सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो,
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की इन पंक्तियों का आशय है कि इंसान अगर चाहे तो कोई पहाड़ उसका रास्ता नहीं रोक सकता. एक वीर या वीरांगना की ये काबिलियत होती है. इस बात को एक 13 साल की बच्ची ने सच कर दिखाया है. हैदराबाद की मुरीकी पुलकिता हसवी ने हाल ही में, अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट किलिमंजारो को फतह किया. एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में, उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त की और किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ने के अपने अनुभव को साझा किया.
सातों शिखर पर करना चाहती हैं चढ़ाई
मुरीकी ने बताया,"यह एक साहसिक अनुभव था, माउंट किलिमंजारो एक ऐसा पहाड़ है, जहां आप हर तरह के मौसम का अनुभव करते हैं, और मुझे ऐसा ही महसूस हुआ." उसने बताया कि उसने इस पर्वतारोहण की तैयारी इस साल अप्रैल में किए गए एवरेस्ट बेस कैंप के ठीक तीन महीने पहले शुरू कर दी थी. उसने कहा, "बेस कैंप करने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मैं सभी सातों शिखर पर चढ़ाई करना चाहती हूं, इसलिए मैंने वहीं तैयारी करना शुरू कर दिया."
अपने जीवन के वास्तविक पहाड़(बाधा) को जीतें
उन्होंने बताया कि पर्वतारोहण के लिए आपको मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ता है, इसलिए वह खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए योग और ध्यान जैसी तमाम एक्टिविटीज़ करती थीं. अपने भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "मैं 2024 से पहले सभी सात शिखर पर चढ़ना चाहती हूं और इसके लिए, मैंने पहले ही सभी योजनाएं बना ली हैं." उन्होंने कहा, "सभी युवा पीढ़ियों के लिए मेरा संदेश उन्हें पर्वतारोहण चुनने के लिए कहना नहीं है, बल्कि उन्हें अपने जीवन के वास्तविक पहाड़(बाधा) को जीतने के लिए कहना है."