पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कई मामलों में सजा हुई है. लेकिन अब उनके सामने एक बड़ी मुश्किल आ गई है. खबर है कि पिछले साल 9 मई को सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों में प्रत्यक्षदर्शियों ने 71 साल के इमरान खान को मास्टरमाइंड बताया है. अगर पूर्व प्रधानमंत्री इस मामले में दोषी ठहराए जाते हैं तो उनके खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत सजा सुनाई जा सकती है. इस एक्ट में फांसी की सजा तक का प्रावधान है. चलिए आपको बताते हैं कि आर्मी एक्ट क्यों खतरनाक है और इसमें किस तरह की सजा हो सकती है.
क्या है पाकिस्तान आर्मी एक्ट-
पाकिस्तान का आर्मी एक्ट साल 1952 में लागू हुआ था. ये कानून बहुत ही सख्त है. ये सेना का कानून है. इसमें उसके कामकाज और अनुशासन से लेकर प्रशासन तक के बारे में बताया गया है. आर्मी एक्ट का इस्तेमाल सैनिकों पर केस चलाने के लिए भी किया जाता है. इस कानून में सेना के खिलाफ लिखित या मौखिक तरीके से विद्रोह करने पर मुकदमा चलाया जाता है. इस कानून के कुछ प्रावधान नागरिकों पर भी लागू होते हैं.
यह एक विवादास्पद कानून है. इस कानून में राष्ट्रपति अयूब खान के समय में साल 1966 में बदलाव भी किया गया था और इसके दायरे में नागरिकों को भी लाया गया था. इस कानून में विद्रोह भड़काने से लेकर सैन्य बुनियादे ढांचे पर हमला करने तक को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया था.
पाकिस्तान आर्मी एक्ट में साल 2015 में संशोधन किया गया था. इस संशोधन को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली से पास किया गया था. इस संशोधन में आतंकवाद के संदिग्ध नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष सैन्य अदालतों की स्थापना की इजाजत दी गई है. पाकिस्तान आर्मी एक्ट में साल 2023 में भी संशोधन किया गया था.
कैसे होती है सुनवाई-
पाकिस्तान आर्मी एक्ट के तहत मामले की सुनवाई सेना की अदालत में होती है. इसे फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल कहा जाता है. इस एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही जज एडवोकेट जनरल ब्रांच के अधीन होती है. इस कोर्ट का प्रेसिडेंट और अभियोजन पक्ष का वकील भी मिलिस्ट्री अफसर होता है. इस कानून में आरोपी को एक वकील रखने का अधिकार भी दिया गया है. अगर आरोपी को दोषी ठहराया जाता है तो 40 दिन के भीतर सेना की अदालत में अपील करने का अधिकार है. अगर सेना की अदालत के फैसले से कोई पक्ष असंतुष्ट है तो उसको हाई कोर्ट में जाने का अधिकार है.
फांसी की सजा तक का प्रावधान-
पाकिस्तान आर्मी एक्ट 1952 के तहत फांसी की सजा तक का प्रावधान है. इस एक्ट के तहत अपराधा की गंभीरता के आधार पर सजा सुनाई जाती है. इस कानून के तहत 2 साल से लेकर आजीवन कारावास और फांसी की सजा तक का प्रावधान है.
ये कानून कागजों में देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने वाला दिखाई देता है. लेकिन हकीकत में इसका गलत इस्तेमाल होता है. कई बार इस कानून के जरिए सियासत को प्रभावित करने की कोशिश हुई है. इमरान खान ने भी आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है.
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