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Gotabaya Rajapaksa से पहले भी देश छोड़कर भाग चुके हैं कई राजनेता, China से लेकर Cuba तक इसमें हैं शामिल

गोटबाया राजपक्षे पहले राष्ट्राध्यक्ष नहीं हैं, जिनको देश छोड़कर भागना पड़ा है. इससे पहले भी दुनिया के कई देशों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. पाकिस्तान, चीन, ईरान, अफगानिस्तान और क्यूबा में राष्ट्राध्यक्षों को देश छोड़कर भागना पड़ा था.

फल्गेंसियो बतिस्ता, विक्टर यानुकोविच और अशरफ गनी फल्गेंसियो बतिस्ता, विक्टर यानुकोविच और अशरफ गनी
हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी भागे थे देश छोड़कर

  • चीन, पाकिस्तान, क्यूबा में भी भाग चुके हैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री

आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका में तेजी से राजनीतिक घटनाचक्र बदल रहा है. कयास लगाए जा रहे थे कि आज राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे इस्तीफा दे देंगे. लेकिन इससे पहले ही राष्ट्रपति गोटबाया ने बड़ा कदम उठाया है. राष्ट्रपति राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए हैं. गोटबाया मालदीव की राजधानी माले पहुंच गए हैं. राजपक्षे अपने परिवार के 5 सदस्यों और तीन स्टाफ के साथ एयरफोर्स के प्लेन से देश छोड़ दिया.
ऐसे पहली बार नहीं हुआ है जब दुनिया में कोई राष्ट्राध्यक्ष को देश छोड़कर भागना पड़ा है. दुनिया के कई देशों में पहले भी ऐसे हालात बने हैं, जब राष्ट्राध्यक्ष को मजबूरन देश छोड़ना पड़ा था. चलिए आपको उन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की कहानी बताते हैं, जिनको विपरित परिस्थितियों में देश छोड़कर भागना पड़ा था.

अशरफ गनी-
साल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका ने अपना बोरिया-बिस्तर बांध लिया. इसके बाद तालिबान ने एक-एक करके पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. अमेरिका के जाने के बाद तालिबान ने काबुल पर भी कब्जा कर लिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा. बताया गया कि अशरफ गनी अपने साथ अकूत पैसा लेकर भागे. बाद में अशरफ गनी ने कहा कि उन्होंने देश में खूबखराबा और तबाही रोकने के लिए अफगानिस्तान छोड़ा है.

विक्टर यानुकोविच-
यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को भी देश छोड़कर भागना पड़ा था. विक्टर साल 2010 से साल 2014 तक यूक्रेन के राष्ट्रपति रहे. इसके बाद उनको रूस भागना पड़ा. 25 फरवरी 2010 को विक्टर यूक्रेन के राष्ट्रपति बने. इसके बाद से ही उनका झुकाव रूस की तरफ साफ दिखने लगा. साल 2013 में रूस के साथ बढ़ते संबंधों के चलते उनको विरोध झेलना पड़ा था. इसी साल राष्ट्रपति विक्टर ने यूरोपीय संघ के एसोसिएशन एग्रिमेंट को खारिज कर दिया. इसके बाद देश में हिंसक प्रदर्शन हुए. साल 2014 के बाद उनको रूस भागना पड़ा.

अबुल हसन बनी सद्र-
साल 1979 में ईरान के इस्लामी क्रांति हुई. इसके बाद जनवरी 1980 में अबु हसन बनी सद्र ईरान के राष्ट्रपति बने. लेकिन 16 महीने बाद ही उनके खिलाफ महाभियोग चलाया गया. इसके बाद उनको राष्ट्रपति पद से बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद सद्र को छुपकर तेहरान छोड़कर भागना पड़ा. ईरान में अबुल हसन को सीआईए का एजेंट कहा जाता था.

सीरिया के पीएम रियाद हिजाब-
साल 2010 में सीरिया के प्रधानमंत्री रियाद हिजाब देश छोड़कर भाग गए. जून 2010 में राष्ट्रपति बशर अल असद ने रियाद हिजाब को प्रधानमंत्री बनाया था. लेकिन गृह युद्ध में हिजाब राष्ट्रपति असद के खिलाफ हो गए और बागियों से मिल गए. इसके बाद वो देश छोड़कर जॉर्डन भाग गए. हिजाब ने राष्ट्रपति असद पर हत्यारा होने का आरोप लगाया था और खुद को क्रांति का सिपाही बताया था.

फल्गेंसियो बतिस्ता- 
साल 1959 में जाब क्यूबा में क्रांति हुई तो उस वक्त देश के राष्ट्रपति फ्लगेंसियो बतिस्ता थे. फिदेल कास्त्रो ने बतिस्ता के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन चलाया था. 1 जनवरी 1959 को क्यूबा की सरकार को अपदस्थ कर दिया गया. इससे पहले बतिस्ता सरकार और फिदेल सेना के बीच खूब लड़ाई हुई. दिसंबर 1958 में 350 छापामारों ने बतिस्ता के 4 हजार गार्डों को तीन दिन की लड़ाई में हरा दिया. इसके बाद बतिस्ता के पास कोई चारा नहीं बचा. 31 दिसंबर 1959 को बतिस्ता देश छोड़कर भाग गए. 

च्यांग काई शेक-
चीन में भी एक बार राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा था. साल 1946 में चीन के नए संविधान के तहत च्यांग काई शेक को राष्ट्रपति बनाया गया. लेकिन साल 1949 में कम्युनिस्टों ने च्यांग काई शेक को देश से निकाल दिया और उनको ताइवान में बसना पड़ा. साल 1975 में मरने से पहले तक काई शेक ताइवान में ही रहे.

मुशर्रफ और नवाज शरीफ-
पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ ने साल 1999 से 2008 तक शासन किया. साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का तख्ता पलट दिया और पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. साल 2002 में मुशर्रफ एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए. देश में इमरजेंसी लगाने का मामला मुशर्रफ पर चला. फैसला आने से पहले ही मुशर्रफ देश छोड़कर भाग निकले और आज तक पाकिस्तान से बाहर हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी बीमारी का बहाना बनाकर देश छोड़कर भाग निकले और अब तक पाकिस्तान नहीं लौटे.

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