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Nepal Political Crisis: नेपाल में गिरी प्रचंड सरकार! संसद में विश्वास मत हारे PM Pushpa Kamal Dahal, जानें क्या Deuba-Oli की सत्ता में होगी वापसी

Nepal साल 2008 में गणतंत्र बना था. उससे पहले यहां राजशाही था. नेपाल के 16 साल के छोटे से लोकतांत्रिक इतिहास में 13 सरकारें गिर चुकी हैं. अब नेपाल की जनता 14वीं सरकार देखेगी. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' विश्वास मत हार गए हैं. 

Deuba, Prachanda and Oli. (File Photo: Getty) Deuba, Prachanda and Oli. (File Photo: Getty)
हाइलाइट्स
  • नेपाल में सरकार बनाने के लिए 138 सीटों की होती है जरूरत 

  • ओली और देउबा के पास हैं कुल 167 सांसद 

हमारा पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) इस समय सियासी उथल-पुथल का सामना कर रहा है. 19 महीने की प्रचंड सरकार को शुक्रवार को गहरा झटका लगा है. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' (Prime Minister Pushpa Kamal Dahal  'Prachanda')  संसद (Parliament) में विश्वास मत हार गए हैं. इसके बाद उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. अब नेपाल में किसकी सरकार बनेगी और अगला पीएम कौन होगा इस पर मंथन तेज हो गया है.

प्रचंड सरकार से 3 जुलाई को समर्थन ले लिया था वापस
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) ने प्रचंड सरकार से 3 जुलाई 2024 को अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद प्रचंड सरकार अल्पमत में आ गई थी और विश्वास मत हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. पीएम पुष्प कमल दहल को नेपाली संविधान के आर्टिकल 100(2) के अंतर्गत एक महीने के भीतर बहुमत साबित करना था. जिसमें वह शुक्रवार को पास नहीं हो पाए और सरकार गिर गई. 

विश्वास मत में किसे मिले कितने वोट 
पुष्प कमल दहल प्रचंड को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 63 वोट मिले. प्रस्ताव के खिलाफ 194 वोट पड़े. विश्वास मत जीतने के लिए प्रचंड सरकार को कम से कम 138 वोटों की जरूरत थी. विश्वास प्रस्ताव के दौरान 258 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया जबकि एक सदस्य ने वोट नहीं किया. यह पांचवां मौका था जब पुष्प कमल दहल ने संसद में अविश्वास मत का सामना किया. इससे पहले 4 प्रयासों में वह विश्वास मत हासिल करने में सफल रहे थे. 

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किस पार्टी के पास हैं कितनी सीटें 
275 सदस्यीय प्रतिनिधि वाले नेपाल के निचले सदन में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 138 सांसदों की जरूरत पड़ती है. अभी सदन में नेपाल कांग्रेसी एनसी के पास 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं.

प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के पास सिर्फ 32 सीटें हैं. नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद शुक्रवार को संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श शुरू कर  दिया है. उन्होंने प्रचंड से नई सरकार बनने तक कार्यवाहक पीएम के रूप में कार्यभार संभालने को कहा है.

देउबा और ओली नई सरकार बनाने का पेश करेंगे दावा
प्रचंड के विश्वास मत हारने के बाद देउबा और ओली की सत्ता में वापसी हो सकती है. जी हां, क्योंकि इन दोनों नेताओं की पार्टियों में सरकार बनाने को लेकर समझौता हो चुका है. इन दोनों पार्टियों के पास कुल 167 सांसद हैं. नेपाल कांग्रेसी एनसी और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते के मुताबिक ओली और देऊबा बार-बारी से तीन साल तक पीएम पद संभालेंगे. 

शेर बहादुर देउबा ने पहले ही ओली को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दे दिया है. नई सरकार में पहले डेढ़ साल तक केपी शर्मा ओली पीएम बनेंगे, उसके बाद देउबा प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे. अब ये दोनों अपने-अपने सांसदों के दस्तखत के साथ राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से मिलकर नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. आपको मालूम हो कि शेर बहादुर देउबा भारत के समर्थक माने जाते हैं वहीं ओली चीन के करीबी हैं.

