लिज़ ट्रस ने 20 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. ब्रिटेन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी प्रधानमंत्री ने 45 दिन के भीतर इस्तीफा दे दिया. पद से हटने के बाद वो सबसे कम समय तक सत्ता संभालने वाली ब्रितानी प्रधानमंत्री बन जाएंगी. इसके लिए उनके पार्टी के सदस्यों ने ही उन्हें मजबूर किया. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि जिस मैन्डेट के तहत उनका चुनाव हुआ था उसे वो पूरा नहीं कर सकेंगी, क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी का विश्वास खो दिया था. उन्होंने कहा कि जिस दौर में उनका चुनाव प्रधानमंत्री के पद पर हुआ वो "आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्थिरता का दौर" था.
ट्रस ने कहा,“स्थिति को देखते हुए मैं मानती हूं कि मैं वह जनादेश नहीं दे सकती, जिस पर मुझे कंजरवेटिव पार्टी द्वारा चुना गया था. इसलिए मैंने महामहिम राजा से बात करके उन्हें सूचित किया है कि मैं कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे रही हूं. ” उन्होंने आगे कहा,"आज सुबह मैं 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी से मिली. हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि नेतृत्व का चुनाव अगले सप्ताह के भीतर पूरा किया जाएगा. यह सुनिश्चित करेगा कि हम अपनी वित्तीय योजनाओं को पूरा करने और अपने देश की आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के रास्ते पर बने रहें.”
क्या थे वो कारण जिनकी वजह से ट्रस ने दिया इस्तीफा?
कैसे होगा अगले प्रधानमंत्री का चुनाव?
BBC के अनुसार, जब कंजर्वेटिव पार्टी का कोई नेता इस्तीफा देता है तो चुनाव के जरिये नया नेता चुना जाता है. यह चुनाव 1992 समिति के नियमों के तहत होता है.
यह समिति हाउस ऑफ कॉमन्स में कंजर्वेटिव संसदीय समूह है और इसमें वो सभी सांसद होते हैं, जिनके पास कोई सरकारी पद नहीं होता.ट्रस की जगह लेने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है और यह सोमवार तक चलेगी.
केवल एक सप्ताह चलेगी प्रक्रिया
पिछली नेतृत्व प्रतियोगिता आठ सप्ताह तक चली थी. इसके विपरीत इस बार कंजर्वेटिव अधिकारियों ने कहा कि ट्रस के उत्तराधिकारी को पार्टी के नेता के रूप में निर्धारित करने की प्रक्रिया केवल एक सप्ताह तक चलेगी. 28 अक्टूबर तक ये समाप्त हो जाएगी. आमतौर पर, एक टोरी नेतृत्व प्रतियोगिता में शामिल होगा (जिसे "हस्टिंग्स" के रूप में भी जाना जाता है). इसके अलावा टेलीविज़न डिबेट और पार्टी के लगभग 200,000 बकाया भुगतान करने वाले सदस्यों के बीच एक औपचारिक वोटिंग प्रक्रिया होगी, जो अंतिम निर्णय लेने वालों के रूप में कार्य करते हैं. लेकिन इस बार, प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा. सदस्यों का वोट ऑनलाइन होगा.
प्रधानमंत्री पद की रेस में भाग लेने के दावेदार को कम से कम 100 कंजर्वेटिव सांसदों का समर्थन होना जरूरी होगा. अभी संसद में कंजर्वेटिव पार्टी के 357 सांसद हैं. ऐसे में तीन उम्मीदवार इस रेस में शामिल हो सकते हैं. अगर तीन उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश करते हैं तो आगे चलकर सबसे कम समर्थन जुटाने वाला उम्मीदवार रेस से बाहर हो जाएगा और बाकी बचे दो के बीच पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद के लिए मुकाबला होगा.