
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण NATO के सदस्य देश भी तनाव की स्थिति में हैं. मंगलवार को NATO देश पोलैंड (Poland) पर रूसी मिसाइल (Russian Missile) गिरी और इस हमले में दो लोगों की मौत की पुष्टि की गई है. यह मिसाइल यूक्रेन की सीमा के पास पोलिश गांव प्रेजेवोडो में गिरी.
पोलैंड सरकार ने संकट की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में नाटो का आर्टिकल 4 अहम भूमिका निभा सकता है. अब सवाल है कि यह आर्टिकल 4 क्या है और इसके तहत इस मीटिंग के क्या मायने हो सकते हैं.
क्या है NATO का Article 4
नाटो का आर्टिकल 4 उस मामले में प्रभावी है जब एक सदस्य राज्य दूसरे देश या आतंकवादी संगठन से खतरा महसूस करता है. और तब 30 सदस्य राज्य, प्रभावित सदस्य के अनुरोध पर औपचारिक परामर्श शुरू करते हैं. बातचीत में देखा जाता है कि क्या कोई खतरा मौजूद है और इसका मुकाबला कैसे किया जाए और सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाता है.
हालांकि, आर्टिकल 4 का मतलब यह नहीं है कि कार्रवाई करने का कोई सीधा दबाव होगा. नाटो के इतिहास में इस परामर्श तंत्र को कई बार शुरू किया गया है. जैसे जब सीरिया के एक हमले में तुर्की सैनिक मारे गए थे तब तुर्की ने इसे शुरू किया. उस समय, नाटो ने सलाह करने का निर्णय लिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की.
ये सदस्य देश कर चुके हैं आर्टिकल 4 ट्रिगर
आपको बता दें कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, नाटो के सदस्य एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड ने अनुच्छेद 4 को ट्रिगर किया. हालांकि, आर्टिकल 4, नाटो चार्टर के आर्टिकल 5 से अलग है. आर्टिकल 5 को ट्रिगर करने का अर्थ है मिलिट्री सहायता देना. जैसा कि 2001 में अमेरिका पर अल-कायदा के हमलों के बाद हुआ था.
तब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और इसमें नाटो के सदस्य देशों ने भी अमेरिका की मदद की.