दोनों पार्टियों में हो चुका है समझौता
देउबा और ओली की पार्टी के बीच समझौता सिर्फ पीएम पद को लेकर ही नहीं हुआ है बल्कि गृह मंत्रालय को लेकर भी हुआ है. समझौते के मुताबिक जिस पार्टी का नेता सरकार की अगुवाई करेगा, उसे गृह मंत्रालय नहीं मिलेगा. इसका मतलब है कि जब तक केपी शर्मा ओली पीएम रहेंगे तब तक सीपीएन-यूएमएल को गृह मंत्रालय नहीं मिलेगा. यह मंत्रालय देउबा की नेपाली कांग्रेस के पास रहेगा. इतना ही नहीं इन दोनों पार्टियों ने संविधान संशोधन का एक ड्राफ्ट भी तैयार किया है. इसमें उपराष्ट्रपति को नेशनल असेंबली का अध्यक्ष बनाने का प्रावधान है.

किसी भी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव कराए गए थे. उस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. तीनों बड़ी पार्टियों में से सबसे कम सीट जीतने के बाद भी गठबंधन के सहारे प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के पीएम बन गए थे.

उन्हें शेर बहादुर देउबा की पार्टी नेपाली कांग्रेस का समर्थन मिला था. हालांकि ये गठबंधन बहुत दिनों तक नहीं चला था. मार्च 2024 में यह गठबंधन टूट गया था. इसके बाद प्रचंड ने केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. देउबा की नेपाली कांग्रेस को विपक्ष में जाना पड़ा था. अब प्रचंड और ओली में गठबंधन टूट चुका है. इस तरह नेपाल में पिछले 2 साल में तीसरी बार सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है.

नेपाल की जनता अब देखेगी 14वीं सरकार 
नेपाल साल 2008 में गणतंत्र बना था. उससे पहले यहां राजशाही था. नेपाल के 16 साल के छोटे से लोकतांत्रिक इतिहास में 13 सरकारें गिर चुकी हैं. अब नेपाल के लोग 14वीं सरकार को देखेंगे. 

नेपाल के पहले आम चुनाव में प्रचंड की पार्टी ने ओली की पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाया था. हालांकि साल 2009 में ही प्रचंड ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद  सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी. यह सरकार भी 2010 में गिर गई थी. फिर झाला नाथ खनाल और बाबूराम भट्टाराई प्रधानमंत्री बने लेकिन ये दोनों भी लंबे समय तक सत्ता पर काबिज नहीं रहे. 

2014 में सुशील कोइराला चुने गए थे पीएम 
फरवरी 2014 में नेपाली कांग्रेस और  सीपीएन-यूएमएल ने मिलकर फिर सरकार बनाई और सुशील कोइराला पीएम चुने गए. कोइराला भी दो साल से कम समय तक ही पीएम रहे. इसके बाद 2015 में केपी शर्मा ओली गठबंधन के तहत पीएम चुने गए. प्रचंड अगस्त 2016 में कई छोटी पार्टियों के सहयोग से पीएम बनने में फिर सफल हो गए. साल 2017 में ओली और प्रचंड की पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई. तह हुआ कि ओली और प्रचंड बारी-बारी से पीएम बनेंगे. 

प्रचंड को जब पीएम बनने का समय आया, तब ओली ने संसद को भंग कर चुनाव कराने का आदेश दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संसद को बहाल कर दिया. इसके बाद शेर बहादुर देउबा पीएम बने. नवंबर 2022 में हुए चुनाव में देउबा की पार्टी ने सबसे ज्यादा 89 सीटें जीतीं, लेकिन बहुमत से दूर रही. एक बार फिर देउबा और प्रचंड ने मिलकर सरकार बनाई. प्रचंड पीएम चुने गए. हालांकि ये गठबंधन बहुत दिनों तक नहीं चला और मार्च 2024 में टूट गया. इसके बाद ओली के साथ गठबंधन कर प्रचंड फिर पीएम बन गए. अब प्रचंड और ओली में गठबंधन भी टूट चुका है.