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पाकिस्तान से इमरान सरकार की विदाई तय,क्या है इसके पीछे की असली वजह...कहां कमजोर पड़ी सरकार?

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार का संकट और बढ़ता ही जा रहा है. मौजूदा उठा पटक को देखते हुए इमरान खान की विदाई लगभग तय हो गई है. सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को बड़ा झटका लगा है. इमरान ने बुधवार को देश को संबोधित करने का फैसला किया था लेकिन अचानक सेना प्रमुख कमर बाजवा और आईएसआई चीफ नदीम अंजुम से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना संबोधन टाल दिया.

Imran Khan (Credit- Getty Images) Imran Khan (Credit- Getty Images)
हाइलाइट्स
  • गठबंधन पार्टी ने वापस लिया समर्थन

  • पाकिस्तान से इमरान सरकार की विदाई तय

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार का संकट और बढ़ता ही जा रहा है. मौजूदा उठा पटक को देखते हुए इमरान खान की विदाई लगभग तय हो गई है. सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को बड़ा झटका लगा है. इमरान ने बुधवार को देश को संबोधित करने का फैसला किया था लेकिन अचानक सेना प्रमुख कमर बाजवा और आईएसआई चीफ नदीम अंजुम से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना संबोधन टाल दिया. आज फिर दोनों के बीच मुलाकात होना तय हुआ है.अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही पीटीआई  की सहयोगी एमक्यूएम पी (मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. एमक्यूएम पी ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ जाने का फैसला किया.

कमजोर पड़ा गठबंधन
विपक्षी खेमे ने नई सरकार में एमक्यूएम-पी को डिप्टी पीएम पद देने का वादा किया है. वहीं पांच सांसदों वाले दल बीएपी ने भी समर्थन वापस ले लिया है. इसके बाद पीटीआई गठबंधन 167 पर सिमट गया जबकि विपक्ष के पास 180 सांसद हैं. बहुमत के लिए 172 सदस्य चाहिए. इमरान खान को सेना के इशारे पर चलने वाली पीएमएल-क्यू और बीएपी का समर्थन वापस लेना काफी महंगा साबित हुआ. पंजाब में परवेज इलाही को सीएम उम्मीदवार घोषित कर गठबंधन में दरार डालने का काम किया गया. आइए जानते है कहां-कहां कमजोर पड़ी इमरान की पार्टी

महंगाई, कर्ज और धांधली
बढ़ती महंगाई, कर्ज और धांधली जैसे मुद्दों ने विपक्ष को एकजुट करने में मदद की. मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में विपक्षी एकजुट हुए और पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट नाम से एक ब्लॉक बनाया. देशभर में विरोधी रैलियां हुईं और जनता में असंतोष भड़का.

आईएसआई चीफ की नियुक्ति
सेना के आंतरिक मामलों में दखल देना इमरान खान की सबसे बड़ी भूल रही. इमरान तत्कालीन चीफ फैज हमीद को वक्त देना चाहते थे. हालांकि सेना ने अपनी चलाई और इमरान को झुकना पड़ा.

सेना को कंट्रोल करने की चाहत
इमरान आईएसआई को सैन्य टुकड़ी का दर्जा देना चाहते थे. खुद को घिरता देख इमरान ने सेना पर सवाल उठाना शुरू किया. उन्होंने भारतीय सेना की तारीफ भी की.
 
चीन से रिश्ते बिगड़े
कूटनीतिक रूप में भी इमरान सफल नेता नहीं बन पाए. अमेरिका, चीन और सऊदी अरब से उनके रिश्ते बिगड़ गए. वह ऐसे समय में रूस गए जब यूक्रेन पर आक्रमण शुरू हो गया. इससे दुनिया में पाकिस्तान की हर तरफ किरकिरी हो गई.