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जानिए क्यों हर पोस्ट में Am Yisrael Chai लिखते हैं इजरायली... क्या है ये स्लोगन और इसका इतिहास

यह के तरह का नारा है जो इजरायल के लोगों और उनकी आस्था के बीच अटूट बंधन को दिखाता है. यह इस बात की याद दिलाता है कि चाहे हालात जैसे भी हों, इजरायल हमेशा बने रहेगा.  

Am Yisrael Chai Am Yisrael Chai
हाइलाइट्स
  • सदियों से होता आ रहा है इस्तेमाल 

  • एकता का प्रतीक है ये 

सोशल मीडिया पर अगर आप इजरायल के कुछ पोस्ट देखेंगे तो आपको "Am Yisrael Chai" लिखा हुआ जरूर नजर आ जाएगा. हालांकि, इजरायल में जो सदियों से इसका इस्तेमाल होता आ रहा है. यहूदी लोगों के लिए यह एक संजीवनी की तरह है. इजरायल में संकट या संघर्ष के समय में इस वाक्य का इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब है “इजरायल के लोग जिएं.” 

"Am Yisrael Chai" का हिब्रू से सीधा अनुवाद किया गया है- जिसका मतलब है “इजरायल के लोग जिएं” या “The People of Israel Live”. यह इस बात का आश्वासन है कि यहूदी लोगों ने इतिहास में जितनी भी चुनौतियों, मुश्किलों और खतरों का सामना किया है, उसके बावजूद वे बने रहे हैं और प्रगति कर रहे हैं. "Am Yisrael Chai" उस भावना का प्रतीक है जिसमें लोग हजारों संकटों का सामना करने के बावजूद कभी आशा नहीं खोते और अपने अपनी पहचान को जिंदा रखते हैं.

यह के तरह का नारा है जो इजरायल के लोगों और उनकी आस्था के बीच अटूट बंधन को दिखाता है. यह इस बात की याद दिलाता है कि चाहे हालात जैसे भी हों, इजरायल हमेशा बने रहेगा.  

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सदियों से होता आ रहा है इस्तेमाल 
हालांकि, ये वाक्य कब से बोला जा रहा है, ये सटीकता से किसी को नहीं पता है और न ही किसी डॉक्यूमेंट में इसका जिक्र मिलता है. लेकिन कई सोर्स हैं, जो इसकी उत्पत्ति के बारे में बताते हैं. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह पैगंबर यूसुफ और उनके भाइयों की बाइबिल कथा से आया है. जब पैगंबर यूसुफ ने अपने पिता याकूब के बारे में पूछा, तो उनके भाइयों ने उन्हें आश्वासन दिया कि याकूब अभी भी जीवित हैं.

अरबी में, याकूब बाइबिल के जैकब का नाम है. कुरान में, जैकब को बाद में इजरायल नाम दिया गया.चूंकि याकूब का दूसरा नाम इजरायल था, इसलिए "इजरायल जीवित है" का वाक्यांश यहूदी लोगों की जीवंतता का प्रतीक बन गया. 

एक दूसरे कहानी ईजेकील (Ezekiel) की भविष्यवाणी की है. ईजेकील एक इजरायली प्रीस्ट थे. ईजेकील ने एक घाटी में सूखी हड्डियों को देखा था, जो इजरायल के लोगों का प्रतिनिधित्व करती थीं. जब ईजेकील भविष्यवाणी करते हैं तो हड्डियां आपस में जुड़ने लगती हैं, मांस से ढक जाती हैं और वे लोग जिंदा हो जाते हैं. ये एक प्रतीकात्मक संकेत था कि निराशा के समय में इजरायल का पुनर्जन्म हुआ है. "Am Yisrael Chai" इस शक्तिशाली प्रतीक से ही आया. इसके मुताबिक, जब चारों और निराशा होगी और आशा नहीं होगी, तब भी इजरायल के लोग उठेंगे और जीवित रहेंगे. 

रब्बी योनातान आइबशिट्ज और Am Yisrael Chai की कहानी
"Am Yisrael Chai" से जुड़ी एक और प्रसिद्ध कथा है. यह कहानी रब्बी योनातान आइबशिट्ज (Rabbi Yonatan Eibeschitz ) से जुड़ी है, जो एक तल्मुदिक विद्वान, हलाखिस्ट और कबालिस्ट थे. रब्बी आइबशिट्ज को उनकी बुद्धिमानी के वजह से जाना जाता था और उनसे जुड़ी कई कहानियां मशहूर हैं. उनमें से एक कहानी फ्रांस के मेट्ज़ शहर के राजा द्वारा सभी यहूदियों को शहर से बाहर निकालने के आदेश से जुड़ी है. 

रब्बी आइबशिट्ज ने राजा के पास जाकर इस फरमान को रद्द करने की मांग की थी. बातचीत के दौरान रब्बी ने कहा, "Am Yisrael Chai Le'olam Va'ed" (इजरायल की प्रजा हमेशा जीवित रहेगी). रब्बी की दृढ़ता से प्रभावित होकर राजा ने अपने निर्णय पर फिर से करने का वादा किया, लेकिन ये काफी मुश्किल था. रब्बी आइबशिट्ज को "Am Yisrael Chai Le'olam Va'ed" वाक्यांश को एक मेजुजा के आकार की सतह पर 45,760 बार लिखने को कहा गया था— ये मेट्ज में रहने वाले यहूदियों की संख्या थी. काम काफी मुश्किल था, क्योंकि अक्षर रेत के दानों जितने छोटे होने चाहिए थे.

हालांकि, अपनी बुद्धिमत्ता के लिए रब्बी आइबशिट्ज ने एक उपाय खोज निकाला. उन्होंने कागज पर एक ग्रिड बनाया और केंद्र में अक्षर 'ע' (आयिन) लिखा. उसके चारों ओर उन्होंने वाक्य के अक्षरों को इस तरह से एडजस्ट किया कि उन्हें अलग-अलग दिशाओं से पढ़ा जा सके. इस चतुराई से वाक्य को 45,760 बार पढ़ा जा सकता था. जब राजा ने रब्बी का काम देखा, तो वह चकित रह गया. शुरुआत में संदेह करने के बावजूद, उसने हर बार गिनती की और पुष्टि की कि रब्बी आइबशिट्ज ने चुनौती को पूरा किया है. इसके बाद फरमान रद्द कर दिया गया, और मेट्ज़ के यहूदी अपने घरों में रह सके.

एकता का प्रतीक है ये 
इजरायल में हालिया संघर्ष की बात करें तो Am Yisrael Chai एकता और दृढ़ता का एक प्रमुख प्रतीक बन गया है. यह कई लोकप्रिय गीतों, बैनरों, झंडों पर दिखाई देता है और अक्सर इजरायल के समर्थन में रैलियों और प्रदर्शनों में नारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह वाक्य लोगों को दर्द के समय में हिम्मत रखने की बात कहता है.