 

क्‍या है भारत सहित अन्य देशों में कानून
भारतीय कानून कहता है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से संबंध भी नहीं बनाया जा सकता है. इससे कम उम्र की लड़की के साथ संबंध बनाना अपराध है. ऐसे में पॉक्‍सो एक्‍ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. यदि आरोपी नाबालिग है तो उसपर जूविनाइल जस्टिस एक्‍ट के तहत बाल अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा. यौन सहमति के योग्य माने जाने वाले बच्चों की उम्र ब्रिटेन में 16, फ्रांस में 15 और जर्मनी और चीन में 14 है. जापान में उम्र 13 वर्ष थी और यह 1907 से अपरिवर्तित रही.