नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. सोमवार को वह तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे. 72 वर्षीय ओली के अलावा मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे. बता दें कि पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' बहुमत परीक्षण पास करने में विफल रहे. जिसके बाद ओली ने अगला प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश किया. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि केपी शर्मा ओली कौन हैं और भारत के प्रति उनका रुख कैसा रहा है.
पिछले 15 सालों में बनी 14 सरकार
नेपाल में राजशाही थी लेकिन 2008 में लोकतंत्र ने इसकी जगह ले ली. इस बात को 15 साल हो चुके हैं लेकिन देश अब भी राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है. इस बार के ओली सरकार को मिलाकर बीते 15 सालों में 14 सरकारें बनी हैं. ओली इस बार तीसरी बार पीएम बनेंगे. पहली बार वह 2015 में प्रधानमंत्री बने थे. उनका कार्यकाल 11 अक्टूबर 2015 से 3 अगस्त 2016 तक था. वहीं दूसरी बार वह 15 फरवरी 2018 से 13 जुलाई 2021 तक पीएम रहे.
विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे प्रचंड
नेपाल में गठबंधन की सरकार थी जिसके नेता पुष्प कमल दहल "प्रचंड" थे. प्रचंड भी तीन बार नेपाल के पीएम रह चुके हैं. 2022 में ही उन्होंने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत की थी लेकिन गठबंधन की सरकार होने की वजह से अस्थिरता बनी रही और आखिरकार उन्हें अपने पद से हटना पड़ा. अस्थिरता का आलम ये कि अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने मुख्य गठबंधन सहयोगी को तीन बार बदला. इतना ही नहीं पांच बार विश्वास मत भी हासिल करना पड़ा लेकिन छठी बार विफल रहे.
कौन हैं केपी शर्मा ओली ?
1952 में जन्मे ओली 12 साल की उम्र में ही राजनीति में आ गए. मार्क्स और लेनिन से प्रभावित थे तो कम्युनिस्ट राजनीति में सक्रिय हो गए. 14 वर्षों तक जेल में भी रहे. बाद में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) का गठन किया. लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चले ओली 1991 में एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी के नेता बने. बता दें कि CPN (ML) और CPN (M) को मिलाकर (CPN-UML) की स्थापना की गई थी. 2006 से 2007 तक वे उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री रहे. पहली बार 2015 में वह नेपाल के पीएम बने हालांकि 2016 में ही वह सरकार से बाहर हो गए. इसके बाद 2018 में फिर से एक बार वह पीएम बने. लेकिन ये सरकार भी 2021 तक ही चली. अब वह तीसरी बार पीएम बनने जा रहे हैं.
नेपाली कांग्रेस के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं और नेपाली कांग्रेस ओली के साथ सरकार में शामिल होगी. ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे रहने की संभावना है. हालांकि ओली सरकार के कार्यकाल में ही विवादित नक्शा जारी किया गया था जिसके बाद भारी विवाद हुआ था.