scorecardresearch

कौन हैं बिलावल भुट्टो जरदारी, जिनके खिलाफ भारत में हो रहा है विरोध, पहले भी रहा है विवादों से नाता

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी इस साल अप्रैल में अपने देश के सबसे कम उम्र के विदेश मंत्री बने. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी हालिया टिप्पणी ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है.

Bilawal Bhutto Zardari Bilawal Bhutto Zardari
हाइलाइट्स
  • पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं बिलावल

  • पाकिस्तान देश के "सबसे युवा" विदेश मंत्री बने

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचनात्मक टिप्पणी करके एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास के बाहर "पाकिस्तान हाय-हाय" और "बिलावल भुट्टो माफ़ी मांगो" के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा पार्टी शनिवार को विवादित बयानों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी. 

क्या है पूरा विवाद
दरअसल हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र की बैठक में मोदी पर हमला करते हुए, भुट्टो ने कहा, "ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई जीवित है और वह भारत का प्रधान मंत्री है." भुट्टो ने यह टिप्पणी एस जयशंकर के पाकिस्तान को "आतंकवाद का केंद्र" कहे जाने के बाद की. 

भुट्टो की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये टिप्पणियां पाकिस्तान के लिए भी एक नया निचला स्तर हैं. देशभर में भुट्टो के इस बयान से विवाद छिड़ गया है. दोनों देशों के बीच एक बार फिर सोशल मीडिया वॉर छिड़ गया है. 

कौन हैं बिलावल भुट्टो जरदारी?
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी वर्तमान में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. अप्रैल में, वह 33 वर्ष की आयु में देश के "सबसे युवा" विदेश मंत्री बने. बिलावल को 2007 में अपनी मां की हत्या के बाद पीपीपी की बागडोर विरासत में मिली थी. 

वह उस समय 19 वर्ष के थे और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के क्राइस्ट चर्च कॉलेज में पढ़ रहे थे. बीबीसी के मुताबिक पीपीपी का नेतृत्व करने के लिए बेनजीर के उत्तराधिकारी बिलावल को "भुट्टो विरासत का उपयोग करके पार्टी को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक कदम माना गया." इसके बाद उन्होंने अपनी मां का उपनाम जोड़ा और बिलावल जरदारी, बिलावल भुट्टो जरदारी बन गए. 

वह 2018 में पहली बार पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे. एएनआई की रिपोर्ट है कि भुट्टो उन प्रमुख किरदारों में से एक हैं, जिन्होंने अप्रैल में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान को प्रधान मंत्री पद से हटाने में मदद की थी. 

पहले भी रहा है विवादों से नाता 
पाकिस्तान के विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद से बिलावल भुट्टो जरदारी ने अक्सर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठाया है. लेकिन वह इससे पहले भी इसके बारे में बोलते रहे हैं. 2014 में, पाकिस्तान में पंजाब के मुल्तान क्षेत्र में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा था कि पीपीपी भारत से "पूरा कश्मीर" वापस ले लेगी. 

उनकी इस टिप्पणी पर काफी विवाद हुआ था और भारतीय विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा थाकि भारत की अखंडता और एकता पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. 

भुट्टो ने इस साल की शुरुआत में पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की मॉस्को यात्रा का समर्थन करके भी विवाद खड़ा कर दिया था. खान का बचाव करते हुए, पीपीपी के अध्यक्ष ने कहा कि इमरान खान को यूक्रेन पर आक्रमण करने के रूस के प्लान के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी. वह अपनी कमजोर उर्दू के लिए भी जाने जाते हैं. उर्दू में जुबान फिसलने के कारण वह मीम मटेरियल भी बन गए. 

एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें बिलावल ने कथित तौर पर तत्कालीन इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "इस्लामाबाद में कांपे टांग रही हैं", जबकि उनका मतलब था "इस्लामाबाद में टांगे कांप रही हैं." अब भी कई बार लोग उनकी वीडियो शेयर करते हैं.