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Pakistan bans VPN: पाकिस्तान ने वीपीएन को बताया गैर-इस्लामिक, बैन भी लगाया... पाकिस्तानियों का कैसे बढ़ेगा सिरदर्द? जानिए पूरा मामला 

गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एक आधिकारिक नोटिस में कहा कि वीपीएन एक सुरक्षा जोखिम है. बयान में आरोप लगाया गया कि इनका इस्तेमाल पारंपरिक सुरक्षा साधनों को बेअसर करने के लिए किया जा रहा है. यह बयान सामने आने के एक दिन बाद पाकिस्तान के काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) ने भी सरकार के फैसले का समर्थन किया.

Photo by Privecstasy on Unsplash Photo by Privecstasy on Unsplash

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने अनाधिकृत वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) बैन करने का फैसला किया है. मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि आतंकवादी समूह हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा बयान में यह भी कहा गया कि वीपीएन का इस्तेमाल देश में पॉर्नोग्राफिक और 'ईशनिंदा से संबंधित' कंटेंट देखने के लिए हो रहा है. जिसकी वजह से इसे बैन करना जरूरी है.

आने वाले समय में पाकिस्तानी नागरिक इंटरनेट पर क्या-क्या इस्तेमाल कर पाएंगे, उन्हें इंटरनेट पर रहने के लिए क्या करना होगा और उनकी आजादी में सरकार का हस्तक्षेप कितना बढ़ेगा. सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तानियों की इंटरनेट फ्रीडम से जुड़े ये सवाल उनके सामने आ खड़े हुए हैं.

क्या कहता है सरकार का आदेश?
मंत्रालय ने गुरुवार को एक आधिकारिक नोटिस में कहा कि वीपीएन एक सुरक्षा जोखिम है. बयान में आरोप लगाया गया कि इनका इस्तेमाल पारंपरिक सुरक्षा साधनों को बेअसर करने के लिए किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न समूह "अपने संचार को छुपाने" के लिए वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए संभावित खतरों की प्रभावी ढंग से निगरानी करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. इसी बयान में गृह मंत्रालय ने वीपीएन को गैर-इस्लामिक भी बताया और कहा कि इसका इस्तेमाल देश में पॉर्न देखने के लिए किया जा रहा है. 

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फिर इस्लामिक काउंसिल ने भी बताया 'गैर-इस्लामिक'
गृह मंत्रालय का बयान सामने आने के एक दिन बाद यह मामला पाकिस्तान के काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) तक पहुंचा. एक सवाल के जवाब में सीआईआई के चेयरमैन डॉ राग़िब हुसैन नईमी ने कहा कि सरकार के पास बुरी चीजों को रोकने और उन तक पहुंच खत्म करने का अधिकार है. 

एक सवाल के जवाब में डॉ. नईमी ने कहा कि वीपीएन भले ही तकनीकी रूप से सुरक्षा और गोपनीयता के लिए फायदेमंद है लेकिन अक्सर बैन किए हुए कंटेंट तक पहुंचने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इनमें अश्लील वेबसाइटें, गलत सूचना फैलाने वाले प्लेटफॉर्म या समाज के भीतर अराजकता को बढ़ावा देने वाले प्लेटफॉर्म शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि वीपीएन का इस्तेमाल ऑनलाइन चोरी और धोखाधड़ी के लिए भी किया जाता है, जिससे साइबर अपराधियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि ब्लॉक की गई वेबसाइट्स को एक्सेस करना न सिर्फ देश के कानून का उल्लंघन है बल्कि इस्लामिक सिद्धांतों के भी खिलाफ है.

पाकिस्तानियों पर क्या पड़ेगा बड़ा असर?
दरअसल पाकिस्तान में वीपीएन के इस्तेमाल में सबसे बड़ा उछाल तब देखा गया था जब पड़ोसी मुल्क की सरकार ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) को बैन कर दिया था. हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, गृह मंत्री मोहसिन नक़वी और अन्य मंत्री-सांसद भी एक्स इस्तेमाल करते हैं. अंदाज़ा लगाया जाता है कि ये सभी वीपीएन का इस्तेमाल कर देश में बैन हो चुकी वेबसाइट चला रहे हैं.

सरकारी बयान के अनुसार, पाकिस्तानी नागरिकों को अब वीपीएन का इस्तेमाल करने के लिए अपना वीपीएन अड्रेस सरकार के पास रजिस्टर करना होगा. पाकिस्तान टेलिकॉम अथॉरिटी (PTA) ने अगस्त में 'वन-विंडो' प्रणाली के तहत वीपीएन रजिस्ट्रेश प्रक्रिया शुरू की थी. पाकिस्तान में वीपीएन इस्तेमाल करने की इच्छा रखने वाले लोग 30 नवंबर तक यहां रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.  रजिस्ट्रेशन के लिए एक यूजर अपनी कस्टमर आइडी, पहचान पत्र नंबर और आईपी एड्रेस जमा करना होगा. 

वीपीएन रजिस्ट्रेशन से जुड़ी एक और चिंता पाकिस्तानी आवाम के सामने दरपेश है. सरकार के कई आलोचक वीपीएन से एक्स इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी जानकारी इकट्ठा करके अधिकारी सेना की आलोचना पर लगाम कसना चाहते हैं. उनका कहना है कि नए नियमों की मदद से सरकार एक व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रख सकती है और उसकी गोपनीयता भी भंग कर सकती है.