
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स ब्रिटेन के नए किंग बन गए हैं. उन्हें किंग चार्ल्स-III के नाम से जाना जाएगा. 73 साल की उम्र में प्रिंस चार्ल्स को गद्दी पर बैठने का मौका मिला है. उनकी ताजपोशी शनिवार को की जाएगी. प्रिंस चार्ल्स तृतीय राजपरिवार के तीसरे ऐसे शख्स हैं जिनका नाम चार्ल्स है.
चलिए जानते हैं किंग चार्ल्स-III के बारे में कुछ रोचक बातें
चार्ल्स का जन्म बकिंघम पैलेस में ही हुआ था .उनका पूरा नाम प्रिंस चार्ल्स फिलिप आर्थर जॉर्ज है. जब वे छोटे थे, तब क्वीन एलिजाबेथ और ड्यूक ने फैसला किया कि चार्ल्स को पढ़ाने के लिए महल में कोई टीचर नहीं आएगा. चार्ल्स पहले ऐसे शाही उत्तराधिकारी हैं जिनकी शिक्षा घर में नहीं हुई है. चार्ल्स ने वेस्ट लंदन के हिल हाउस स्कूल से अपनी पढ़ाई की. इसके बाद उनका दाखिला चिम प्रिपरेटरी स्कूल में हुआ. इसी स्कूल में चार्ल्स के पिता भी पढ़ चुके थे. बचपन में चार्ल्स बेहद शर्मीले और अकेला रहना पसंद करते थे. नौ साल की उम्र में उन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स बनाया गया था.
स्कूल के फाउंडर और प्रेसिडेंट स्टुवर्ट टाउनेंड ने उन्हें प्रिंस की तरह नहीं, बल्कि आम स्टूडेंट्स की तरह पढ़ाया. प्रिंस चार्ल्स 1971 में विश्वविद्यालय की डिग्री हासिल करने वाले शाही परिवार के पहले उत्तराधिकारी बने. उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से स्नातक किया और 1975 में उसी स्कूल से अपनी मास्टर डिग्री भी ली. चार्ल्स ने अपने पिता, दादा और परदादा के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए रॉयल एयरफोर्स को जॉइन किया. उन्होंने 1971 से 1976 तक रॉयल नेवी में सेवा की. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने इसकी ट्रेनिंग ली थी. 1981 में प्रिंस चार्ल्स ने डायना से शादी की. उनके पहले बच्चे, प्रिंस विलियम का जन्म 1982 में हुआ था, उसके बाद 1984 में प्रिंस हैरी का जन्म हुआ. शादीशुदा जीवन में तनाव आने के बाद ये कपल अलग गो गया. इसके बाद चार्ल्स ने 9 अप्रैल, 2005 को विंडसर में कैमिला से शादी की. चार्ल्स अब कॉमनवेल्थ के अध्यक्ष बन गए हैं. वे वेल्स के ऐसे पहले युवराज थे, जिनका जन्म वेल्स से बाहर होने के बावजूद उन्होंने रियासत की भाषा सीखने का प्रयास किया.
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को निधन हो गया. वह पिछले कुछ वक्त से बीमार थीं. महारानी का अंतिम संस्कार उनके निधन के 10 दिन बाद होगा. वेस्टमिन्स्टर हॉल से पहले महारानी के पार्थिव शरीर को शाही महल बकिंघम पैलेस में रखा जाएगा. सके बाद आम लोगों के महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम दर्शनों की अनुमति दी जाएगी. ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबा शासन क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का ही रहा है.