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15 साल की बच्ची ने अमेरिका के सामने रखा अफगानी बच्चियों का दर्द, बोली प्लीज मदद कीजिए 

सोतोदाह ने अपने खत में लिखा है कि "जितने लंबे वक्त के लिए स्कूल और विश्वविद्यालय लड़कियों के लिए बंद रहेंगे,  भविष्य के लिए आशाएं कम होती जाएंगी. यूसुफजई ने पत्र पढ़ते हुए कहा, "लड़कियों की शिक्षा शांति और सुरक्षा लाने का सबसे ताकतवर हथियार है,"

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • 15 साल की बच्ची ने लिखा अमेरिका को खत

  • बोली- पढ़ने का हक दिलाने में मदद करो

मलाला यूसूफजई ने सोमवार को वाशिंगटन की यात्रा के दौरान अफगान लड़कियों और महिलाओं के लिए अमेरिका से मजबूत समर्थन की मांग की. मलाला यूसूफजई ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकनके साथ बातचीत में कहा कि "अभी अफगानिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जहां लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं है. क्योंकि वहां पर उन्हें आगे पढ़ने की  मनाही है. यूसुफज़ई ने एक 15 साल की अफगानी बच्ची  सोतोदा का संदेश दुनिया के सामने रखते हुए कहा कि  "हम एक ऐसी दुनिया देखना चाहते हैं जहां सभी लड़कियों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके''. 

15 साल की बच्ची ने बताया अफगान लड़कियों का दर्द

यूसुफजई के मुताबिक, सोतोदाह ने अपने खत में लिखा है कि "जितने लंबे वक्त के लिए स्कूल और विश्वविद्यालय लड़कियों के लिए बंद रहेंगे,  भविष्य के लिए आशाएं कम होती जाएंगी. यूसुफजई ने पत्र पढ़ते हुए कहा, "लड़कियों की शिक्षा शांति और सुरक्षा लाने का सबसे ताकतवर हथियार है,"  अफगानिस्तान को सबसे बड़ा नुकसान लड़कियों के ना पढ़ने से होगा. भता दें कि अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत आ जाने के बाद लड़कियों पर तमाम तरह की पांबदियां लगा दी गई हैं, स्कूलों को खोला तो जा रहा है लेकिन सिर्फ लड़कों के लिए.  युसुफजई ने सचिव के साथ एक निजी बैठक से पहले कहा, "हमें उम्मीद है कि अमेरिका कोई कड़ा कदम जरूर उटाएगा. ताकि बच्चियों को वापस स्कूल भेजा जाए.

अमेरिकी सेना की वापसी के बाद बदतर होते अफगानिस्तान के हालात 

बता दें कि अफगानिस्तान से नाटो सेना की वापसी के बाद तालिबानी हुकूमत का बोलबाला है. अमेरिका ने 20 साल की लड़ाई के बाद जल्दबाजी में अपने सैनिकों की वापसी का फैसला लिया था.