नेपाल में प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस संसदीय चुनावों में 53 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. प्रतिनिधि सभा (एचओआर) और सात प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव 20 नवंबर को हुए थे. वोटों की गिनती सोमवार को शुरू हुई.
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) ने चुनावों में 42 सीटें हासिल कीं. सीपीएन-माओवादी 17 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है जबकि सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10 सीटें मिली हैं. कहा जा रहा है कि शेर बहादुर देउबा का एक बार फिर पीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है.
आखिर कौन हैं शेर बहादुर देउबा
देउबा नेपाली राजनेता है जो जुलाई 2021 से नेपाल के प्रधान मंत्री के रूप में सेवा कर रहे हैं. साल 2016 से वह नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर रहे हैं. देउबा इससे पहले चार बार (1995–1997, 2001–2002, 2004–2005, and 2017–2018) प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
डडेलधुरा के एक सुदूर गांव आशिग्राम में जन्मे और पले-बढ़े देउबा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा वहीं से पूरी की. माध्यमिक शिक्षा दोती से हुई और उन्होंने त्रि-चंद्र कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की. देउबा ने एक छात्र के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और अन्य लोगों के साथ मिलकर नेपाली कांग्रेस की छात्र शाखा नेपाल छात्र संघ की स्थापना की थी.
1971 से 1980 तक, उन्होंने छात्र विंग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. 1960 और 1970 के दशक के दौरान, पंचायत प्रणाली के खिलाफ काम करने के लिए देउबा को जेल भी जाना पड़ा. 1990 की क्रांति के दौरान देउबा एक सक्रिय प्रचारक थे और 1991 में अगले साल के आम चुनावों में, वह डडेलधुरा 1 से प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए और गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली कैबिनेट में गृह मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया.
साल 1995 में बने पहली बार पीएम
मनमोहन अधिकारी ने 1995 में दो साल में दूसरी बार संसद को भंग करने की कोशिश की. इसके बाद देउबा प्रधान मंत्री बने. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भारत के साथ महाकाली संधि पर हस्ताक्षर किए. माओवादियों के उदय के बीच जुलाई 2001 में बतौर पीएम उनकी दूसरी पारी शुरू हुई. बाद में, उन्होंने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को "आतंकवादी संगठन" के रूप में सूचीबद्ध किया.
अक्टूबर 2002 में राजा ज्ञानेंद्र ने देउबा को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन लोगों की सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बाद, जून 2004 में उन्हें फिर से प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया था. चौथी बार वह 2017 में पीएम बने जब कांग्रेस और सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने समझौते में सरकार बनाई थी. अब एक बार फिर देउबा के नेतृत्व में कांग्रेस और सीपीएन साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं.