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King Charles III coronation: ब्रिटेन में किंग चार्ल्स तृतीय की भव्य ताजपोशी, महाराजा के रूप में ली शपथ, 700 साल पुराना सिंहासन, 12वीं सदी की चम्मच और जानें क्या रहा खास 

ब्रिटेन में किंग चार्ल्स तृतीय का शनिवार को राज्याभिषेक हुआ. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद ही चार्ल्स को सम्राट का दर्जा मिल गया था, लेकिन उन्हें 6 मई 2023 को वास्तव में ताज पहनाने की शाही परंपरा अपनाई गई.

किंग चार्ल्स III की हुई भव्य ताजपोशी (फोटो ट्विटर) किंग चार्ल्स III की हुई भव्य ताजपोशी (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • राज्याभिषेक के अनुष्ठान में बौद्ध, हिंदू, यहूदी, मुस्लिम और सिख धर्मगुरु भी होंगे शामिल 

  • ब्रिटेन इकलौता देश है जो अब भी रॉयल रिगालिया या सिंबल्स का करता है इस्तेमाल 

ब्रिटेन में किंग चार्ल्स तृतीय की 6 मई 2023 को ताजपोशी हो गई है. महाराजा चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कैमिला राज्याभिषेक के लिए वेस्टमिंस्टर एबे पहुंचे. जहां कार्यक्रम में पहुंचे करीब 2 हजार मेहमानों के सामने चार्ल्स तृतीय को यूनाइटेड किंगडम के राजा का ताज पहनाया गया. वहीं, उनकी पत्नी कैमिला आधिकारिक रूप से क्वीन बन गईं.

मैं यहां सेवा लेने नहीं सेवा करने आया हूं

किंग चार्ल्स तृतीय ने ब्रिटेन के महाराजा के रूप में शपथ लेते हुए कहा, ‘मैं यहां सेवा लेने नहीं सेवा करने आया हूं. मैं सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से यह स्वीकार करता हूं और घोषणा करता हूं कि उन अधिनियमों के सच्चे इरादे के अनुसार काम करूंगा जो सिंहासन पर प्रोटेस्टेंट उत्तराधिकार को सुरक्षित करते हैं और कानून के अनुसार अपनी सर्वोत्तम शक्तियों के तहत उक्त अधिनियमों को बनाए रखूंगा.' महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद ही चार्ल्स को सम्राट का दर्जा मिल गया था, लेकिन उन्हें वास्तव में ताज पहनाने की शाही परंपरा शनिवार को अपनाई गई. 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अपनी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ किंग चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए. यहां उपराष्ट्रपति का बकिंघम पैलेस में आयोजित एक समारोह में स्वागत किया गया. इसके साथ ही उन्होंने लंदन में होने वाले राज्याभिषेक समारोह से पहले किंग चार्ल्स तृतीय से मुलाकात भी की.  

बौद्ध-हिंदू धर्मगुरु भी हुए शामिल

पहला मौका रहा जब राज्याभिषेक के अनुष्ठान में बौद्ध, हिंदू, यहूदी, मुस्लिम और सिख धर्मगुरु भी शामिल हुए.सोनम कपूर और मुंबई के दो डिब्बावालों को भी समारोह में आमंत्रित किया गए थे. भारतीय मूल की ब्रिटिश शेफ मंजू मल्ही को भी आमंत्रित किया गया था. 

इसलिए अहम रहा राज्याभिषेक

पिछले साल 8 सितंबर को महारानी एलिजाबेथ के निधन के दो दिन बाद ही प्रिंस चार्ल्स को औपचारिक रूप से सम्राट घोषित कर दिया गया था. यह परंपरा इस मायने में काफी अहम रही किंग चार्ल्स न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत 15 देशों के सम्राट बन गए.

बग्घी पर सवार हुए चार्ल्स
किंग चार्ल्स और महारानी कैमिला घोड़े से चलने वाली बग्घी में बैठकर वेस्टमिंस्टर एबे पहुंचे. ताजपोशी के बाद सम्राट चार्ल्स और महारानी कैमिला गोल्ड स्टेट कोच में बैठकर राजमहल लौटे. यह बग्घी 1830 के बाद से हर राज्याभिषेक में इस्तेमाल होती रही है. चार टन की यह बग्घी 1767 से शाही परिवार के पास है. 

ताजपोशी के वक्त किंग को सेंट एडवर्ड का ताज पहनाया गया
ब्रिटेन इकलौता ऐसा देश है जो अब भी रॉयल रिगालिया या सिंबल्स का इस्तेमाल करता है. इनमें ताज, ऑर्ब, सिंहासन, सेप्टर्स जैसी कई चीजें शामिल हैं. किंग चार्ल्स की ताजपोशी में भी इनका इस्तेमाल किया गया. ताजपोशी के वक्त किंग को सेंट एडवर्ड का ताज पहनाया गया. ये गोल्ड, रूबी, सिल्वर और सैफायर से बना है और इसका वजन 2.23 किलोग्राम है. इसके बाद वापस जाते वक्त किंग चार्ल्स को इम्पीरियल स्टेट क्राउन पहनाया गया.

700 साल पुरानी कुर्सी, पवित्र तेल से अभिषेक
शाही चर्च वेस्टमिंस्टर एबे में किंग चार्ल्स 700 साल पुरानी कुर्सी के बगल में खड़े हुए. केंटरबरी के आर्कबिशप 'ईश्वर सम्राट की रक्षा करें' का उद्घोष किए. चार्ल्स ने कानून और चर्च ऑफ इंग्लैंड को कायम रखने की शपथ ली. फिर राजतिलक कुर्सी पर बैठे. आर्कबिशप उनके हाथों और सिर पर पवित्र तेल से अभिषेक किए. ये पवित्र तेल जिस ऐतिहासिक चम्मच से छिड़का गया वह 12वीं सदी की है. इसके बाद सम्राट को धार्मिक और नैतिक अधिकारों का प्रतीक एक शाही गोला व राजदंड प्रदान किया गया. अंत में उनके सिर पर सेंट एडवर्ड का ताज रखा गया. यही प्रक्रिया महारानी कैमिला के राज्याभिषेक में भी अपनाई गई.