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Trees Face Extinction: लुप्त हो सकते हैं दुनिया के एक तिहाई पेड़! ग्लोबल नेताओं के लिए चिंता की खबर.... जानिए क्या कहती है नई रिपोर्ट

इस रिपोर्ट में 1,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने योगदान दिया है. इसमें पाया गया है कि 38% वृक्ष प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं. बीजीसीआई की एमिली बीच के अनुसार, 192 देशों में पेड़ खतरे में हैं. मैगनोलिया, ओक, मेपल और आबनूस जैसी पेड़ों की प्रतिष्ठित प्रजातियां सबसे ज्यादा खतरे में हैं.

Representational Image (Photo: Unsplash/Sergey Pesterev) Representational Image (Photo: Unsplash/Sergey Pesterev)

दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा वृक्ष प्रजातियां जंगल में विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसका खुलासा एक नई ग्लोबल रिपोर्ट में हुआ है. अगर ये पेड़ विलुप्त हुए तो पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियां प्रभावित होंगी. बोटेनिक गार्डन कंजर्वेशन इंटरनेशनल (BGCI) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (ICUN) ने यह चिंताजनक रिपोर्ट कोलंबिया में आयोजित यूएन बायोडाइवर्सिटी शिखर सम्मेलन, सीओपी-16 में जारी की है. 

क्या कहती है रिपोर्ट?
इस रिपोर्ट में 1,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने योगदान दिया है. इसमें पाया गया है कि 38% वृक्ष प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं. बीजीसीआई की एमिली बीच के अनुसार, 192 देशों में पेड़ खतरे में हैं. कृषि के लिए भूमि की कटाई, पेड़ों की कटाई, कीट और बीमारियां विश्व स्तर पर पेड़ों के लिए प्राथमिक खतरा बनी हुई हैं. 

मैगनोलिया, ओक, मेपल और आबनूस जैसी पेड़ों की प्रतिष्ठित प्रजातियां सबसे ज्यादा खतरे में हैं. ये वैश्विक जैव विविधता संकट को दिखाती हैं जो पूरे पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) को प्रभावित कर रही हैं. इन पेड़ों को बचाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कई परिंदे और जानवर इनमें अपना घर बनाते हैं. इन पेड़ों के लुप्त होने पर इनका भी कोई ठिकाना नहीं रहेगा. 

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यह रिपोर्ट सिर्फ पेड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि कई पौधों और जानवरों के लिए भी बुरी खबर लेकर आई है. रिपोर्ट के अनुसार हेजहॉग (कांटेदार जंगली चूहा) विलुप्त होने के एक कदम और करीब पहुंच गया है. यूनाइटेड किंगडम (UK) के चार समुद्री पक्षी - ग्रे प्लोवर, डनलिन, टर्नस्टोन और कर्लेव सैंडपाइपर भी लुप्त होने के करीब पहुंच गए हैं. 

बचाने की हो रहीं ये कोशिशें...
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, लंदन में रॉयल बोटैनिक गार्डन, केव के वैज्ञानिक बीज इकट्ठा करके और आर्बरेटम में नमूने उगाकर दुनिया भर में पेड़ों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. संरक्षण शोधकर्ता स्टीवन बैचमैन ने कहा है कि नई रिपोर्ट के आंकड़े "चौंकाने वाले" हैं. और इसका प्रभाव कई ऐसे पौधों और जानवरों पर पड़ेगा जो पेड़ों पर निर्भर हैं. 

उन्होंने कहा, "वर्तमान में हम जैव विविधता के संकट में हैं. दुनिया भर में पेड़ों की कई प्रजातियां पक्षियों, स्तनधारियों, कीड़ों, कवक की कई अन्य प्रजातियों के लिए आवास प्रदान कर रही हैं. पेड़ों को खोने का मतलब उन पर निर्भर कई अन्य प्रजातियों को खोना है."