इंडोनेशिया के कई हिस्सों में आज भी बिजली की पहुंच नहीं है. इस कारण इन जगहों पर लोगों का काम और दिन सूरज ढलते ही खत्म हो जाता है. बिजली न होने के कारण लोगों की जिंदगी भी ठहरी हुई सी रहती है. लेकिन अब पूर्वी इंडोनेशिया में सुंबा द्वीप पर लैनदेहा में लोगों का जीवन पहले से ज्यादा रोशन हो गया है. क्योंकि अब उनकी रातें भी रोशन हो रही हैं और इसका कारण है सोलर एनर्जी.
आपको बता दें कि दुनिया भर में, करोड़ों लोग बिजली की नियमित पहुंच के बिना समुदायों में रहते हैं, और ऑफ-ग्रिड सौर सिस्टम इन जगहों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. जब तक इन गांवों को बिजली मिलता है तब तक ऑफ-ग्रिड सौर सिस्टम इनके जीवन में उजाला ले आता है. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, 2022 में दुनिया भर में लगभग 775 मिलियन लोगों के पास बिजली की सुविधा नहीं थी.
उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में बिजली की पहुंच के कम है. संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक ने 2021 की एक रिपोर्ट में लिखा है कि घर में बिजली नहीं होने से लोग गरीबी में रहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बहुत गरीब लोगों के लिए बिजली हासिल करना मुश्किल है, और जिन लोगों के पास बिजली नहीं है उनके लिए आधुनिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन पाना और भी मुश्किल.
अभी भी नहीं हैं बिजली के ग्रिड
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, इंडोनेशिया ने हाल के वर्षों में लाखों लोगों को बिजली पहुंचाई है, जो 2005 और 2020 के बीच 85 फीसदी से बढ़कर लगभग 97 फीसदी हो गया है. लेकिन इंडोनेशिया में अभी भी पांच लाख से अधिक लोग ऐसे स्थानों पर रह रहे हैं जहां ग्रिड नहीं पहुंचता है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि द्वीप पर ऑफ-ग्रिड सोलर प्रोग्राम्स को विशाल द्वीपसमूह राष्ट्र में दोहराया जा सकता है, जिससे दूरदराज के समुदायों को अक्षय ऊर्जा मिल सकती है.
अब, ग्रामीण कभी भी काम कर सकते हैं. पैनल द्वारा चार्ज किए गए सेलफोन पर टेलीविजन शो देखने के लिए इकट्ठा होते हैं और बच्चों को पढ़ने के लिए पर्याप्त रोशनी होती है. पूर्वी सुंबा के नदापयमी गांव के 17 वर्षीय छात्र एंटोनियस पेकंबानी ने मीडिया से कहा, "मैं वास्तव में पहले रात में पढ़ाई नहीं कर सकता था. लेकिन अब मैं कर सकता हूं.
3000 से ज्यादा घर हुए रोशन
2019 से पूर्वी सुंबा में स्थित सुंबा सस्टेनेबल सॉल्यूशंस जैसे जमीनी संगठनों के प्रयासों से यह संभव हुआ. संगठन सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण जैसे वायरलेस लैंप और ग्राइंडिंग मशीन भी प्रदान करता है. इसने कहा कि इसने 3,000 से अधिक घरों तक पहुंचने के लिए पूरे द्वीप में 3,020 से ज्यादा सौर प्रकाश प्रणालियों और 62 मिलों को वितरित किया है.
वालतुंगगा में रहने वाली पांच बच्चों की 46 वर्षीय मां इमेल्डा पिंडी एमबिटु ने कहा कि वह पहले पूरे दिन लोकल बाजार में बेचने के लिए हाथ से मकई की गुठली और कॉफी बीन्स पीसती थीं; अब, वह इसे गांव सामुहिक सौर ऊर्जा से चलने वाली मिल में ले जाती हैं. जहां चंद मिनटों में काम हो जाता है. सोलर एनर्जी से न सिर्फ यहां पर लोगों को रोशनी मिली है बल्कि अब वे कई काम रात को करके समय की बचत करते हैं और साथ ही, उनका रोजगार भी बढ़ा है.