
गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्म पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गई. इस बार कुल 139 पद्म पुरस्कार दिए जा रहे हैं. इन लोगों में भारतीय, NRI और कुछ विदेशी शामिल हैं. 23 महिलाओं को पद्म पुरस्कार मिले हैं तो 13 लोगों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया जा रहा है. आज हम आपको बताएंगे ऐसे लोगों के बारे में जो भारतीय नहीं हैं लेकिन अपना काम से भारत का दिल जीतने में सफल रहे हैं. इसलिए इन लोगों को भी पद्म पुरस्कार से नवाजा गया है.
1. ओसामु सुजुकी, पद्म विभूषण
सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व प्रमुख, दिवंगत जापानी उद्योगपति ओसामु सुजुकी को मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. जब कोई भी भारत में ऑटोमोबाइल कंपनी होने पर विश्वास नहीं कर रहा था जब सुजुकी ने भारत पर दांव लगायाय उन्हें व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में "असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए" 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया है. पिछले साल 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.
1981 में, सुजुकी ने एक संयुक्त उद्यम मारुति उद्योग लिमिटेड बनाने के लिए तत्कालीन भारत सरकार के साथ साझेदारी करने का रिस्क लिया. उस समय भारत लाइसेंस व्यवस्था के तहत एक बंद अर्थव्यवस्था थी लेकिन सुजुकी ने भारत पर भरोसा जताया. उन्हें व्यापक रूप से देश में ऑटोमोटिव उद्योग को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति के रूप में माना जाता है.
30 जनवरी, 1930 को जन्मे सुजुकी ने चुओ विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन की और अप्रैल 1958 में तत्कालीन सुजुकी मोटर कंपनी लिमिटेड में शामिल हो गए. उन्हें नवंबर 1963 में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया और दिसंबर 1967 में निदेशक और प्रबंध निदेशक बने. वह जून 2000 में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष बने. जून 2021 में, उन्हें वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया और उनके सबसे बड़े बेटे तोशीहिरो सुजुकी ने बागडोर संभाली.
2. स्टीफन नैप, पद्म श्री
स्टीफन नैप को उनके आध्यात्मिक नाम श्री नंदनंदन दास के नाम से भी जाना जाता है. वह एक अमेरिकी लेखक, शोधकर्ता और वक्ता हैं जो भारतीय परंपराओं, विशेष रूप से सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को समझने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं. दशकों से, वह पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु रहे हैं, जिससे लाखों लोगों को भारत की गहन आध्यात्मिक गहराई को समझने में मदद मिली है. स्टीफन नैप ने भारतीय आध्यात्मिकता, वैदिक परंपराओं और दर्शन पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जैसे "द सीक्रेट टीचिंग्स ऑफ वेदाज़", "प्रूफ ऑफ वेदिक कल्चर्स ग्लोबल एहग्जिसटेंस", और "द हार्ट ऑफ हिंदुइज्म." ये पुस्तकें भारतीय संस्कृति के बारे में बताती हैं और दुनिया भर के साधकों के लिए एक आध्यात्मिक रोडमैप प्रस्तुत करती हैं.
उन्होंने भगवद गीता, श्रीमद्भागवतम, और उपनिषद जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अनुवाद और व्याख्या की है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए सुलभ हो गए हैं. उन्होंने भारत में आध्यात्मिक यात्राओं का आयोजन किया है, जिससे विदेशी यात्रियों को देश की संस्कृति, विरासत और आध्यात्मिक ऊर्जा को जानने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. उनके प्रयासों ने सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा दिया है, जिससे आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भारत की वैश्विक छवि में योगदान हुआ है.
3. शेखा एजे अल-सबा, पद्मश्री
कुवैत की रहने वाली शेखा एजे अल-सबा को भी पद्म श्री से नवाजा गया है. उन्होंने कुवैत में योग की शुरुआत की और गल्फ इलाकों में योग के बारे में जागरूकता फैला रही हैं. उन्होंने कुवैत में पहले लाइसेंस्ड योग स्टूडियो, दरात्मा (2014) की शुरुआत की. उनकी पहल ने भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने शेम्स यूथ योगा भी शुरू किया जो 0-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए एक पाठ्यक्रम है. 2015 से वह संयुक्त अरब अमीरात में विपश्यना मौन रिट्रीट का आयोजन कर रही हैं.
साल 2021 में यमनी शरणार्थियों और अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों के लिए शेखा ने योम्नाक लिल यमन प्रोग्राम लॉन्च करके फंडिंग इकट्ठा की. साथ ही, कुवैत में गरीब बच्चों की पढ़ाई में भी मदद की. उन्होंने कुवैत में रेकी जिन केई डो मास्टर प्रशिक्षण का आयोजन किया और अमेरिका में मोनरो इंस्टीट्यूट में चेतना प्रशिक्षण आयोजित किया. शेखा का विजन योग से आगे तक है, जो जागरूकता और वैश्विक एकता को बढ़ावा देने के लिए पारंपरा के साथ आधुनिक दृष्टिकोण को जोड़ रही हैं.
4. जोनास मसेटी, पद्म श्री
ब्राजील में रहने वाले और वेदांत और गीता को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने वाले जोनास मसेटी को भी पद्म श्री मिला है. मसेटी एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जो स्टॉक मार्केट से जुड़ी एक कंपनी में काम करते थे, लेकिन बाद में उन्हें भारतीय संस्कृति, खासकर वेदांता में पहचान मिली. वह ब्राजील में राजधानी से लगभग एक घंटे की ड्राइव पर पहाड़ियों के बीच पेट्रोपोलिस में 'विश्वविद्या' नामक संस्थान चलाते हैं. उन्होंने भारत में वेदांत का अध्ययन किया है और अपने संदेश को प्रचारित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और नियमित ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करते हैं.
अपने विश्व विद्या संस्थान के माध्यम से, वह आधुनिक तकनीक के साथ प्राचीन ज्ञान का मिश्रण करके 150,000 से अधिक छात्रों तक पहुंच चुके हैं. उनके एकांतवास, ऑनलाइन कक्षाएं और किताबें वेदांतिक ज्ञान को दुनिया भर के लोगों के लिए सुलभ बनाती हैं.