scorecardresearch

क्या अमेरिका की नाराजगी इमरान पर पड़ी भारी, जानिए

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुर्सी खिसकती नजर आ रही है . इमरान खान ने सनसनीखेज बयान दिया है कि कुछ विदेशी ताकतें नहीं चाहतीं कि वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहें. इसके बाद पाकिस्तान की विपक्षिय पार्टी के साथ आम जनता भी ये जानना चाहती है कि कौन सी विदेशी ताकत है तो इमरान को पाक का पीएम नहीं रहने देना चाहती

why joe biden angry with imran khan why joe biden angry with imran khan

पाकिस्तान की सियासत में शुरू हुई हलचल खत्म होने का नाम नहीं ले रही.  इमरान खान की कुर्सी फिसल रही है, और पाकिस्तानी सेना ने भी अपने हाथ पीछे कर लिए हैं. ऐसे नाजुक वक्त में अमेरिका भी पाकिस्तान के पीएम का साथ नहीं दे रहा है. इमरान खान जैसे ही पीएम बने उन्होंने अमेरिका के खिलाफ गलत बयान बाजी शुरू कर दी थी. इसी गलत बयानबाजी की वजह से पाक सेना ने भी इमरान खान की तरफ से अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए थे और अब नतीजा सबके सामने हैं. 

इमरान को अमेरिका को आंख दिखाने की मिली सजा?

पाकिस्तान को लेकर पुरानी कहावत है कि ये मुल्क अल्लाह, आर्मी और अमेरिका के मेहरबानी पर टिका है. आज तक पाकिस्तान की कोई हुकूमत अमेरिका या आर्मी की नारजगी के बाद अपनी कुर्सी बचा नहीं पाई है. इमरान सत्ता में तो आर्मी के सिलेक्टेड पीएम बनकर आए, लेकिन जैसे ही उन्होंने आर्मी और अमेरिका को आंख दिखाने की कोशिश की, उनके पैरों तले जमीन खींच ली गई.
 

अफगान मामले पर इमरान ने नहीं की अमेरिका की मदद

अमेरिका को अफगानिस्तान से जाने के बाद भी पाकिस्तान से काफी उम्मीदें थीं. ऐसे में अमेरिका पाक से ये चाहता था कि पाकिस्तान की इमरान सरकार अफगानिस्तान में अमेरिका की पंसद की सरकार बनने में मदद करें. ताकि अफगान में तालिबान के आने के बाद भी किसी तरह का राजनितिक बदलाव नहीं आए. लेकिन पाक सरकार ने इस मामले पर अमेरिका बात करने में आनाकानी की. बाइडेन प्रशासन को इमरान का कोई महत्व समझ में नहीं आया. उन्होंने पाकिस्तान के पीएम को भाव देना बंद कर दिया. यहां तक कि बाइडेन से एक अदद फोन के लिए इमरान खान तरसते रह गए.

पाक आर्मी और अमेरिका को नाराज करना भारी पड़ गया

इमरान खान ने लगातार अमेरिका से दूरी बनाने की कोशिश की, और इसी कोशिश की वजह से इमरान खान से पाक की आर्मी भी नाराज हो गयी. बता दें कि पाकिस्तान हथियारों के लिए पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर है और पाक की बड़ी ताकत उसकी आर्मी है. इस वजह से पाक की पूरी आर्मी अमेरिका की तरफ झुकती है. इस तरह इमरान खान के काम -काज के रवैये से पाक आर्मी भी नाराज हो गयी . और इमरान की नैया डूबने लगी. 

यूक्रेन पर रूसी हमले के पहले पुतिन के मेहमान बने इमरान 

चीन की गोद में बैठे पाकिस्तान की आर्थिक हालात खराब चल रही थी. पाकिस्तान को फौरन माली मदद की जरूरत थी. चीन से उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं. तब इमरान खान ने रूस से भी नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं. पुतिन का विश्वास जीतने के लिए तो इमरान खान ने हद पार कर दी. 24 फरवरी 2022 को पुतिन ने दुनिया के सामने यूक्रेन पर अपना सैन्य ऑपरेशन शुरू कर दिया. और इमरान खान मॉस्को के एक लग्जरी होटल में ब्रेकफास्ट कर रहे थे. वहीं पाकिस्तान ने इस दौरे पर बयान जारी करते हुए कहा कि 20 साल बाद इमरान खान का ये दौरा पाकिस्तान-रूस द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए और विविध क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने के लिए है. ये तस्वीरें और बयान अमेरिका और बाइडेन को चिढ़ाने के लिए काफी था.

रूस-यूक्रेन युद्ध पर UN में अमेरिका से अलग रुख

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के खिलाफ यहीं नहीं रूके. यूक्रेन मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में आए प्रस्ताव में रूस की आलोचना करने से भी पाकिस्तान ने इनकार कर दिया. अमेरिका समेत 22 यूरोपीय देशों ने पाकिस्तान से पत्र लिखकर अपील की कि वो इस मसले पर रूस की निंदा करे और उसके खिलाफ वोट डाले. इमरान सरकार ने इस पत्र को लीक कर दिया. उसने UNGA में रूस की निंदा करने से इनकार कर दिया. UNGA में इस मसले पर हुई वोटिंग में पाकिस्तान ने हिस्सा ही नहीं लिया. 

चीन के इशारे पर डेमोक्रेसी समिट में नहीं गया पाकिस्तान

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के कमजोर संबंधों  का एक ताजा उदाहरण है, इस साल के शुरूआत में डेमोक्रेसी समिट का आयोजन हुआ था. कूटनीतिक जानकारों के मुताबिक जो बाइडेन ने ये समिट चीन के खिलाफ किया था. पाकिस्तान इस समिट में जाने से इंकार कर दिया और इस तरह पाक ने चीन के साथ अपने रिश्ते को तवज्जो दी. पाकिस्तान ने कहा कि वो मौका आने पर अमेरिका से लोकतंत्र पर बातचीत कर लेगा. पाकिस्तान की इस हरकत ने अमेरिका को चौंका दिया.

चिट्टी वाला दांव पड़ा उल्टा

अपनी गलतियों से चौतरफा घिरने के बाद भी इमरान खान नहीं संभले. कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने चिट्ठी वाला दांव चल दिया, लेकिन ये दांव भी उन्हें उल्टा पड़ गया. अमेरिका की ओर से इस बारे में तुरंत सफाई सामने आई थी. अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को कहा कि किसी भी अमेरिकी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने पाकिस्तान की मौजूदा राजनीतिक हालात पर पाकिस्तान को पत्र नहीं भेजा है. चिट्ठी बम से अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते और उलझ गए. चिट्ठी को लेकर सेना इमरान से भड़क गई. जिसके बाद सेना प्रमुख ने इमरान से तीन बार मुलाकात की. माना जा रहा है कि जनरल बाजवा ने इमरान से 'एग्टिज रूट' पर चर्चा की.