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Origins of the Keffiyeh: कभी धूप से बचाने के आता था काम… धीरे-धीरे कूफिए बन गया फिलिस्तीनी संघर्ष की पहचान… कहानी इस चेकनुमा स्कार्फ की  

History of Keffiyeh: प्राचीन समय में, कूफिए केवल एक कपड़ा था, जिसे सिर या गर्दन के चारों ओर लपेटा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग केवल कपड़े पहनने तक नहीं रह गया, बल्कि अरब पहचान का प्रतीक बन गया. 

Origins of the Keffiyeh (Image/GettyImages) Origins of the Keffiyeh (Image/GettyImages)
हाइलाइट्स
  • हजारों साल पुराना है कूफिए का इतिहास

  • कभी धूप से बचाने के आता था काम

सदियों से अरब देशों के लोग धूप और गर्मी से बचने के लिए सिर पर एक स्कार्फ पहनते हैं, जिसे कूफिए कहा जाता है. ये एक तरह का चेकर्ड हेडस्कार्फ होता है. रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं से खुद को बचाने के लिए इसे पहना जाता रहा है. समय के साथ, यह आम सा हेडस्कार्फ एक शक्तिशाली राजनीतिक प्रतीक बन गया. कूफिए आज फिलिस्तीनी संघर्ष और सांस्कृतिक की पहचान है. जो कभी केवल धूप से बचने का एक साधन मात्र था, वह आज न्याय और आजादी की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है.

अब एक बार फिर से कूफिए (keffiyeh) केंद्र में आ गया है. पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक झुम्पा लाहिरी ने न्यूयॉर्क शहर के नोगुची म्यूजियम द्वारा दिए जा रहे एक अवार्ड को लेने से इनकार कर दिया. इसका कारण था, उनका विरोध. म्यूजियम ने कुछ समय पहले ही तीन कर्मचारियों को उनके काम के दौरान कूफिए पहनने के लिए निकाल दिया था.

म्यूजियम का कहना था कि उन्होंने एक नई ड्रेस कोड पॉलिसी लॉन्च की है. किसी को भी ऐसा कुछ पहनने की इजाजत नहीं है जिसका संबंध किसी राजनीतिक प्रतीक से हो. 

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हजारों साल पुराना है कूफिए का इतिहास
कूफिए का इतिहास हजारों साल पुराना है. इसका जिक्र मेसोपोटामिया समाज में मिलता है. परंपरागत रूप से, यह बेडुइन और ग्रामीण अरब समुदायों के लिए दैनिक जीवन का हिस्सा था. स्कार्फ रेगिस्तान की कड़ी धूप और रेत के तूफान से सुरक्षा देता था. इसके चेकर्ड डिजाइन में अलग-अलग तरह के पैटर्न होते हैं, जिनमें सबसे पॉपुलर है काले और सफेद रंग का चेक. मध्य पूर्व के कई हिस्सों में, कूफिए के अलग-अलग रंग और पैटर्न पहने जाते थे. 

फोटो-गेटी इमेज
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प्राचीन समय में, कूफिए केवल एक कपड़ा था, जिसे सिर या गर्दन के चारों ओर लपेटा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग केवल कपड़े पहनने तक नहीं रह गया, बल्कि अरब पहचान का प्रतीक बन गया. 

फिलिस्तीनी प्रतिरोध का प्रतीक के रूप में कूफिए
1936-1939 के अरब विद्रोह के दौरान कूफिए पहली बार एक राजनीतिक प्रतीक बना. फिलिस्तीनी लड़ाके, जिनमें से कई ग्रामीण किसान थे, ने यूरोपीय यहूदियों की बढ़ती संख्या के खिलाफ विद्रोह करते समय कूफिए पहना था. जैसे-जैसे विद्रोह ने गति पकड़ी, कूफिए एकजुटता का प्रतीक बन गया. विद्रोहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों से अपनी पहचान छिपाने के लिए इसे पहनना शुरू किया. 

यह कूफिए और प्रतिरोध के बीच की यह पहचान अगले कुछ दशकों में बढ़ती गई. 1948 में जब इजरायल की स्थापना हुई तब नकबा (फिलिस्तीनी विस्थापन) के दौरान, सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनियों को उनके घरों से जबरन बेदखल कर दिया गया. जो लोग वापस आने की इच्छा रखे हुए थे, उनके लिए कूफिए उनकी पैतृक भूमि की पहचान और वहां लौटने की चाह का प्रतीक बन गया.

फोटो-गेटी इमेज
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1960 और 1970 के दशकों में, कूफिए को और ज्यादा पहचान मिली. फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के नेता यासिर अराफात ने इसे काफी पॉपुलर किया. यासिर अराफात ने लगभग सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों में काले और सफेद कूफिए पहना. कूफिए के साथ यासिर अराफात की छवि फिलिस्तीनी संघर्ष का पर्याय बन गई. यहीं से कूफिए प्रतिरोध का एक वैश्विक प्रतीक बन गया. 

दुनिया भर के एकजुटता आंदोलनों में पहना गया
जैसे-जैसे फिलिस्तीनी आजादी और मान्यता के लिए लड़ाई चलती रही 20वीं और 21वीं सदी तक कूफिए दुनिया भर में पहचाना जाने लगा. इतना ही नहीं ये एकजुटता आंदोलनों की पहचान बन गया. कूफिए दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों, रैलियों और राजनीतिक सभाओं में एक आम चीज बन गया. यूरोप में छात्रों से लेकर अमेरिका के नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं तक, स्कार्फ को फिलिस्तीनी संघर्ष के साथ अपनी पहचान के रूप में पहना गया. इसका उपयोग अब केवल अरब तक नहीं बल्कि दुनियाभर में होने लगा. 

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हालांकि, जैसे-जैसे कूफिए की लोकप्रियता बढ़ी, ये एक तरह से फैशन भी बना. पश्चिम में कूफिए को एक फैशनेबल एक्सेसरी के रूप में पहचना जाने लगा. इसे हाई-एंड स्टोर्स में बेचा भी गया. 

आज के समय में, कूफिए न केवल फिलिस्तीन में बल्कि पूरे विश्व में एक सशक्त प्रतीक बना हुआ है. फिलिस्तीन में, पुरुष और महिलाएं गर्व से इसे पहनते हैं. कई लोगों के लिए, कूफिए सिर्फ एक स्कार्फ नहीं है; यह आशा, प्रतिरोध और एकता का बैनर है.