अभी तक आपने चंद्रमा और मंगल ग्रह की यात्रा को लेकर खबरों के बारे में सुना होगा, लेकिन अब शुक्र ग्रह की यात्रा भी संभंव हो सकेगी. OceanGate Expedition के सह-संस्थापक गुइलेर्मो सोहनलेन (Guillermo Sohnlein) ने साल 2050 तक 1,000 मनुष्यों को शुक्र ग्रह पर भेजने की अपनी इच्छा जाहिर की है. शुक्र यानी वीनस को पृथ्वी की बहन ग्रह के रूप में भी जाना जाता है. यह बयान तब आया है जब कंपनी 'Titan'नामक एक फटे हुए पनडुब्बी के बारे में जांच का सामना कर रही है, जो कि गहरे समुद्र में टाइटैनिक जहाज के मलबे की तलाश में एक अभियान पर निकला था. पनडुब्बी दुर्घटना का शिकार हो गई थी और इसमें पांच यात्रियों की मौत हो गई थी.
सबमर्सिबल 18 जून को लापता हो गया था और अमेरिकी तट रक्षकों ने ऑक्सीजन खत्म होने की रिपोर्ट की पुष्टि के बाद 22 जून को जानकारी दी थी कि उन्हें मलबा मिला है.Insider से बात करते हुए, सोहनलेन ने कहा, "शुक्र ग्रह पर कालोनी बसाना मंगल ग्रह पर लोगों को भेजने से ज्यादा आसान है. उन्होंने इस बारे में ओशियनगेट पर सुरक्षा को लेकर उठने वाले सवालों को भी दरकिनार कर दिया. यदि आप सोच रहे हैं कि उन्होंने ग्रह पर इन मनुष्यों के रहने की योजना कैसे बनाई है, तो वह उस शोध की ओर इशारा करते हैं जो बताता है कि सतह से लगभग 30 मील की दूरी पर शुक्र के वायुमंडल का एक टुकड़ा है जहां मनुष्य सैद्धांतिक रूप से जीवित रह सकते हैं क्योंकि तापमान कम है, और दबाव कम तीव्र होता है. ओसियनगेट के सह-संस्थापक ने कहा, "यह फ्लोटिंग कॉलोनी 1,000 लोगों की क्षमता वाली होगी," हालांकि वह इस बारे में स्पष्ट नहीं थे कि यह वास्तव में कैसे होगा.
इतनी गर्मी में लोग कैसे रहेंगे?
जब गिलर्मों से इस बारे में सवाल किया गया कि इतने गर्म प्लानेट पर लोग कैसे रहेंगे तो उन्होंने बताया कि नासा के अनुसार शुक्र में बहुत सारे कार्बन डाइऑक्साइड के साथ घना, जहरीला वातावरण है. यह हमेशा सल्फ्यूरिक एसिड से बने मोटे, पीले बादलों से ढका होता है. यह बादल गर्मी को फंसाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा होता है. भले ही बुध सूर्य के करीब है लेकिन शुक्र वास्तव में हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है. वहां सतह का तापमान 900 डिग्री फ़ारेनहाइट (475 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच सकता है, जो सीसा पिघलाने के लिए पर्याप्त है. ग्रह की सतह का रंग जंग (rusty color)जैसा है और यह घने पहाड़ों और कई बड़े ज्वालामुखियों से भरा हुआ है.
मस्क के स्पेस एक्स से की तुलना
गिलर्मो ने कहा कि अगर एक अंतरिक्ष स्टेशन को बादलों में सल्फ्यूरिक एसिड का सामना करने के लिए डिजाइन किया जा सकता है तो सैंकड़ों से हजारों लोग किसी दिन शुक्र वातावरण में रहे सकते हैं. सोहनलेन ने वीनस कार्यक्रम की तुलना मस्क के स्पेसएक्स से की. उन्होंने कहा कि ओशनगेट का लक्ष्य सस्ते चालक दल वाले पनडुब्बियों का निर्माण करना था जिन्हें समुद्र की गहराई का पता लगाने के लिए किराए पर लिया जा सकता था. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते में विकसित टेक्नोलॉजी संभवतः मनुष्यों को अंतरिक्ष की यात्रा में मदद करने में उपयोगी होंगी. उन्होंने इसकी तुलना एलन मस्क के स्पेसएक्स से की, जिसका लक्ष्य लाखों लोगों को मंगल की सतह पर लाना है. स्पेसएक्स ने रियूजेबल रॉकेट, स्टारलिंक और इसके स्टारशिप मेगा-रॉकेट के विकास के माध्यम से इसे हासिल किया है.